आज विश्व कुत्ता दिवस है
#International_Dog_Day यह स्नेह का रिश्ता है। कुत्ता नाम सुन कई लोग आज भी असहज हो जाते है। आवारा कुत्ते के आतंक को आज भी सनसनी बनाया जाता है। खैर, आज विश्व कुत्ता दिवस है। जिन लोगों ने कुत्ता पाला है, वहीं इसके मर्म को समझ सकते है। यह प्राणी इतना संवेदनशील है कि उसका वर्णन नहीं। मेरा रॉकी तीन साल का हुआ है। घर का सबसे प्यारा सदस्य है। पर यह मानव के भाव को पढ़ सकता है। सूंध सकता है। अपनी भाषा में आपसे बात करता है।
आपको उत्साहित रखता है। आपके प्रति जिम्मेवार रहता है। मेरा रॉकी बहुत प्रशिक्षित नहीं है। साधारण है। मगर प्यारा है। इसकी सुबह नियमित पांच बजे होती है। पांच बजे मुझे प्यार से आहिस्ते छुकर जगाना चाहता है। कूं कूं की आवाज लगाएगा। यदि नहीं जागा तो मुंह के थुथन से जगाएगा। इसे पता है की कैसे पंजा से नाखुन लग सकता है, सो उसका ख्याल रखता है। नहीं जागा तो पता नहीं कौन सी घड़ी है इसके पास, ठीक सवा पांच में जोर से भैंकेगा। पंजा चलाएगा। उसके बाद बाहर नित्य क्रिया के लिए जाने के लिए उत्साह से भर उठेगा। खूब इतराएगा। बहुत बातें है।
शाम में खेलने के लिए उकसायेगा। आवाज देगा। कुछ देर लुका छुपी खेलने पर शांत हो जाएगा। और कहीं बाहर गया तो राह तकता रहेगा। दरबाजे पर जा जा कर देखेगा। बहुत समय निकल जाने के बाद वहीं बैठेगा। इंतजार करेगा। आने के बाद खूब इतराएगा। यह प्राणी प्रेम, स्वामी भक्ती का जीता जागता उदाहरण है। गली के कुत्ते भी ऐसे ही होते है। उसे खाना और प्यार देकर देखिए। मेरे गांव का तीन कुत्ता मेरे घर को अपना समझ लिया है। जब भूख लगेगी, आ जाएगा। उसकी कहानी बाद में । दुख है कि कुछ लोग शौक से कुत्ता रखते है पर मन भर जाने या मजबूरी में उसे भगा देते है। ऐसे कुत्तों का देख मन भर आता है। मेरे आस पास कई है। हम मनुष्य सच में निष्ठुर है। क्रुर है। से भगा देते है। ऐसे कुत्तों का देख मन भर आता है। मेरे आस पास कई है। हम मनुष्य सच में निष्ठुर है। क्रुर है।
सुन्दर | क्रुर को क्रूर कर लें |
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