भगवान् यीशु
एक प्रसंग है कि कुँवारी गर्भवती युवती को पापिन होने की सजा देते हुए समाज के लोग बीच चौराहे पे पत्थर मारने की सजा देते है ।
इसी बीच यीशु आते है और कहते है कि पहला पत्थर वही मारे जिसने कोई पाप न किया हो। यह सुन पहला पत्थर किसी ने नहीं मारा।
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यीशु आज अगर यह बात कहते तो सभी एक साथ ही पहला पत्थर मार देते।
सोशल मीडिया इसका उदाहरण है। यहाँ हर कोई साधू ही है पर पता नहीं दुनिया में फिर चोर कौन है?
@अरुण साथी/बरबीघा/बिहार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-12-2015) को "मीर जाफ़र की तलवार" (चर्चा अंक-2202) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'