शून्य की ओर निहारती इस तस्वीर को जब से मैंने कैद किया तब से सोंच रहा हूँ कि संत ऐसे ही तो होते होंगे ...
जाने क्यों बुजुर्ग के इस चेहरे में मुझे किसी संत के होने की झलक मिलती है ।
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शून्य हो जाना
संत हो जाना है
सुख.दुःख
आकांछा
अभीप्सा
और
मान.अपमान
के आदम दुर्गुणों
से दूर होना
आदमी का संतत्व है ....
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