माने पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि देश की राजनीति में दलाली और बिचौलिया संस्कृति कायम है, यह धंधा बन्द होना चाहिए। इसके लिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश की 75 प्रतिशत आबादी रोज 20 रूपये की आमदनी पर अपना जीवन-यापन कर रही है। गरीबों के लिए सरकार ने मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करती है। जबकि उधोगपतियों के उत्पाद पर अधिकतम मूल्य अंकित होता है। यह टाउन हॉल में सीपीआई द्वारा आयोेजित दलित-महादलित अधिकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता सीताराम मांझी सुरेन्द्र दास तथा कृष्णनन्दन पासवान की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मण्डली ने की। सम्मलेन को संबोधित करते हुए अनिल चमडिया ने कहा कि देश की आजादी के 64 वर्ष बाद भी दलितों तथा आम गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। उन्होने कहा सकि मुठ्ठीभर लोग जहां दिन दूना तर क्की कर रहे हैं । वहीं दलितों एवं गरीबों के जीवन स्तर में कोई व्यापक बदलाव नहीं आ पाता सहै। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार और यह व्यवस्था दोषी है। चमड़िया ने वंचित समाज के बीच से लीडर पैदा सकरने का आह्वान किया ताकि सरकार की योजनाऐं और यह व्यवस्था दोशी है।चमड़िया ने बंचित समाज के बीच से लीडर पैदा करने का आहवान किया ताकि सरकार की योजनाओं लाभ निचले लोगों को मिल सके। सम्मेलन में सीपी आई के राज्य मण्डल के सदस्य जितेनद्र नाथ, महादेव मांझी, विपिन चौरसिया, सुरेन्द्र दास, कृसणनन्दन पासान, सीताराम मांझी सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।
26 अगस्त 2010
देश की राजनीति में बिचौलिया संस्कृति कायम - पत्रकार अनिल चमड़िया।
माने पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि देश की राजनीति में दलाली और बिचौलिया संस्कृति कायम है, यह धंधा बन्द होना चाहिए। इसके लिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश की 75 प्रतिशत आबादी रोज 20 रूपये की आमदनी पर अपना जीवन-यापन कर रही है। गरीबों के लिए सरकार ने मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करती है। जबकि उधोगपतियों के उत्पाद पर अधिकतम मूल्य अंकित होता है। यह टाउन हॉल में सीपीआई द्वारा आयोेजित दलित-महादलित अधिकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता सीताराम मांझी सुरेन्द्र दास तथा कृष्णनन्दन पासवान की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मण्डली ने की। सम्मलेन को संबोधित करते हुए अनिल चमडिया ने कहा कि देश की आजादी के 64 वर्ष बाद भी दलितों तथा आम गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। उन्होने कहा सकि मुठ्ठीभर लोग जहां दिन दूना तर क्की कर रहे हैं । वहीं दलितों एवं गरीबों के जीवन स्तर में कोई व्यापक बदलाव नहीं आ पाता सहै। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार और यह व्यवस्था दोषी है। चमड़िया ने वंचित समाज के बीच से लीडर पैदा सकरने का आह्वान किया ताकि सरकार की योजनाऐं और यह व्यवस्था दोशी है।चमड़िया ने बंचित समाज के बीच से लीडर पैदा करने का आहवान किया ताकि सरकार की योजनाओं लाभ निचले लोगों को मिल सके। सम्मेलन में सीपी आई के राज्य मण्डल के सदस्य जितेनद्र नाथ, महादेव मांझी, विपिन चौरसिया, सुरेन्द्र दास, कृसणनन्दन पासान, सीताराम मांझी सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Featured Post
-
आचार्य ओशो रजनीश मेरी नजर से, जयंती पर विशेष अरुण साथी भारत के मध्यप्रदेश में जन्म लेने के बाद कॉलेज में प्राध्यापक की नौकरी करते हुए एक चिं...
-
#कुकुअत खुजली वाला पौधा अपने तरफ इसका यही नाम है। अपने गांव में यह प्रचुर मात्रा में है। यह एक लत वाली विन्स है। गूगल ने इसका नाम Mucuna pr...
-
यह तस्वीर बेटी की है। वह अपने माता पिता को माला पहनाई। क्यों, पढ़िए..! पढ़िए बेटी के चेहरे की खुशी। पढ़िए माता पिता के आंखों में झलकते आंसू....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें