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मौन रहकर गरीब और मध्य वर्ग का मन मोहन वाले का चला जाना..
मौन रहकर गरीब और मध्य वर्ग का मन मोहन वाले का चला जाना..
प्रखर अर्थशास्त्री, गरीबों और मध्य वर्ग के उद्धारक, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को कई लोग कई तरह से याद कर रहे। मेरे जैसा गांव में रहने वाले आम आदमी के लिए मनमोहन सिंह को याद करना अलग है। मैं देश की अर्थव्यवस्था, जीडीपी इत्यादि बिल्कुल नहीं समझता। जमीन पर जुड़ी बातों को समझता हूं।
सौ बात की एक बात। मनमोहन सिंह देश में निम्न और माध्यम वर्ग के उत्थान से लिए काम किया। मौन रहकर, काम करते हुए मन को मोह लिया।
बात 2008/09 की रही होगी। मैंने बाजार में एक बड़ा बदलाव देखा। यह बदलाव गरीब मजदूर के हाथ में पांच–पांच सौ का नोट सहज दिखने लगा। वही नोट बाजार में आने लगे। मेरे लिए यह आश्चर्यजनक बात थी। मैं गरीबी से जुड़ी बातों को बारीकी से देख पाता हूं । फिर एक बार इसे फेसबुक पर लिखा था।
बाद के दिनों में खोजबीन में यह बात आई कि यह महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की देन है। फिर एक न्यूज चैनल के एक बहस, मुझे याद है। एक अर्थशास्त्री ने तर्क दिया। मनरेगा योजना में गड़बड़ी की संभावना थी फिर भी इसे लागू किया।
मनमोहन सिंह का मानना था कि भारत को मजबूत करने के लिए गांव और गरीब के हाथ में पैसा भेजना जरूरी है। इसमें पैसा गांव के लोग के पास ही रहेगा। वही हुआ।
कई बदलाव मील का पत्थर साबित हुआ है। वे बोलते भले कम थे, किया बहुत ज्यादा। मजबूती के कदम उठाया।
60 हजार करोड़ किसानों का कर्ज माफ करना साहसिक कार्य था। सूचना का अधिकार ऐसा ही साहसिक कार्य है। इसी ने उनकी सरकार के कई घोटाले उजागर किए। फिर भी RTI कानून को कमजोर नहीं किया। आज इस कानून के धार को भोथरा कर दिया गया।
शिक्षा का अधिकार। भोजन का अधिकार दिया। गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया। एंबुलेंस से लेकर बहुत कुछ। यह क्रांति भी मनमोहन सिंह की देन है।
समाचारों से जुड़े रहने की वजह से इसपर कई रिपोर्ट किया।
अब घरों में प्रसव दर में भारी कमी आई। अब गरीब माता भी बहुत अच्छी व्यवस्था में सरकारी अस्पताल में अपने बच्चे को जन्म देती है।
गर्भवती को एंबुलेंस के अस्पताल लाया जाता। गंभीर स्थिति में सरकारी अस्पताल में भी सिजेरियन प्रसव कराया जाता है। मेरे बरबीघा जैसे सरकारी अस्पताल में अब हर महीना पांच से सात सिजेरियन डिलीवर हो रहा। जिले के सदर अस्पताल दो दर्जन से अधिक। यह सब तब, जब कई आशा, ममता और नर्स कर्मी मरीज को निजी नर्सिंग होम में लालच में आकर भेज देती है।
सरकारी अस्पताल में गरीब का प्रसव होने पर मोटी राशि मिलती है। बच्चों का नियमित टीकाकरण होता है। जिसपर निजी अस्पताल में 50 हजार से अधिक खर्च होते।बिहार जैसे गरीब प्रदेश में माता, शिशु मृत्यु दर भरी कम हुआ। परिवार नियोजन बढ़ा।
शिक्षा का अधिकार मनमोहन सिंह की देन है। अब गरीब से गरीब बच्चे स्कूल जा रहे। खोज खोज कर अभियान चलता है। जरा सा संपन्न भी निजी स्कूल में बच्चों को भेजते है।
भोजन का अधिकार भी मनमोहन सिंह की देन है। आज जन वितरण से निःशुल्क मिलने वाले अनाज की श्री गणेश मनमोहन सिंह ने ही किया।
मनमोहन सिंह के आर्थिक उदारीकरण को ही आज के मजबूत भारत का आधारशिला माना जाता है।
अब समझिए। आज देश के बड़े बदलाव में आधार कार्ड की अहम भूमिका है। यह आधार कार्ड मनमोहन सिंह की ही देन है।
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