राष्ट्रीय कन्या दिवस को लेकर भले ही सरकार के द्वारा बड़े बड़े दावे
किये जातें हो पर जमीनी सच्चाई सरकारी दाबों से बिल्कुल इतर है। कन्याअों
के विकास को लेकर न तो सरकार गम्भीर है और न ही समाज। इसी की वानगी है कि
जिले के कई गांवों में बिच्चयां जानवरों के लिए चारा लाने का काम करती है
या फिर गोबर चुनने का काम करती है। अकेले शेखपुरा जिले में प्रति दिन आधा
दर्जन से अधिक कन्या भ्रुण हत्या किए जाने का अनुमान लगाया जाता है। इतना
ही नहीं अल्ट्रासाउण्ड के द्वारा विभिन्न तरह के बिमारियों का ईलाज करने
का दाबा तो किया जाता है पर अल्ट्रासाउण्ड िक्लनिकों का मुख्य कारोबार
कन्या भ्रुण की जांच ही है पर यह कारोबार महज जुबानी ही होती है और इसके
लिए कोई लिखीत पर्ची नहीं होती है। होता यह है कि अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र
पर कन्या भ्रुण की जांच के लिए जाने वाली महिलाओं को चुपचाप रहने की सलाह
दी जाती है तथा जांचोपरान्त महिला के कान में चुपके से जांच पदाधिकारी के
द्वारा बता दिया जाता है कि उनके गर्भ में कन्या भ्रुण है या पुरूष
भ्रुण। लाखों की मशीन लगा कर चलाए जा रहे यह कारोबार को पकड़ने की कोई
कार्यवाई किसी के द्वारा नहीं की जाती है तथा यह कारोबार बेरोकटोक जारी
रहता है। पिछले पांच सालों से जिले में अल्ट्रासाउण्ड का केन्द्र के
द्वारा यह कारोबार किया जा रहा है पर आज तक न तो कभी इसकी जांच हुई और न
ही किसी के उपर कोई कार्यवाई की गई। कुछ केन्द्र तो बिना निबंधन के ही
संचालित किया जा रहा है। बताया जाता है कि एक भ्रुण परिक्षण के लिए 700
से 1200 रू0 लिए जाते है तथा महज कुछ मिनट में ही बता दिया जाता है कि
भ्रुण की हत्या होनी है या जीवन मिलना है।
इस पूरे प्रकरण में सबसे दुखद पहलू यह है कि कन्या भ्रुण हत्या के लिए
कई नीम हकीमों की दुकान गलियों को खोल दिया गया है जहां महज कन्या भ्रुण
हत्या ही किया जाता है और वह भी महज 200 से लेकर 400 रू0 में। इन
केन्द्रों को निरीक्षण किसी के द्वारा नहीं किया जाता है और बेरोक टोक यह
संचालित रहता है। कन्या भ्रुण हत्या में पुरूषों के साथ साथ महिलाओं का
भी बड़ा योगदान रहता है और महिलाऐं स्वयं पहल कर भ्रुण की जांच कराती है
तथा भ्रुण हत्या भी।
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no one is intersted in saving girl child and even if they want to its only for giving birth to a male child why else the goverment could not find one single woman to feaure in the advertisement
जवाब देंहटाएंठीक कह रहे हैं आप, और ठीक ही कह रही हैं रचना जी.
जवाब देंहटाएंांअपकी हर बात से सहम्त मगर ये केवल औरत के हाथ मे नहीं कन्या को जन्म देने के लिये उसे क्या क्या सहन करना पडता है ये केवल वही जानती है। जब तक पुरुश चाहता है कि उसका वंश चले तब तक ये होता रहेगा। ये कुकर्म तभी खत्म होगा अगर इस की जड तक जाया जाये और उन कारणो के लिये कुछ उपाय किये जायेंलडकियों की सुरक्षा और दहेज जैसी कुरीति को स्माप्त किया जाये। धन्यवाद इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाने के लिये।
जवाब देंहटाएंKhaskar aadiwasi ilaqome sarkar se ration aur paise leneke liye ladkiyon ko jaan boojhke kuposhit rakha ja raha hai!
जवाब देंहटाएंKhair...Gantantr diwas aapko anek shubhkamnayen!