05 दिसंबर 2010

सुबह सुबह एक मगही कविता ....(नेतवा सब भरमाबो है )

अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.
गली गली जे दारू बेचे, ओकरे खूब जीताबो है.

पहले हलथिन रंगबाज
फिर कहलैलथिन ठेकेदार
अब हो गेलथिन एमएलए
जनसेवका के सब हंसी उडाबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.


सूट बूट है उजर बगबग
स्कारपीयों  करो है जगमग
टूटल साईकिल से ई लगदग
कहां से, कोय नै ई बतावो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.



अनपढ़ हो गेलइ हे मास्टर
गोबरठोकनी हो गेलइ हे सिस्टर
बड़का बाप के बेटा हे डागडर
फर्जी डिग्री के फेरा में
ग्रेजुएट भैंस चराबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है


कभी मण्डल
कभी कमण्डल
कभी राम और
कभी रहीम
आग लगाके नेतवन सब
घर बैठल मौज उड़ावो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है


की कुशासन
की सुशासन
गरीबन झोपड़ी नै राशन
चपरासी से अफसर तक
सभे महल बनाबो है।
अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है



लोकतन्त्र में
कागवंश के
राजहंश सब
बिरदावली अब गावो है
चौथोखंभा भी रंगले सीयरा संग 
हुआ हुआ चिल्लाबो है
हुआ हुआ चिल्लावो है..........

5 टिप्‍पणियां:

  1. गरीबन झोपड़ी नै राशन
    चपरासी से अफसर तक
    सभे महल बनाबो है।
    ... bahut sundar ... saargarbhit rachanaa !!!

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  2. सूट बूट है उजर बगबग
    स्कारपीयों करो है जगमग
    टूटल साईकिल से ई लगदग
    कहां से, कोय नै ई बतावो है।
    अब तो नेतवा सब जनता के देखा खूब भरमाबो है.
    बहुत मार्मिक रचना ...सोच कर अनुभव हुआ की दुनियां का रंग कैसा है .....शुक्रिया

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  3. बस यही ज़िन्दगी है हर जगह कमो बेश यही हाल है

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  4. खूब बढ़िया लिखलो ह~
    मजा आ गेलो....
    मगही कविता पढ़ के घर के याद आ गेलो...

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