केरल के मदरसों में यौन शोषण से जुड़ी अपनी बचपन की यादों को फेसबुक पर साक्षा करने वाली महिला पत्रकार वीपी राजीना को जान से मारने की धमकी दी गई है। असहिष्णुता का हंगामा करने वालों ने ही राजीना का फेसबुक एकाउंट को फेसबुक से शिकायत कर बंद करा दिया, क्या यह असहिष्णुता है? असहिष्णुता का आरोप लगाकर हंगामा करने वालों ने कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है...! क्या मुस्लिम कट्टपंथियों का असहिष्णुता की छूट है..?
सेकूलर जैसा सौहार्द और भाई चारे का प्रतीक एक शब्द को साहित्यकारों, कलाकारों के द्वारा आज कोठे पर बैठा दिया गया है। देश की नाकारात्मक छवि बनाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। बहुत हद तक इसमें सफलता भी मिल रही है। इसकी वागनी सांसद मो0 सलीम का गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान को संसद में उठाना है जिसमें आउट लुक पत्रिका ने यह प्रकाशित किया कि राजनाथ सिंह ने कहा कि आठ सौ साल बाद देश में हिन्दू शासक लौटा है। बाद में पत्रिका ने माफी मांगी.. पर सांसद ने नहीं...कितनी सहिष्णुता है..? राजीना का साथ अमीर खान, शाहरूख खान या महान साहित्यकार क्यों नहीं देते...?
उधर हरियाणा के एसपी संगीता कालीया को महज इसलिए तबादला कर दिया गया क्योंकि उसने एक बीजेपी के मंत्री अनील बीज को प्रत्युत्तर में जबाब दिया, सच का आइना दिखाया...प्रताडि़त करने का प्रतिवाद किया..। यह वही बीजेपी है और वही हरियाणा है जहां एक आइएएस अधिकारी अशोक खेमका को रावार्ड बाडा्र प्रकरण पर कांग्रेस सरकार के द्वारा प्रताडि़त किए जाने पर हंगामा किया गया था...! बहुत कुछ साफ है, आइने की तरह, बस हमने अपनी आंखों पर चश्मा पहन लिया है, जो किसी के समर्थक और विरोधी होने का है..
अल्ला जाने क्या होगा आगे..
सहिष्णुता समय, दल व परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है , सब का मकसद एक ही है सुर्ख़ियों में रहना , देश समाज की चिंता न किसी को थी ,न है , न होगी क्योंकि न तो इन नेताओं से हमें मुक्ति मिलनी हैऔर न इन तथाकथित बुद्धिजीवियों से जो अपने ऊपर इसका बोझ लेकर घूमने का ढोंग कर रहे हैं , ये सब बाइक हुए लोग हैं व इन नेताओं व तथाकथित बुद्धिजीवियों के हाथों कुछ मीडिया घराने भी बिक्के हुए हैं क्योंकि उनके आका उद्योगपतियों के अपने स्वार्थ सिद्ध करने हैं
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