11 सितंबर 2023

70 वर्ष की उम्र में पहला जन्मदिन मनाना...

70 वर्ष की उम्र में पहला जन्मदिन मनाया

अरुण साथी की कलम से

70 वर्ष की उम्र में पहला जन्मदिन मनाना सुनकर अटपटा लग सकता है। परंतु यह हकीकत है। दरअसल, बरबीघा के प्रख्यात चिकित्सक, सेवा निवृत सिविल सर्जन डॉक्टर कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह का पहला जन्मदिन सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। जिले के ख्यातिलब्ध लोगों का जुटान हुआ। हैप्पी बर्थडे के धुन पर लोगों ने ठुमके भी लगाए और प्रेम के मधुर रस में डूबे व्यंजनों का आनंद भी उठाया।
दरअसल, पूर्व सिविल सर्जन डॉ कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह का यह पहला जन्मदिन था। आज से ठीक 1 साल पहले उनका किडनी प्रत्यारोपण किया गया था। जीवन और मौत से उन्होंने कई साल लड़ाई लड़ी । 
पहला जन्मदिन इस मायने में ही खास हो जाता है जब उनका किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था वह दौर कोराेना का था । उस दौर में ये शेखपुरा के सिविल सर्जन थे। वैसे में काम का दबाव झेलते हुए सप्ताह में दो-तीन दिन बिहार शरीफ में डायलिसिस करा कर अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करते हुए अपने निजी चिकित्सालय का भी संचालन करना आम बात नहीं थी ।
कोरोना के उसे दौर में स्वस्थ आदमी भी घरों से निकलने से डरता था और ये डायलिसिस करा कर लगातार काम में जुटे रहे । नेकी का यह परिणाम रहा है कि इनका इस उम्र में भी किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा। बड़ी संख्या में लोगों की दुआओं और प्रेम का ही यह परिणाम था। 

आज उदार हृदय से उन्होंने जन्म दिन पर लोगों से मिले। झूमते दिखे। वास्तव में थोड़ी भी ऊंचाई मिलने पर लोग सबसे पहले समाज से कटने लगता है। कई तरह के कुतर्क है। ऐसे में मुरारी बाबू का जबरन समाज में जुड़ना। धुलना मिलना। सामाजिक सरोकार में भागीदारी। आज के इस एकाकी दुनिया में प्रेरक है। हमे इनसे यह सीखना चाहिए। शतायु की हार्दिक शुभकामनाएं।

04 सितंबर 2023

मोदी विरोध का एजेंडा और आम आदमी की समझ

 मोदी विरोध का एजेंडा और आम आदमी की समझ 



तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के पुत्र मंत्री उदयगिरि स्टालिन का यह वक्तव्य की सनातन धर्म डेंगू , मलेरिया जैसा है। इसे खत्म कर देना चाहिए। चौंकाने वाली बात नहीं है। चौंकाने वाली बात यह होती है जब इस तरह का वक्तव्य दूसरे धर्म के लिए कोई कहता। हां इस समय निराशाजनक कई बातें हैं। देश में अभी कथित इंडिया गठबंधन सक्रिय है।   मुंबई की बैठक के तत्काल बाद स्टालिन का यह वक्तव्य आया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी  जो मोहब्बत की दुकान चलाने की बात का दंभ भर रहे हैं , इसे हेट स्पीच की श्रेणी में नहीं रख सके।  दुखद स्थिति है कि नूपुर शर्मा के वक्तव्य को हेट स्पीच का कर हंगामा करने वाले कई यूट्यूब और पोर्टल के सूरमाओं ने भी इसे भी हेट स्पीच की श्रेणी में नहीं रखा। पहले लगता था कि यह सब स्वाभाविक है। पर अब लगता है कि नहीं, यह सब पुर्व-नियोजित रहता है।



देश में तेजी से बदल रही है। देश में संसद का यह सत्र मणिपुर हिंसा और स्त्री के वायरल वीडियो की भेंट चढ़ गया। चढ़ना चाहिए। लोकतंत्र तभी मजबूत है जब विपक्ष मजबूत होगा।

 
पर सवाल आम आदमी के मन में उठते है। मणिपुर में मोदी विरोधी खेमा की सक्रियता रही । पोर्टल, यूट्यूब और सोशल मीडिया के सूरमा खूब बहादुरी दिखाए। परंतु यह कम बताया गया कि मणिपुर इंफाल उच्च न्यायालय के द्वारा मैतेई को जनजाति का आरक्षण देने के आदेश से कैसे यह हिंसा भड़की । यह भी कम बताया गया कि जंगलों में कैसे बर्मा से भागे लोगों ने कब्जा किया है। कैसे वहां अफीम की खेती करके देश को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह भी नहीं बताया गया कि कैसे वहां नागा, मैतेई, कुकी,  सभी संगठनों के पास अपना अपना सेना जैसे गिरोह है।

एक मैतेई महिला के साथ दुराचार की खबर भी उस स्तर से नहीं दिखाई गई जैसे कूकी महिला के नग्न कर घुमाने की खबर। किसी भी हिंसा, महिला अत्याचार को सही नहीं ठहराया जा सकता । सभ्य समाज में तो कतई   नहीं होना चाहिए। परंतु केवल चयनित हिंसा, अपराध, महिला दुराचार के मामले को प्रचारित करना हम समझते हैं कि उन अपराधियों से भी ज्यादा नीचतापूर्ण कार्य करने जैसा है।


इतना ही नहीं इस सब के बीच हरियाणा के नुंह में शोभायात्रा के दौरान नियोजित तरीके से घेराबंदी और रास्ता रोककर युद्ध जैसी रणनीति अपनाते हुए हमला किया जाना, पुलिस और लोगों की मौत की खबर को भी औपचारिकता भर इन गिरोह के लोगों के द्वारा दिखाया गया।
सबके बीच राजस्थान में स्त्री के निर्वस्त्र करने की ताजा खबर भी गिरोह के लोगों ने कम नहीं दिखाया और सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश नहीं की। और ये वही लोग है जो गोदी मीडिया चिल्लाते है।

उधर, लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कुछ ऐसा करने की बात कही कि 1000 साल तक लोग याद रखें। इधर, संविधान और लोकतंत्र को खतरे में बताया जाने लगा। इस बीच अचानक पर संसद का विशेष सत्र को बुला लिया गया है। एक देश, एक चुनाव की सक्रियता बढ़ी है। चर्चा यह भी है कि एक देश, एक कानून का मुद्दा भी लाया जाएगा।

इस सबके बीच युवाओं की बेरोजगारी, सरकारी नौकरी में अवसर का कम होना, महंगाई, गरीब का और गरीब होना, अमीर का और अमीर होना ऐसे मुद्दे दबा दिए गए। ले-दे कर अडानी को घेरने की पूरी कोशिश हुई । ठीक वैसे ही फिर हो रही है, जैसे एक निजी कंपनी के द्वारा अमेरिका में यह कह  दिया गया कि अडानी कंपनी ने  बड़ी गड़बड़ी की और उस पर मोदी सरकार को घेर लिया गया। जबकि उस निजी कंपनी की विश्वसनीयता हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। सामान्य तौर पर वैश्विक स्थिति में कभी कोई भारत जैसे विकासशील देश की कंपनियों को अपने यहां सरवाइव करने नहीं देगा चाहेगा।

मुद्दे कई हैं। खैर ऐसे मुद्दे पर सरकार को नहीं न घेर कर टमाटर के लाल होने की खबर ऐसे चलाई गई जैसे अमृत की बूंद हो। देश का किसान और गांव का आदमी टीवी और नेताओं का बयान देख कर चौक रहा था। अभी टमाटर की खेती का समय नहीं है। ऐसे में आम आदमी टमाटर खाने की नहीं सोचता। विशेष आदमी की बात अलग है। ऐसे में 2000 किलोमीटर से फ्रीज वाहन से टमाटर लाकर ₹2 किलो की बिक्री भला कौन करता। इस सबमें चौंकाने वाली बात यह रही कि मोदी विरोध में किसान और किसान पुत्र भी टमाटर के मंंहगे होने पर रुदाली बन गए। कमाल की बात है कि जिस गोदी मीडिया को नेताओं के द्वारा गाली दिया जा रहा था और कहा जा रहा था कि उनकी खबरों को नहीं दिखाया जाता वही गोदी मीडिया ने मुंबई सहित गठबंधन के सभी बैठकों को लगातार कवर किया। कमाल की बात यह भी है कि युट्युब, पोर्टल वाले सूरमा मोदी को पानी पी पीकर गाली देते हैं और यह भी कहते हैं कि भारत में बोलने की आजादी नहीं है।


सवाल सत्तापक्ष से भी है। ₹700 रसोई गैस मंहगा कर के चुनाव के समय में ₹200 सस्ता करना ठीक वैसे ही लग रहा जैसे किसी स्त्री को निर्वस्त्र करके उसे एक गमछी उपहार में देना। युवाओं को नौकरी देने में पीछे होनाद्ध अग्निवीर के रूप में सैनिक भर्ती में अपना कैरियर तलाशने वाले युवाओं को अवसर हीन करना । ऐसे कई सवाल हैं।

 इन सवालों का जवाब बिहार सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार को दिया भी है। उन्हें पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली सहित कई बहाली को तेजी से निष्पादित करना, केंद्र के लिए चुनौती दिया गया है। 


इस सब के बीच विपक्ष की एकता का फलाफल जो भी निकले। आम आदमी में विभिन्न राजनीतिक बयानों, गतिविधियों से देश का एक बड़ा वर्ग यह तो सोच ही रहा है कि यह सब एक वर्ग के तुष्टीकरण के लिए किया जा रहा है। इसके अनेकों कारण है। ताजा मामला बिहार में हिंदुओं की छुट्टी में कटौती, स्टालिन का बयान, हिंदू धर्म ग्रंथों को जलाने की तत्परता इत्यादि है। ऐसे में  गठबंधन कहां तक मोदी सरकार को गिराने में सफल होती है यह समय के गर्त में है परंतु आम आदमी की सोच में महागठबंधन की यही  छवि बनी है।


 

28 अगस्त 2023

लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी

लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी

हे फेसबुक, तुम्हारे इस दिव्य अंर्तजाल पट्ट पर बहुत सारे सेलिब्रिटी हैं इसका अंदाजा मुझे पहले नहीं था। इतने सारे सेलिब्रिटी मेरे फ्रेंड लिस्ट में है, यह तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था । पिछले कुछ दिनों से जब यह मैसेज सभी लोगों ने अपने-अपने पोस्ट में डाल कि फेसबुक का नया नाम मीटा हो रहा है। नियम बदल रहा है।  फोटो तथा अन्य सामग्री को फेसबुक कॉपी कर लेगा।  सभी ने यह घोषणा की कि मेरा फोटो और अन्य सामग्री यहां से कॉपी नहीं किया जाए, तब जाकर मुझे यह एहसास हुआ। यह भी जाना कि इस पूरे विश्व व्यापी मंच पर केवल मैं ही लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी हूं।


आत: हे फेसबुक, मैं तुमको पूर्ण अधिकार देता हूं कि मुझे जैसे लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी का फोटो, वीडियो, कविता, आलेख कुछ भी यदि तुम कॉपी करते हो तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मैं करबद्ध होकर प्रार्थना करता हूं कि मेरी सारी सामग्री को तुम कॉफी करो।  उसका उपयोग करो। ताकि मैं भी सेलिब्रिटी बन जाऊं।

25 अगस्त 2023

शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना बिहार के लिए आठवां अजूबा, धन्यवाद तो दिजिए

शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना  बिहार  के  लिए  आठवां  अजूबा,  धन्यवाद  तो  दिजिए 





शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना बिहार के पूरी व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती थी परंतु इसे सच कर दिखाया गया । बिहार में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले से लेकर आम लोग तक बिहार में कदाचार मुक्त प्रतियोगिता परीक्षा हो जाए, इसे आठवां अजूबा मानते हैं परंतु शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त बीपीएससी के द्वारा करा दिया गया है।

बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल कुमार की कर्मठता को इसका बड़ा श्रेय जाता है। परंतु सरकार के मंशा को भी खारिज नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। जिस तरह से पिछले बीपीएससी की परीक्षा में कदाचार का  वीडियो वायरल हुआ उससे बीपीएससी जैसी संस्था के इज्जत पर बट्टा ही लगा था। इस बार शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त होना  प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी उम्मीद है।


इसके लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति परीक्षा केंद्र पर दर्ज कराना एक कारगर हथियार तो रहा है। कई सेटर के द्वारा यह भी सेटिंग की गई थी कॉपी में नाम और रोल नंबर भरकर सादा छोड़ देना है। बड़े स्तर पर सेटिंग करके उसे भर दिया जाएगा, लेकिन परीक्षार्थी बताते हैं कि 50% से कम प्रश्नों के उत्तर देने वालों से एक आवेदन लिया गया है जिसमें कहा गया है कि वह 50% से कम प्रश्नों का उत्तर दिए है।

 जिस तरह से केंद्र सरकार के सीटेट में कंप्यूटर  परीक्षा में पूरी तरह से कंप्यूटर सेंटर को मैनेज करके कंप्यूटर हैक कर सीटेट की परीक्षा विद्यार्थी पास कर गए थे उससे निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा था। परंतु इस परीक्षा से उम्मीद जगी है।

सत्ता और विपक्ष के प्रतिद्वंदिता का परिणाम कहें अथवा कुछ भी, बिहार आज पूरे देश में नौकरी देने के मामले में अग्रणी राज्य बन रहा है। 175000 शिक्षक की बहाली उसी की एक कड़ी है। नरेंद्र मोदी की सरकार निश्चित रूप से युवाओं को निराश  की है और उम्मीद भी आगे नहीं है। 4 साल पर रेलवे की वैकेंसी एक भी नहीं दी गई है। अन्य वैकेंसी में भी कटौती है। वैसे में बिहार सरकार एक रास्ता तो दिखा रही है।

33 अगस्त को रक्षाबंधन का समाचार जब एक अखबार में देखा...

कल जब मैं इस खबर को देखा, 33 अगस्त को रक्षाबंधन तो अचानक से चौंक गया। विश्वास नहीं हुआ, परंतु व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इस ज्ञान की पड़ताल भी जरूरी थी। इस बात से अलग सबसे पहले मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आज सोशल मीडिया ने कैसे हमारे दिमाग को हैक कर लिया है। कोई कह दे की कौवा आपका कान लेकर भाग गया है तो हम सीधा कौवा के पीछे दौड़ने लगते हैं हम बिल्कुल ही अपने कान को नहीं देखते।

वायरल अखबार का हिस्सा

 33 अगस्त को रक्षाबंधन की खबर यह बताने के लिए काफी है कि हमारे दिमाग में कितनी नकारात्मकता भरी हुई है । यदि 33 अगस्त इसमें नहीं लिखा हुआ होता तो शायद ही कोई इस बार चर्चा कर पाते और संज्ञान लेते।

 परंतु 33 अगस्त कई जगह लिखा होने भर से यह वायरल हो गया । इसको हम सब ने वायरल किया , मतलब की नकारात्मक चीजों को हम तेजी से पढ़ते हैं और उसे प्रसारित भी कर देते हैं। खैर इस मानसिकता के दौर में आज सोशल मीडिया के वजह से हम लोग बीमार हो गए हैं और अभी तक इसका कोई इलाज भी नहीं मिला है।

 फिर भी मैं यह बताना चाहता हूं कि कल से ही इस खबर की पड़ताल मैं कर रहा था। आखिरकार मैं सफल हुआ और यह खबर फेक खबर निकाली। देखिए सच्ची खबर क्या है।


गंदगी, नकारात्मक, बदबू और चरित्र हनन इन चीजों पर हम तेजी से विश्वास करते हैं और इसे तेजी से फैलाते हैं कई नकारात्मक लोग इन चीजों को समझ गए हैं और इसी हिसाब से वे हमारे दिमाग से खेलते हैं। इसी में 31 अगस्त को 33 अगस्त भर कर देने से हम उनके शिकार हो गए।

ऐसा केवल एक अखबार के कतरन भर का मामला नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में सामाजिक तौर पर भी आदमी इसी नकारात्मकता का या तो शिकार बन रहा है या कोई शिकारी बनकर यह काम कर रहा है।

इस दौर में हमें बेहद ही सतर्क, सजग और सावधान रहने की जरूरत है। इसके लिए सोशल मीडिया के एक दशक से अधिक अनुभव के बाद मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी बात पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना है और उससे पहले, मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी गंभीर से गंभीर मुद्दे पर त्वरित प्रतिक्रिया भी नहीं करनी है।

 समझ बूझकर करनी है और यदि 24 घंटे का इंतजार कर लेते हैं तो कई मुद्दे बदलकर सच के रूप में सामने भी आ जाते है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक और जातीय स्तर के मामलों में कई बार ऐसा मैंने अनुभव किया है। 

तो बस आखिर में निष्कर्ष यह की किसी भी मामले में अधिक कोई नकारात्मक बात आपको दिखे तो कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम शांत हो जाइए। उसे वायरल नहीं करिए। उसको फैलाइए मत और और आप देखेंगे कि समय के साथ-साथ सामने आ जाएगा।
असल समाचार


16 जुलाई 2023

बिहार में लाठी की राजनीति का सच

राजनीति हमेशा से दोहरी और विरोधाभासी की चरित्र की होती है। बिहार में भाजपा के नेताओं पर लाठी चार्ज की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर है। भाजपा के समर्थक इस लाठी चार्ज को तानाशाही से जोड़कर हंगामा कर रहे हैं तो महागठबंधन के समर्थक लाठी में तेल लगाकर सबक सिखाने के जुमले भी तेजी से वायरल कर रहे हैं। 

इस सबके बीच कुछ सच भी होता है जो आम लोग अपनी समझ लगाकर उसे देख सकते हैं। जैसे की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के द्वारा शनिवार को कहा गया की 10 लाख नौकरी स्थाई रूप से जब तक नहीं दिया जाएगा आंदोलन जारी रहेगा। दुर्भाग्य से 15 साल तक भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार के साथ सत्ता में रही है और इसी में नियोजन का प्रसाद वितरण भी हुआ है।

 फिर भारतीय जनता पार्टी किस मुंह से स्थाई नौकरी की बात करती है। यह सवाल आम जन के मन में अवश्य उठता होगा परंतु बात राजनीति की है सो अपने अपने खेमे के हिसाब से किसी भी चीज का प्रसार होता है।

 लाठी के प्रसार को लेकर भी यही हो रहा है । बीजेपी के नेताओं पर भी जमकर लाठी चार्ज हुआ और इसके भी तस्वीर प्रसारित हो रहे हैं। वही बिहार में जितने भी आंदोलनकारी छात्र, युवा, शिक्षक ने पटना में आंदोलन किया सभी पर लाठियां बरसाई गई और उन समय में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी। सवाल यही उठता है कि हम करें तो रासलीला तुम करो तो कैरेक्टर ढीला।

इस सबके बीच लाठी चार्ज को कतई सही नहीं ठहर जा सकता । इसी आंदोलन में एक भाजपा नेता की जान भी चली गई। अब इसको अपने अपने हिसाब से बेचने की तैयारी भी हो रही है। सत्ता पक्ष जिसे झूठ और विपक्ष सही ठहरा रहा, परंतु आंदोलन के अधिकार को छीनना किसी भी रूप से सही नहीं है। बिहार में शिक्षक बहाली में डोमिसाइल को खत्म करना निश्चित रूप से गलत है। इस बहाली में शिक्षकों को पुनः परीक्षा के लिए स्वतंत्र करना निश्चित रूप से गलत है। बिहार में वर्षों बाद शिक्षक बहाली को बीपीएससी के माध्यम से लिया जाना निश्चित रूप से सराहनीय भी है।

11 जुलाई 2023

बिहार को जानो: सासाराम का रमणीय स्थान मंझार और धुआं कुंड

बिहार को जानो: सासाराम का रमणीय स्थान मंझार और धुआं कुंड

रविवार को बिहार के पर्यटन स्थलों की स्थिति और उसकी जानकारी को लेकर साथियों के साथ सासाराम के लिए निकला । रास्ते में चाय पानी करते हुए कहीं बेहतरीन सड़क तो कुछ-कुछ निर्माण कार्य की वजह से खराब सड़कों पर चलते हुए सासाराम पहुंचा।
शुरुआत में साथियों के साथ सासाराम के तुतला भवानी जलप्रपात देखने की योजना थी। इसकी जानकारी और खूबसूरत तस्वीर बड़े भाई और दैनिक जागरण के आरा प्रभारी कंचन भैया के माध्यम से मिली।

परंतु रास्ते में साथियों की सहमति से मां तारा चंडी मंदिर और उसके ऊपर मांझर झील को देखने का प्रोग्राम बना। मांझर कुंड जाने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है ।

 प्रवेश द्वार पर आधार कार्ड के माध्यम से निःशुल्क रजिस्ट्रेशन कराकर गाड़ी के साथ पहाड़ी स्थल पर चढ़ गया । सड़कों की स्थिति ठीक-ठाक रही। पहाड़ी क्षेत्र पर पर्यटन विभाग के द्वारा ज्यादा सक्रियता कहीं दिखाई नहीं दिया। 

 रविवार की वजह से बाइक और चार चक्का सवार गाड़ियों का काफिला दिखाई दिया। मांझर कुंड पर सरकार के द्वारा एक लोहे के बैरिकेडिंग को लगाया गया है। उस पर तार से यह सूचना दे दी गई है कि नीचे सावधान रहें ।
नए लोगों के लिए यह थोड़ा असमंजस की स्थिति वाला जगह है। वहां जाने पर मांझर कुंड में स्नान करने के लिए कम और पिकनिक स्पॉट के रूप में इसका इस्तेमाल ज्यादा हो रहा था। हमलोग पिकनिक की तैयारी से नहीं गए थे।

बगल में एक धुआं कुंड भी था पर थकान की वजह से वहां नहीं जा सका।
खास बात यह रही कि शराबबंदी का माखौल यहां खुलेआम होता हुआ दिखाई दिया । कई जगह भोजन भी बना रहे लोग शराब का सेवन करते दिखाई दिए। जगह जगह बोतलों की भरमार। बोतलों को तोड़ दिए जाने की वजह से जगह जगह शीशे बिखरे थे।


मांझर कुंड में जहां पानी बहता है वहां कायी की वजह काफी फिसलन वाला जगह है। जिस पर यदि सावधानी से लोग नहीं चले तो कमर टूटने की गारंटी है और यदि तेज रफ्तार पानी रहा तो फिर संभलना मुश्किल है और जान पर भी बन सकता है।
खैर, हम सभी साथी किसी तरह, यूं कहें कि पानी में बैठ कर घीसकते हुए दूसरी तरफ गए और ऊपरी छोर पर जाकर स्नान किया । भारी संख्या में लोगों के द्वारा वह स्नान किया जा रहा था। कई लोग मांसाहारी भी थे । सुरक्षा की स्थिति कमी दिखाई दी । 

कुछ युवतियां और महिलाएं स्नान कर रही थी और वहीं पर मनचले लोगों के द्वारा तंज किया जा रहा था। इसको लेकर वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था दिखाई नहीं दिया। मनचलों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ था कि वह अपशब्द का प्रयोग भी करते हुए दिखाई दिए।

पर्यटन विभाग के द्वारा यहां कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी। फिर भी यह एक रमनिक जगह है और पिकनिक स्पॉट के रूप में यहां आनंद उठाया जा सकता है। यहां से लौटने के क्रम में पहाड़ पर रास्ते में जाम की स्थिति दिखाई दी जहां बिहार पुलिस के कुछ जवान पहुंचे और जाम से वाहनों को निकालने में जुट गए।

रास्ते में लौटने के क्रम में राजगीर पहुंचा जहां मलमास मेले की तैयारी रात दिन जोरों से चल रही है।
खैर, वहां से निकलने के बाद देर शाम घर पहुंचे। रास्ते में हंसी मजाक का सिलसिला भी चलता रहा ।