28 मार्च 2010

साईकिल ने भरी लड़कियों में नई जान कई अभिभावक 50 रू0 में खरीद रहे साईकिल



मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार के बिहार के विकास के साथ साथ इसके उत्थान को लेकर उनके द्वारा उठाए गए कदमों की जब भी कहीं चर्चा होती है तो उसमें मुख्यमन्त्री कन्या साईकिल योजना का स्थान सर्वोपरी रहता है। मुख्यमन्त्री कन्या साईकिल योजना लड़कियों के लिए महज स्कूल जाने की सुविधा का नाम नहीं रह कर यह छात्राओं में एक नई उर्जा और अत्मसम्मान की योजना बन गई है। अहले सुबह अब छात्राऐं साईकिल को साफ कर विद्यालय के लिए निकलती है और ट्यूशन भी जाती है। खास बात यह कि पांच किलोमिटर दूर गांव में जहां आज से पहले छात्राऐं महज मध्य विद्यालय तक ही पढ़ाई कर पाती थी वहीं आज साईकिल पर सवार होेकर बरबीघा के विभिन्न उच्च विद्यालयों में पढ़ाई के लिए जाती है। साईकिल योजना का लाभ इतना कि अब शाम या फिर सुबह गांव की सड़कों पर मोटरसाईकिल सवार से लेकर अन्य वाहन चालक साईकिल सिखती छात्राओं से सावधान रह कर वाहन चलातें हैं।
साईकिल चलाने को लेकर छात्राओं में भी खासा उत्साह है। तभी तो छात्रा पिंकी की माने तो साईकिल की वजह से अब उसे ट्यूशन तथा स्कूल जाने में परेशानी नहीं होती है और उसके परीक्षा की तैयारी भी अच्छी हो रही है। विभा कुमारी की माने तो साईकिल ने उसके अन्दर एक उत्साह का संचार किया है और पहले पिताजी घर से स्कूल दूर होने की वजह से पढ़ाई जारी नहीं रखने की बात कहते थे पर जब से साईकिल योजना  आई है वह अपने ग्राम तोयगढ़ जिसकी दूर उच्च विद्यालय बरबीघा से पांच किलोमिटर है प्रतिदिन स्कूल आती है तथा सुबह ट्यूशन भी जाती है। छात्राओं को इसको लेकर खासा उत्साह भी है छात्राओं के उत्साह की ही वानगी है कि अब वह अपने भाई से उसकी साईकिल छूने पर झगड़ परती है। वह अत्माविश्वास से कहती है कि साईकिल उसकी है और बिगड़ जाएगी तो दिक्कत होगी।
हलांकि साईकिल योजना को लेकर कई अभिभावको में उत्साह की कमी ही नहीं लापरवाही भी देखी जा रही है तथा अभिभावकों के द्वारा छात्राओं को साईकिल खरीदकर नहीं दिया गया है और उसके बदले महज पच्चास रू0 देकर साईकिल दुकान से कैशमेमो बना कर विद्यालय में जमा करा दिया गया है। छात्राऐं साईकिल खरीदना भी चाहती है पर  अभिभावक साईकिल योजना की 2000 रू0 को अपने व्यक्तिगत कामों में उपयोग कर रहें है। जब इस संबध्ंा में उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यपाकों से बात की गई तो उन्होने बताया कि प्रत्येक छात्रा की साईकिल जांच करना सम्भव नहीं है और जिसने कैशमेमो जमा दे दिया माना जाता है कि साईकिल खरीद ली।
विदित हो कि साईकिल योजना के लिए सरकार की ओर से 2000 की राशि का  आवंटन किया गया है तथा साईकिल खरीद करने के लिए अभिभावकों को 300 से 1000 तक की राशि अपना लगाना पड़ता है इसी वजह से कई अभिभावक साईकिल नहीं खरीद रहें है।
साईकिल योजना का एक पहलू यह भी है कि छात्राओं को साईकिल खरीदने के लिए राशि तो दे दी गई है पर संचालन के लिए के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है जिसकी वजह से छात्राओं को ट्रॉफिक  नियमों की जानकारी नहीं होने पर दुर्धटनाऐं होती रहती है।

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