18 जनवरी 2010

वर्तमान समर के सदंर्भ में

समर भूमि में
सत्य की पराकाष्ठा
कर्ण की परिणति की पुर्नावृति होगी।

और
असत्य की पराकाष्ठा
बनाएगा `दुर्योधन´-
कालखण्डों का खलनायक।

शेष
कृष्ण की तरह
सत्य से प्रतिवद्ध
असत्य से स्पृह
अस्पृह
किसी के भगवान होने की अभिप्सा से
छल और छला कर भी जो सत्य-विजय का संधान किया।

कर्ण भले कहलाया महायोद्धा
दानवीर
पर समर में वह पराजित कहलाया।

अर्जुन का गाण्डीव जो रूकता
सत्य का पराभव नहीं होता?
कर्ण
प्रलम्भन से खेत न जाता
तो असत्य को कौन हराता?
अस्वथामां और गुरू द्रोण
दुर्याेधन और पितामह भीष्म
के साथ अगर प्रवंचन न होता
तो परिकल्पित होता
``पृथक महाभारत´´।

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