16 सितंबर 2017

अथ श्री एक्सप्रेस ट्रेन शौचालय कथा भाया बुलेट ट्रेन

अथ श्री एक्सप्रेस ट्रेन शौचालय कथा भाया बुलेट ट्रेन

अरुण साथी
पटना से सूरत, दिल्ली, पंजाब , मुंबई एक्सप्रेस का स्लीपर डिब्बा खचाखच भरा हुआ। एक दूसरे से देह रगड़ा रहा है। दरबाजे पे भी हेंडल पकड़ कई लटके हुए है। बगल में पोस्टर सटा हुआ है। लटकला बेटा त गेला बेटा! वहीं किसी ने लिख दिया पूरा देश आज लटका हुआ है। देख लीजिए फेसबुक, ट्वीटर!!

उसी में किसी तरह मघ्घड़ चा भी लोड हो गए। उनका झोला तो बाहर ही रह गया। गनीमत की पॉकेट में टिकट रख लिए थे। अंदर देह से देह रगड़ खा रहा है। एक सूत जगह खाली नहीं। खैर बेटा सीरियस है एम्स में। कहीं और इलाज ही नहीं हो सका। जाना तो होगा ही।

छुकछुक छुकछुक, छुकछुक छुकछुक रेलगाड़ी चलती जा रही थी। तभी काला कोट धारी मोटूमल टीटी दो तीन मुस्टंडे के साथ सबको गाली-गलौज करते डब्बे में गांधी जी समेटने में लग गया। ज्यादा लोग मजदूर। टिकट रहते हुए भी हड़का देते। बक्सा ले जाना मना है! गोदी के बच्चे का टिकट क्यों नहीं! खैर मघ्घड़ चा से भी यही पैतरा आजमाया। मघ्घड़ चा तो अपने खेलल खिलाड़ी है। रिजर्वेशन में वेटिंग का टिकट दिखा दिए। "एक अधेली धूस नै देबो टीटी बाबू, जादे करभो त दिल्ली जा रहलियो हें, मोदिया से कम्पलेन करबो जाके। की नाम हो तोर। टीटी बढ़ गया। कहाँ मगजमारी करें। इतना में कई मुर्गा धरा जाएगा।

"ये हटो हटो, तनी जाने दो। लघुशंका जाना हे हो। पटने के लगल हे बक्सर पहुंच गेल। चिनिया के मरीज हूँ मर्दे।"
मघ्घड़ चा को जोर से लगी थी। किसी तरह ठेल-धकेल के शौचालय तक पहुंच गए। नजारा देखा तो झांय आ गया। शौचालय का दरवाजा खुला है। चार-पांच आदमी उसमें जमे हुए है। अब का करें भाय। मघ्घड़ चा गरम हो गए।
"का हाल कर दिहिस है। जरियो लाज बिज नै हो। कैशन रेलगाड़ी हो। हग्गे-मुत्ते पर भी आफत!"
"का करियेगा चाचाजी। पेट मे जब आग लगो हई त गू-मूत नै दिखो हई!" एक नौजवान ने तंज कसा।"

तभी उसी शौचालय में लफुआ मोबाइल (स्मार्ट मोबाइल) हाथ मे लिए एक युवक जोड़ से चिल्लाया।
"बधाई हो। मोदीजी ने बुलेट ट्रेन का शिलान्यास कर दिया। इसे कहते है। अच्छे दिन।" ट्रेन में सन्नटा छा गया। मघ्घड़ चा का प्रेशर जोर मार रहा था। समझ नहीं आया कि क्या प्रतिक्रिया दें। गांव के चौखंडी पे लोग उनको भगत जी कहके चिढ़ाते है। अभी हाल में रेल हादसों पे लंबी बहस चली। संसद में क्या वैसा चलेगा। स्कुलिया बच्चा सब रुक के सुनता था। दो-चार जो विरोधी था उसको चुप्प करा देते।
"सत्तर साल के कोढ़ एक दिन में ठीक होतै!अकेले मोदिया की करतै, हमरो, तोरा सुधरे के चाही।"

तभी उनको लगा कि उनकी घोती गीली हो रही है। प्रेसर हाई। उनके आंखों के आगे तारे चमकने लगे! और हाय मोदिया कहते हुए मघ्घड़ चा बेहोश हो गए...!

बस इतना ही दुआ कीजिये
कि बाकि सब  ठीक हो,
किसी तरह से अच्छे दिन
सबको नसीब हो!!

बुलेट ट्रेन चले,
बस गाय-गुरू जैसा
आम आदमी ने मरे
सबके लिए नीति बने
अमीर हो, गरीब हो!!

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