मुलायम सिंह यादव ने आज संसद में एक बहुत ही गम्भीर मुद्दे को उठाया है। हलांकि उनकी मंशा इस मुद्दे को दूसरी तरह से उठाने की थी पर कहते कहते सही बात कह गए। समाजबादी नेता मुलायम सिंह ने कहा कि सांसद कोटे की राशि को दो करोड़ से बढ़ा कर दस करोड़ कर दिया जाय या फिर इसे खत्म कर दिया जाय। मुलायम सिंह का साथ इस मुददे पर लालू प्रसाद यादव ने भी दिया। लालू जी ने जोड़ देकर कहा कि सांसद कोटे को खत्म कर दिया जाय दो करोड़ में काम नहीं चलता। वास्तव में सांसदों की मंशा चाहे अपने कोटे को बढ़ना ही हो पर एक सच जो सामने आया वह यह कि सांसद कोटे को खत्म करने पर गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए। इस राशि से किसी का भला हो ना हो पर नेताओं और उनके बेलचों का भला जरूर हो रहा है। दो करोड़ की राशि का बन्दरबांट किस तरह किया जाता है इसको बहुत लोग करीब से जानते है। सांसद कोटे के तहत अपने गांव में सामुदायिक भवन से लेकर नाली और खरंजी का प्रस्ताव रखने बाले उनके समर्थकों को इस बात की प्रवाह नहीं होती कि इस राशि से सार्वजनिक काम किया जाए बल्कि यह मंशा रहती है कि काम होगा तो उन्हें भी डकारने का मौका मिलेगा। सांसद निधी से 15 से 20 प्रतिशत माननीय सांसद का कमीशन बनता है तथा उसके बाद पदाधिकारियों का कमीशन भी यही होती है और फिर जो महोदय विकास का काम करवाते है वे भी कोई धर्मात्मा नहीं होते और अपनी बचत अधिक से अघिक हो इसके लिए सभी तरह के उपाय लगाते है। सांसद निधि से बने भवनों एवं सड़को की हाल पांच साल में जब दुबारा नेताजी अपने क्षेत्र जाते है तो बदहाल हो चुका होता है। उसपर भी किस किस को खुश रखें यह एक अलग परेशानी है। सभी चुनाव में वोट देने और मदद करने का दाबा करते हुए ठेका दिए जाने की मांग करता है और इसके बाद कार्यकत्र्ता कहीं रहते ही नहीं सभी ठेकेदार बन जाते है। कुल मिलाकर सांसद निधि से क्षेत्र का विकास तो हो ही नहीं रहा और उल्टा राशि की बन्दरबांट हो जाती है। इसलिए इस मशले पर गम्भीरता और कठोरता से विचार कर सांसद कोटों को बन्द कर दिया जाना चाहिए।
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