17 अप्रैल 2015

खौराहा कुत्ता ( व्यंग्य)

गाँव-देहात में यह बात सभी लोग जानते है कि गाँव में खौराहा कुत्तों का एक गिरोह होता है जो किसी शरीफ को गाँव में घुसने नहीं देते , उसपे झंझुआ के टूट पड़ते है । झंझुआहट में वो इतना हल्ला करते की पास से गुजरने वाला कोई भी सहम जाये ।
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एक खूबी यह भी होती है की वह जोर जोर से भौंकता है । इतना ही नहीं जब कोई मजबूत दुश्मन सामने हो तो वह और जोड़ से भौंकता है । वह अपने बड़े बड़े केनाइन दाँत को जबड़ा जान से ज्यादा फार के दिखता है ताकि सामने वाले को लगे की यह खतरनाक है । पर एक बात किसी को पता नहीं होता की खौराहा कुत्ता चाहे जितना जोर जोर से भौंके और बड़े बड़े दन्त दिखाए पर वह अपनी दुम हमेशा पिछुआड़े में दबाये रखता है । 
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खौराहा कुत्तों की जमात बहुत पवार फुल होती है पर सभी भौंकने की कला में ही केवल माहिर नहीं होते है बल्कि वो भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी और धर्म और जाति के नाम पे मार काट करने की कला में भी पारंगत होते है । 
इन खौराहा कुत्तों के द्वारा गाँव में किसी शरीफ आदमी को धुसने नहीं दिया जाता है और चोर उचक्कों को इनके द्वारा दुम दबा कर स्वागत किया जाता है । गांव में जब भी कोई चोर घुसता है बेचारे निकल लेते है और जैसे ही कोई शरीफ आदमी घुसा नहीं की ये ऐसे भौंकने लगते है जैसे प्रलय आने वाली हो ।
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अब आपको अपने आस पास खौराहे कुत्ते नजर आने लगे है तो इसमें मेरा कोई दोष नहीं बस आप डरिये नहीं क्योंकि ये केवल भौंकते है, काटते नहीं...

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा व्यंग ,अभिव्यक्ति आज टांग खींचने वाले युग में इनकी कोई कमी नहीं

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-04-2015) को "अपनापन ही रिक्‍तता को भरता है" (चर्चा - 1950) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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