शिखर..........................काव्य धारा
शिखर पर पहुंचना बहुत मुिश्कल है।
साहस
धैर्य
निरन्तर प्रयास
और जुनून हो
तो हर कोई पहुंच सकता है..
मुिश्कल है शिखर पर टिक पाना!
अहं
घृणा
विवेक शून्यता की पराकष्ठा से
गिर पड़ता है
शिखर पर पहुंचा हुआ
``आदमी´´
और टूट का बिखर जाता है। टू
शिखर पर पहुंचना बहुत मुिश्कल है।
साहस
धैर्य
निरन्तर प्रयास
और जुनून हो
तो हर कोई पहुंच सकता है..
मुिश्कल है शिखर पर टिक पाना!
अहं
घृणा
विवेक शून्यता की पराकष्ठा से
गिर पड़ता है
शिखर पर पहुंचा हुआ
``आदमी´´
और टूट का बिखर जाता है। टू
मुश्किल है शिखर पर टिक पाना!
जवाब देंहटाएं-सत्य वचन!