बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने अपने चुनावी अभियान में जब शराब बिक्री पर महिलाओं का प्रतिरोध देखा तो शराब बंदी का भरोसा दिया और नयी सरकार के गठन के बाद बिहार में 1 अप्रैल से पूर्ण शराब बंदी की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद नीतीश कुमार की चौतरफा सराहना हुयी। बाद में जैसे जैसे दिन बीतते गए वैसे वैसे 5000 करोड़ के राजस्व का हिल्ला-हवाला दिया जाने लगा।
अब धीरे धीरे यह बात सामने आ रही है बिहार सरकार पूर्ण शराब बंदी नहीं लागु करेगी। इसकी जगह आंशिक शराब बंदी नीति लागु होगी। उत्पाद विभाग इसके लिए नीति बनाने में जुट गयी है।
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हावी हुए शराब माफिया
बताया जाता है की बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागु नहीं हो इसके लिए शराब माफिया काफी सक्रिय हो गए है। शराब माफिया इसके लिए नौकरशाह लॉबी को पकड़ लिया है। बिहार में नौकरशाह लॉबी काफी प्रभावशली माना जाता है। इसलिए ही अब बिहार में आंशिक शराब बंदी की रूप-रेखा तैयार कर उसकी जमीन बनायी जा रही है।
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क्या है आंशिक शराब बंदी की नीति
नयी आंशिक शराब बंदी की नीति के तहत अब बिहार सरकार जिला मुख्यालय में स्वयं शराब बेचेगी। 15 दिसंबर को उत्पाद आयुक्त के पत्रांक 3826 के माध्यम से एक पात्र जारी कर दिया गया है की बिहार स्टेट बिवरेज कॉर्पोरेशन को विभागीय भूमि उपलब्ध करायी जाये जहाँ विभाग गोदाम और दुकान बना कर थोक और खुदरा शराब बेचेगी। हालाँकि यहाँ अभी सिर्फ विदेशी शराब की ही बिक्री की जायेगी और देशी शराब पे पूर्ण पाबन्दी लगा दी जायेगी।
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सरकारी सुरक्षा गार्ड के संरक्षण में बिकेगी शराब
बिहार सरकार के नयी शराब बंदी नीति के तहत बिहार में जहाँ देशी शराब की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा वहीँ सरकार अपनी दुकान खोलकर शराब की बिक्री करेगी। शराब दुकान एवं गोदाम की सुरक्षा के लिए सरकार सुरक्षा गार्ड रखेगी जो शराब पी कर दुकान पे हंगामा करने वालों को रोकेंगे।
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सफल नहीं होगी देशी शराब की बिक्री पे प्रतिबंध
बिहार सरकार भले ही देशी शराब पे प्रतिबंध लगा कर विदेशी शराब की स्वयं बिक्री करेगी पर इस प्रतिबंध को कतई सफल होने नहीं दिया जायेगा। इसका मुख्य कारण गाँव गाँव देशी शराब का अवैध निर्माण विभाग और पुलिस के संरक्षण में चलता है। एक साधारण थाना क्षेत्र में 300 से 500 तक अवैध शराब बनाने वालों की भट्ठियां है। इन भट्ठियों से पुलिस और उत्पाद विभाग को प्रति भठ्ठी 1000 से 1500 की मोटी कमाई होती है। इस वजह से लाख कोशिशों के बाद भी अवैध शराब बनाने के काले कारोबार को रोका नहीं जा सकेगा। यदि विदेशी और देशी शराब की बिक्री पे रोक लगती तो विदेशी शराब पीने वाले लगभग शराब से बंचित हो जाते या मोटी रकम चूका के शराब पीते और युवा वर्ग शराबी बनने से बच जाता।
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क्या कहते है नीतीश कुमार
नीतीश कुमार कहते है की बिहार में शराब बंदी ही लागु की जायेगी। इसके लिए विभाग रणनीति बना रही है। बिहार की जनता को शराब से बर्बाद होने से रोकना होगा और महिलाओं की यही मांग भी थी, अब देखना होगा कि बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागु होती है या यह एक छलावा के तौर पे सामने आता है जिसकी उम्मीद सर्वाधिक बताई जा रही है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-12-2015) को "सुबह का इंतज़ार" (चर्चा अंक-2195) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
यह तो चुनावी वादे थे वाह वाह लूटने के लिए और माफिया से पैसे कमाने के लिए एक बार पपरन बंद की घोषणा कर दी थी , जब लालू व नीतिश्कि जेबें भर गयी तो देशी पर रोक रख कर विदेशी की छूट दे दी , अब देशी जब अवेधः बनेगी तो उसके लिए चुपचाप जेबें भरेंगे और सज्जन भी बने रहेंगे , अनुभव बताता है कि पूर्ण शराबबंदी सम्भव नहीं है , गुजरात का उदाहरण सामने है वहां नाम की शराब बंदी है पर दुनिया भर की अवैध शराब वहां जाती है और बिकती है , सरकार को तो राजस्व का नुक्सान होता है , लेकिन नेताओं की जेबें भर्ती रहती हैं , नीतीश ने यही सुरक्षित फार्मूला अपनाया है ,
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