हर सुबह एक नई उम्मीद लाती है
खब्बो से निकाल
हमको जगाती है
अब शाम ढले तो उदास मत होना
उम्मीदों कों सिरहाने रखकर तुम चैन से सोना
कि फिर आऐगी सुबह
हमको जगाऐगी सुबह
रास्ते बताऐगी सुबह
उम्मीदों कें सफर को मंजिल तक पहूंचाऐगी सुबह.................
भ्रम जाल से देश नहीं चलता अरुण साथी सबसे पहले अग्निपथ योजना का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों से निवेदन है कि सार्वजनिक संपत्तियों का नुकसान ...
यह तो बहुत सुन्दर कविता है.
जवाब देंहटाएंपाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
अत्मविश्वास और उमीद जगाती सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंहमको जगाऐगी सुबह
जवाब देंहटाएंरास्ते बताऐगी सुबह
उम्मीदों कें सफर को मंजिल तक पहूंचाऐगी सुबह.
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
... bahut sundar !!!
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