तुम्हारे सौंदर्यबोध में मैंने बहुत से शब्द ढूंढे़
अपनी भावनाओं को कोरे कागज पर बारम्बार उकेरा
फिर उसके टुकडे़-टुकड़े किए
हर बार शब्द शर्मा जाते........
फिर इस तरह किया मैंने
अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त
गुलाब की अबोध-नि:शब्द पंखुड़ी को
लिफाफे में बंद कर तुम्हें भेज दिया..........
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