17 जून 2024

देवेश चंद्र ठाकुर का कड़वा सच

 देवेश चंद्र ठाकुर का कड़वा सच 


अलगू-मुझे बुला कर क्या करोगी? कई गाँव के आदमी तो आवेंगे ही।
खाला-अपनी विपद तो सबके आगे रो आयी। अब आने-न-आने का अख्तियार उनको है।
अलगू-यों आने को आ जाऊँगा; मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा।
खाला-क्यों बेटा ?
अलगू-अब इसका क्या जवाब दूँ? अपनी खुशी। जुम्मन मेरा पुराना मित्र है। उससे बिगाड़ नहीं कर सकता। खाला-बेटा, क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?
हमारे सोये हुए धर्म-ज्ञान की सारी सम्पत्ति लुट जाय, तो उसे खबर नहीं होती, परन्तु ललकार सुन कर वह सचेत हो जाता है। फिर उसे कोई जीत नहीं सकता। अलगू इस सवाल का कोई उत्तर न दे सका, पर उसके हृदय में ये शब्द गूँज रहे थे-क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?


मुंशी प्रेमचंद के पंच परमेश्वर के ये संवाद हर किसी के मन में रचा बसा है। यही संवाद आज सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर  ने कही तो बवाल हो गया। देवेश चंद्र ठाकुर एक घीर-गंभीर व्यक्तित्व के धनी नेता है। कभी विवादास्पद बयान नहीं देते। इसीलिए इसे मैं गंभीरता से लेते हुए  उनका समर्थन करता हूं। मैंने पहले भी अपने कई आलेखों में कई उदाहरण से यह बात रखी है। जाति-धर्म पर वोट  ने गरीब जनता का बड़ा नुकसान किया है। अब समर्पित राजनीतिज्ञ भी गरीब से गरीब जनता के हित में काम करना इसलिए नहीं चाहते। उनको पता है कि करेजा भी निकाल के रख दो तब भी वोट देने वक्त जाति ही देखेगें। 

देवेश ठाकुर ने कई नेताओं के मन की बात सार्वजनिक कर दी है। जब समाज के लिए समर्पित कोई भी नेता बुथ पर मिले वोट को समझेगा तो उसका दिल टूट ही जाएगा। केवल जाति-धर्म।  देवेश ठाकुर ने भी आहत मन से ही कहा कि यादव और मुस्लमान का काम नहीं करेगें। उनका आशय व्यक्तिगत कामों से है। बाद में भी उन्होने मजबूती से अपनी बात का समर्थन किया है। बताया कि कई सालों तक जाति धर्म से उपर उठकर जिन लोगों का व्यक्तिगत काम  किया। उनको लाभ दिया। वे लोग भी चुनाव में वोट नहीं दिए। तब व्यक्तिगत काम क्यों करेगें। सार्वजनिक काम अवश्य करेगें। मेरी नजर से यह सही कहा है। अपना काम लेने में जाति धर्म नहीं देखते। वोट में देखते है। तब दुख तो होगा ही। 

एक दृश्य मेरी आंखों के सामने आज आ गया। दस साल पहले बरबीघा में एनडीए प्रत्याशी शिवकुमार जी चुनाव हार गए। उनके घर पर मिर्जापुर से कोई गरीब बुढ़ा आदमी दवा के लिए मदद मांगने आए। उन्होंने कातर भाव से भावुक होकर हाथ जोड़ लिए और कहा कि उनके पास अब कुछ नहीं है। जनता ने जिसे चुना है, उसके पास जाइए।  इसको समझिए। नई पीढ़ी के नेता बनने वाले अथवा बन चुके नेता अब जनता से जुड़ना पसंद नहीं करते। वे आलाकमान से जुड़ना, सोशल मीडिया पर चमकना, रुपये बनाना अधिक पसंद करता है। सो, देवेश ठाकुर ने कड़वा सच कहा है। सबका मन तो खराब होगा ही। 


1 टिप्पणी:

  1. सबका एक बार वाशिंग मशीन में उतरना बनता है | सब ठीक हो जाएगा उसके बाद :)

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