निर्भया रेप कांड का आज मीडिया वाले फिर बलात्कार का बलात्कार करेंगे और ऐसा मैट्रो सिटी के मामले में ही होता है, गांव के मामले में नहीं । पिछले साल बिहार के शेखपुरा जिले के शेखोपुर थाना के ओनामा पंचायत के एक गांव में दस साल की अबोध बच्ची से उसके बूढी दादी को बांध कर हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में पुलिस ने बड़ी मुश्किल से fir दर्ज किया और अपराधी की पहचान नहीं हुयी । इस गम में उस बूढी दादी ने दम तोड़ दिया । उसके परिवार को गांव से भगा दिया और मीडिया में यह छोटी सी खबर भर बनी । बस ... ऐसा क्यूँ?
यह भी सच है की मीडिया के दबाब की वजह से ही रेप को लेकर कड़ा कानून बना जिसमे लड़कियों को घूरने तक को गैरजमानती अपराघ बना दिया पर इसका असर बिलकुल ही देखने को नहीं मिलता । आज छोटे से कस्बाई शहर में जो मैं देखता हूँ वह आक्रांत करने वाला है ।बदले बिहार में आज बड़ी संख्या छात्राएं स्कूल में पढाई नहीं होने की वजह से कोंचिग में पढ़ने जाती है जहाँ रास्ते से लेकर कोचिंग तक छात्राओं को स्त्री होने का दंश झेलना पड़ता है । फब्तियों औत गंदे कमेंट को नजर अंदाज़ कर वह आगे बढ़ जाती है. ऐसा क्यूँ होता ?
आज भी यदि किसी स्त्री के साथ बलात्कार होता है तो समाज का पहला प्रयास इस मामले को दबा देने का होता है ऐसा क्यूँ ?
यह भी सच है की मीडिया के दबाब की वजह से ही रेप को लेकर कड़ा कानून बना जिसमे लड़कियों को घूरने तक को गैरजमानती अपराघ बना दिया पर इसका असर बिलकुल ही देखने को नहीं मिलता । आज छोटे से कस्बाई शहर में जो मैं देखता हूँ वह आक्रांत करने वाला है ।बदले बिहार में आज बड़ी संख्या छात्राएं स्कूल में पढाई नहीं होने की वजह से कोंचिग में पढ़ने जाती है जहाँ रास्ते से लेकर कोचिंग तक छात्राओं को स्त्री होने का दंश झेलना पड़ता है । फब्तियों औत गंदे कमेंट को नजर अंदाज़ कर वह आगे बढ़ जाती है. ऐसा क्यूँ होता ?
आज भी यदि किसी स्त्री के साथ बलात्कार होता है तो समाज का पहला प्रयास इस मामले को दबा देने का होता है ऐसा क्यूँ ?
आज भी परुष प्रधान समाज में स्त्री, लड़की के चरित्रहीन होने की चर्चा चटखारे के साथ होती है और बड़ी संख्या में इस चीरहरण में महिलाओं को भी शामिल देखा जाता है ! बहुत बड़े बुद्धिजीवी के पास भी किसी न किसी लड़की के छिनार होने के किस्से होते है और वह उसे ऐसे सुनाते है जैसे वहीँ मौजूद थे। आज भी जो महिला थोड़ी जागरूक हो और साहस से अपने काम करती हो उसे समाज चरित्रहीन कहना प्रारंभ कर देता है ।
ऐसा क्यूँ होता ?
आज भी बलात्कार पीड़ित महिला ही समाज की नजर में आरोपी होती है और उस पीड़ित की इज्जत लुट जाती है । मुझे आज भी सत्यमेव जयते सीरियल याद है जब सोशल वर्कर महिला ने कहा की बलात्कार के बाद जिस इज्जत के लुट जाने की बात समाज करता है, उस इज्जत को महिला के योनि ने किसने रखी, जो वहां से लुट गयी..! इस कटाछ ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिए थे पर सचाई को जब तक हम नंगा नहीं करेंगे तब तक वह सच कैसा? आज भी बलात्कार पीड़ित़ा ही समाज के कठघरे में आरोपी की तरह खड़ी होती है, ऐसा क्यूँ?
समाज के इस बिद्रूप चेहरे के साथ मुझे मीडिया भी खड़ा दिखता है, ऐसा क्यूँ... जबाब तलाश रहा हूँ मैं..
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