चलो, अलविदा कहते हैं...!
जो बीत गयी उन बातों को,
अपनों से मिले कुछ घातों को,
बिन मौसम की बरसातों को,
कुतर्क भरी कुछ बातों को..।
चलो, अलविदा कहते हैं..!
संत बने असंतों को,
मठाधीश, महंथों को,
जनतंत्र के इस उपवन में,
विषबेल बने जयचंदों को..।
चलो, अलविदा कहते हैं...।
जो धर्म के नाम पे बाँट रहे,
खंड खंड कर घर-समाज,
जाति, जाति को छाँट रहे,
वैसे स्व-साधक, छल-छंदों को..।
चलो, अलविदा कहते हैं...!
अलविदा 2015 अलविदा..!
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें..।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।
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