04 मार्च 2010

हुसैन साहब का यह कहना की किसी ने साथ नहीं दिया बहुत दुखी करता है।

जिनको मां की तस्वीर में भी नंगनता दिखे उनसे क्या उम्मीद। मां तो ममता होती है और जब हम अपने घरों में बच्चे को दूध पिलाती मां की तस्वीर लगाते है तो उसमें अश्लीलता कहां दिखती है। हुसैन साहब ने बहुत गलत किया सचमुच गलत किया। हिन्दू होने का दंभ भरने वालों ने आग लगाया और अपनी राजनीति की रोटी सेकी पर आहत हुआ भारत की आत्मा , पर हुसैन साहब का यह कहना की किसी ने साथ नहीं दिया बहुत दुखी करता है। मुझे याद है बिहार के इस कस्वाई नगर में भी हुसौन के समर्थन में प्रेस विज्ञप्ति आई और अखबरों में छोटी सी जगह बनाई। कतर की नागरीकता लेकर हुसैन साहब ने सचमुच गलत किया। एक सवाल तो है ही कि कतर में हुसैन साहब को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होगी। जनाब हुसैन साहब यह भारत ही है जहां आपके साथ कई लोग है और हिन्दु के मठाधिशों को कहना चाहूंगा कि क्या अजन्ता और एलोरा की गुफाओं में कामरत तस्वीर हिन्दू धर्म को खत्म कर दिया। वहां भी तो भगवान को कामरत दिखाया गया है वह भी कई सौ साल पहले। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता महज एक शब्द नहीं है बल्कि एक व्यापक विचार है जिसके सहारे भारत की आत्मा जीवित है और जीवित आत्मा को मारने का निरन्तर प्रयास भी इस देश में किया जाता रहा है। कुछ लोग के द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को विकृत मानसिकता का पोषक बताया जा रहा है परन्तु कसौटी यह किसने बनायी कहीं हमारी मानसिकता ही विकृत तो नहीं। छोड़ न दो भाई, हिन्दू धर्म प्रेम और सेवा से चलता और और नंगी पेंटिंग बनाने से वह खत्म होने वाली नहीं। हां राजनीति जरूर हो रही है और हम भी उसीका हिस्सा है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी मानसिकता ही ऐसी है कि जो हम करें वो सही है जो दूसरे करें वो गलत। मगर एक बात कहूँगी के आज कल के हालात को देखते हुये हमे उन बातों को बढावा नही देना चाहिये जिस से किसी की भावनायें आहत होती हों और आस्था पर चोट करना किसी भी बुद्धिमान व्यक्ति के लिये सही बात नही है। इस सन्दर्भ मे मुझे उनकी बुद्धिमता पर सन्देह है। भारत के हर नागरिक का फर्ज है कि वो देश की शान्ति को बनाये रखे। और आप जानते हैं कि लोग धर्म का अर्थ चाहे न जानते हों मगर धर्म के नाम पर दंगे फ्साद खूब कर लेते है। ऐसे मे कुछ लोग यकीनन साथ नही देंगे। धन्यवाद

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  2. बंधु जहां तक मैं समझता हूं कचरा तो हुसैन साहब के प्रारंभ से ही दिमाग मैं था....हम सब की मां की तो नग्न तस्वीर बनाई पर अपनी मां को वस्त्रों मैं दिखाया.....बाकि आप चाहें तो मेरे पास उनकी बनाई कलाकृतियों की बहुत सारी प्रतिलिपियां हैं आप चाहें तो

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  3. अगर किसी को ठेस लगती हो तो वैसा काम करने से परहेज करने में कोई बुराई नहीं है

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  4. नंग्नता में सौंदर्य है. नंग्नता बूरी नहीं. फिर बूरा कब लगता है? जब अपनी माँ को छोड़ कर सारे जहाँ को नंगा करते हो तब. आप एक विकृत चित्रकार पर मातम मनाएं, बन्दा कतर में ऐश कर रहा है. वहाँ पूरी आजादी है. कतर में पूजे जाने वालों के नंगे चित्र बनाएंगे और परखेंगे आजादी.

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  5. बड़े भाई, सादर नमस्कार।

    नग्न तस्वीर बनाना एक कला है। सबको अधिकार है कि वह अपनी अभिव्यक्ति कर सकता है। तो मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ कि केवल हिंदू देवी, देवताओं भारत माता आदि का चित्र ही क्यों। अपनी माँ का चित्र क्यों नही।
    भाई साहब हुसैन के साथ कभी भी कोई सच्चा भारतीय रह नहीं सकता। जिसको मानवतावाद की समझ न हो वह क्या अपनी अभिव्यक्ति देगा।
    मुझे कहना पड़ रहा है कि भारत की परतंत्रता के पीछे जो सदियों रही है आप जैसे प्रवुद्ध लोगों..................क्षमा करें।

    पर आप तो उस शराबी की तरफदारी कर रहे हैं जो देशी पीने के बाद दूसरे की माँ, बेटी को गाली देता है और अपनी माँ को नमस्कार करता है। उसको ये समझ होती है कि ये मेरी मां है...............

    सुन लो काका....हुसैन.....भारत हमेशा से दुख के जंजाल को झेलता रहा है इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि तेरी तरफदारी करनेवाले हर समय मौजूद हैं....भारत में....वरना तूँ माँ भारती की नंगी तस्वीर नहीं बनाता...जरा अमरीका, पाकिस्तान का बना कर देख...सपने में भी नहीं बना सकता....मुझे मालूम हैं....अब कहाँ गई तेरी अभिव्यक्ति और तेरे तरफदार.....................ये है मेरा भारत महान.....और आप भी हुसैन महान।
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    आप दुखी क्यो हो रहे हैं बड़े भाई.....मैं भी तो बहुत दुखी हूँ.....हुसैन कभी ऐसा कह ही नहीं सकते...इतिहास गवाह है उठाकर देख लीजिए..मुगलो से लेकर.अंग्रेजों तक.....सबका साथ हम भारतीयों ने दिया है....बखूबी....साथ ही क्यों जरूरत पड़ने और भी बहुत कुछ दिया है.........हा हा हा हा.........हँसी आती है........

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