11 सितंबर 2024

जिंदाबाद आदमी है डॉक्टर कृष्ण मुरारी जी।

जिंदाबाद आदमी है डॉक्टर कृष्ण मुरारी जी।

71 वर्ष की उम्र में दूसरे जन्म का दूसरा जन्म दिन हर्षोल्लास से मनाना बहुत बड़ी है। डॉक्टर कृष्ण मुरारी जी। डॉक्टर होकर भी समाज से जुड़े रहे। समाज के होकर, समाज के साथ रहे। 
आज के दौर में बुराई तो एक ढूंढो, हजार मिलेंगे। बुराई ढूंढने वाले भी लाखों है। बस दूसरों की तरफ उठी एक उंगली पर हमारा अहंकार इतना होता है कि अपनी तरफ के तीन उंगलियों को भूल जाते है।
इसी को लेकर निदा फाजली की गजल है।

जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना

यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना

घर की तामीर चाहे जैसी हो
इस में रोने की जगह रखना

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना

मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना

पर हम अब कहां आईना रखने में विश्वास रखते है। 

खैर, बात डॉक्टर कृष्ण मुरारी जी की। कल ही जब साथ बैठे भुट्टा खा रहे थे तो हंसते हुए कहा, "मरना तो एक दिन है ही तो क्यों नहीं जी भर कर जी लें।"

जीवन के कठिन से कठिन घड़ी में इनको उदास, हताश नहीं देखा। 

कई बातें है। पर केवल एक बात। दूसरे कोरोना काल में ये शेखपुरा के सिविल सर्जन थे। इसी बीच इनका किडनी फेल हो गया। ये डायलिसिस कराते हुए अपना काम मजबूती से करते रहे। कभी पीछे नहीं हटे, डटे रहे। बोलते थे, "धुत्त, जे होतय। देखल जयतै।"

उस महामारी के पहले दौर में ही इन्होंने कहा था, "अरे यह कोई महामारी है । इसका वायरस तो साबुन से हाथ धोने से मर जाता है। डरना क्या है। हाथ धोते रहिए। सावधानी रखिए।"

फिर 68 वर्ष की उम्र में इनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। ये जरा भी नहीं डरे। पॉजिटिव सोचते रहे। आज उसी ट्रांसप्लांट की वजह से ये अपना दूसरा जन्म दिन, गोशाला में बड़े आयोजन के साथ मना रहे। जिंदादिली। जिंदाबाद है। 

इनके शतायु होने की प्रार्थना ईश्वर से करते है। 






22 अगस्त 2024

उच्चतम न्यायालय का क्रिमी लेयर, भारत बंद और अमीर गरीब का वर्ग संघर्ष

उच्चतम न्यायालय का क्रिमी लेयर, भारत बंद और अमीर गरीब का वर्ग संघर्ष 

अरुण साथी, वरिष्ठ पत्रकार 

वामपंथी पार्टियों का मूल सिद्धांत वर्ग संघर्ष का था।  अब वह भी जाति संघर्ष में बदल गई। पर सामाजिक चेतना, दबे कुचले का उत्थान, निचले पायदान के गरीबों को अगली   पंगत में खड़ा करना सभी जागरूक सामाजिक, राजनीति लोगों की महती जिम्मेवारी है।

खैर, सबसे पहले बुधवार को जो भारत बंद हुआ वह एससी, एसटी एक्ट में क्रिमीलेयर को लेकर ऊपरी तौर पर था, अंदर-अंदर अमीर हो चुके अनुसूचित जाति के लोगों ने यह बात फैलाई की उच्चतम न्यायालय और नरेंद्र मोदी के द्वारा आरक्षण खत्म करने की साजिश की जा रही है। 

दूसरी बात अनुसूचित जाति के कई जातियां जो बहुत दयनीय हालत में है, इस भारत बंद में उनकी भागीदारी कम रही। 

मेरे जिला में एकमात्र मुसहर जाति का नेता अशर्फी मांझी की माने तो इसमें मायावती और रामविलास पासवान के समर्थक जातियों के द्वारा ही मुख्य रूप से अपने गांव के आसपास पर जाम किया गया । 

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने पटना के एक सम्मेलन में मंगलवार को ही बहुत ही साहसिक तरीके से उच्चतम न्यायालय के फैसले का समर्थन किया और राज्य सरकार से कोटा के अंदर कोटा की मांग कर दी। 

साथ ही उन्होंने ऐलान कर दिया भारत बंद में गरीब दलित शामिल नहीं होंगे। 

उन्होंने साफ कहा कि कोटा में गरीबों के लिए कोटा होना चाहिए। अमीर हो चुके दलित यह झूठ फैला रहे हैं कि आरक्षण खत्म होगा। यह वही अमीर दलित हैं , जो 95 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। 

अब सुप्रीम कोर्ट के वास्तविक फैसले पर जाने से पहले जमीन पर चलते हैं। 

मैं गांव में रहता हूं । मेरे गांव में सौ घर मुसहर, पांच घर डोम के साथ-साथ , पासी रविदास इत्यादि रहते हैं । मेरे गांव के बगल के कई गांव में पासवान जातियों की बहुलता है। 

मेरे गांव में मुसहर और डोम की पूरी की पूरी आबादी अशिक्षित है। मेरे गांव में एकमात्र रंजन मांझी की एक बेटी मैट्रिक पास करके आगे की पढ़ाई कर रही है। 

अब कुछ बच्चे स्कूल जाने लगे हैं पर केवल चार-पांच महीने ही ये बच्चे स्कूल जाएंगे। उसके बाद सभी बच्चे अपने माता-पिता के साथ 6/8 महीने के लिए पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा के भट्ठा पर जाकर ईंट बनाने में माता-पिता की मदद करेंगे। 

कई दलित जातियों  ज्यादातर शिक्षित हैं। कई नौकरी कर रहे हैं। कई संपन्न हुए हैं। 

मुसहर इत्यादि जातियां आज भी सरकारी जमीन पर मिट्टी की झोपड़ी में 10 लोगों का परिवार रहता है। राजनीतिक रूप से भी चेतन नहीं हैं। 

मेरे पूरे जिले में मुसहर जाति से एकमात्र अशर्फी मांझी ही नेता है। 

अब सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह क्या है। उच्चतम न्यायालय के सात सदस्य के बेंच ने 6 और 1 से अपने फैसले में एससी, एसटी को मिलने वाले आरक्षण में क्रिमीलेयर (अमीर) की पहचान कर उसके लिए कुछ कम आरक्षण और जो गरीब हैं, उसके लिए अधिक आरक्षण के प्रावधान किए जाने की बात कही है।  ऐसा केंद्र सरकार को नहीं, राज्य सरकार को करने का अधिकार दिया गया है। 

पिछड़े वर्ग और आर्थिक आधार पर जो ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दिया गया है, उसमें भी क्रीमीलेयर की पहचान है।


भ्रम फैलाया गया  कि आरक्षण खत्म किया जाएगा। दलित की एकता तोड़ने की साजिश है, आदि इत्यादि। और इस बात को हवा दे मोदी से खुन्नस खाए तथाकथित क्रांतिजीवी यूट्यूबर पत्रकारों ने। 


एससी, एसटी एक्ट पर भी उच्चतम न्यायालय का एक फैसला आया। जिसमें कहा गया कि मुकदमा होने के पूर्व डीएसपी इसकी जांच करेंगे, इसमें कई केस झूठा हो रहा है।  पर देश में भ्रम फैलाया गया कि मोदी सरकार एससी, एसटी एक्ट को खत्म कर रही है।

आंदोलन हुआ और  दवाब में आकर  मोदी सरकार ने कोर्ट के फैसले को रोक लगाकर देश का नुकसान कर दिया।

 परिणाम भयावह है। जो पिछड़ी जाति, (यादव खास करके) इस एक्ट पर राजनीतिक कारणों से दलितों का समर्थन कर रही थी। आज 70 से 80 प्रतिशत वही पीड़ित है। 

ताजा मामला देखिए । मुजफ्फरपुर में एक गरीब दलित नाबालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसा निंदनीय और दुखद कुकर्म हुआ। पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया। वह यादव जाति का था। औरंगाबाद का एक स्वघोषित बहुजन सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष गोल्डन दास अपने सैकड़ो समर्थकों के साथ आरोपी के गांव और घर पर धावा बोल दिया। लूटपाट की। मारपीट किया। तोड़फोड़ किया। 

मतलब यह कि अभी भारत की राजनीति समानता के अधिकार से विमुख होकर असमानता को बढ़ावा दे रही है। वोट बैंक की राजनीतिक सर्वोपरि है। भोगना सभी समाज को पड़ेगा, बस।





07 अगस्त 2024

बांग्लादेश का तख्तापलट के बाद उकसाने की साजिश

बांग्लादेश का तख्तापलट के बाद उकसाने की साजिश

बांग्लादेश का तख्तापलट कट्टरपंथी, सीआईए, आईएसआई की साजिश ही है। छात्र आंदोलन का नकाब पहनाया गया। यदि नहीं तो स्वतंत्रता आंदोलन के सैनिक के परिजन को 30 प्रतिशत जो आरक्षण हाई कोर्ट ने दिया उसके नाम पर शुरू हुआ आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरक्षण खत्म करने के फैसले के बाद खत्म हो जाता। 
खैर, अब वहां, अराजक स्थिति है। अल्पसंख्यक हिंदुओं का सरेआम कत्ल किया जा रहा। मंदिरों में आग लगाए जा रहे। 

इस सब के बाद भी तथाकथित सेकुलर मोदी विरोध के नाम पर दबी जुबान से भारत में भी इसी तरह की अराजकता के लिए मोदी विरोधी को उकसा रहे। 

यह बेहद खतरनाक बात है। कई नेता किंतु परंतु के साथ उकसाने वाली भाषा बोल रहे। कई लोग किंतु परंतु के साथ सोशल मीडिया पर लिख रहे। 

ऐसे कुंठित लोग खतरनाक इरादे रखते है। उन्हें पता होना चाहिए। भारत का आम मानस लोकतंत्र पोषक है। देश विरोधी षड्यंत्रों को नाकाम जनता करती है। देश की सत्ता को गिराने में विदेशी ताकतें कैसे काम करती है इसका उदाहरण, पाकिस्तान, श्री लंका, बंगलादेश है। यह महज बंगलादेश के बहाने भारत को घेरने की साजिश है। विश्वास है कि भारत सरकार इसे संभाल लेगी। ताकतवर को कमजोर करने के लिए साजिशें इतिहास का हिस्सा रही है। नया कुछ नहीं है।

चूंकि बंगलादेश की पीएम शेख हसीना भारत समर्थक थी, इसलिए मोदी विरोधी खुशी का सार्वजनिक प्रदर्शन कर रहे। उन्हें यह समझना चाहिए कि मोदी हमेशा नहीं रहेंगे, देश हमेशा रहेगा।

एससी एसटी आरक्षण में क्रिमिलेयर, एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा डीएसपी से जांच, सीआईए, किसान बिल, 

 किसान आंदोलन, तानाशाही प्रोगांडा, संविधान खतरे में, की आड़ में देश को जलाने का प्रयास दो बार हुआ। केंद्र ने संयम से असफल किया। मोदी को हराने में असफल लोग, देश को हराना चाहते है। यह दुर्भागपूर्ण है।

अरुण साथी

30 जुलाई 2024

बड़हिया के श्रीधर ओझा ने माता वैष्णो देवी और माता बाला त्रिपुर सुंदरी की स्थापना की

 बड़हिया के श्रीधर ओझा ने माता वैष्णो देवी और माता बाला त्रिपुर सुंदरी की स्थापना की


(यात्रा वृतांत- बिहार को जानो भाग -5)

बिहारी अस्मिता, कला, संस्कृति, सौंदर्य, अध्यात्म, सब कुछ  को धीरे धीरे किनारे लगाया गया है। जातिवाद के विषबेल से अपनी कमाई साधने वालों ने इसकी सबसे अधिक नकारात्मक छवि गढ़ी। राजगीर, गया, नवादा का ककोलत, सासाराम, कैमूर, वैशाली, सीतामढ़ी, चंपारण इत्यादि कई ऐसे स्थान है जो ठीक से गढ़े जाते तो बिहार एक धार्मिक और पर्यटक स्थल होता।



ऐसा ही एक स्थल है लखीसराय का बड़हिया। जहां कई सौ साल पहले  एक आध्यात्मिक संत   श्री धर ओझा जी ने जन्म लिया । श्रीधर ओझा, जिन्होंने माता वैष्णो देवी की स्थापना की। वे जम्मू कश्मीर में तपस्या किए। वे बड़हिया के मूल निवासी थे। 


उन्होंने ही बड़हिया में माता बाला त्रिपुर सुंदरी की स्थापना की। आज यह पूर्वांचल का एक प्रमुख माता का जाग्रत मंगला पीठ है। इसे ग्रामीणों के सहयोग से दिव्य और भव्य रूप से संचालित किया जा रहा।

इस मंदिर की एक खास बात यह भी लगी की माता के मंदिर में पुजारी भी नारी शक्ती होती है। सुबह-शाम को छोड़कर,  दिन भर महिला पुजारी श्रद्धालूओं की मदद करती है। पूजा कराती है।  पुजारी महिलाएं ब्राह्मण व  सवर्ण  नहीं,  बल्कि  अन्य  जातियों  की  होती है।  


रविवार को साथियों के साथ यहां जाना हुआ। मेरे यहां से टाल-टाल होकर यह आज महज 35 किलोमीटर पर यह स्थित है। यह संभव हुआ है नीतीश कुमार की सरकार और  मुंगेर सांसद ललन सिंह के सदप्रयास से। हरोहर नदी दो-दो पुल बना दिए। कभी बरसात में यहां के लोग घरों से नहीं निकलते थे। 


आज उस गांव में सड़क, बिजली, सब है। गांव में बड़े बड़े, भव्य मकान बन रहे। पहले लोग पैसा होते ही गांव से पलायन करते थे। खैर, बड़हिया के आभासी दुनिया से वास्तविक दुनिया तक पहुंचने वाले ग्रामीण सौरभ जी, पत्रकार मित्र  कमलेश जी का सानिध्य मिला। आदर भाव भी मिला। आह्लाद मिला।  माता का दर्शन भी किए। फोटो सेशन भी हुआ। 



04 जुलाई 2024

मजबूत विपक्ष प्रधानमंत्री की बड़ी चुनौती

 मजबूत विपक्ष प्रधानमंत्री की बड़ी चुनौती 


देश के सदन में संसद के मानसून सत्र में इस साल बिजली कुछ अधिक ही कड़क रही है। मतों की बारिश से जिस किसान को खुशी माननी चाहिए, वह चिंतित है। जैसे उम्मीद से बहुत ही कम बारिश हुई हो। वैसे में फसलों को बचाना अधिक परिश्रम का काम हो जाता है। खेत को जोतने, खर पतवार को निकोने। खाद देने और आरी (मेड़) में चूहे के द्वारा जगह-जगह किए गए छेद को दुरुस्त करने के बाद कम बारिश से निराशा होनी ही चाहिए। पर किसान तो प्रति वर्ष यही करता है। खेतों को स्वच्छ, सबल बनाने का काम गर्मी से ही शुरू करता है। 


उधर, जिनके यहां बूंदाबांदी हुई वे नितरा रहे। नितराना स्वाभाविक ही है। रेगिस्तान में बूंदाबादी भी खुशी देती है। देहात में एक कहावत है, 

एक लबनी धान होते ही मजदूर नितराने लगता है। 

यह अच्छा ही है। पर बहुत अच्छा नहीं है। इसी नितराने ने राहुल गांधी ने हिंदुओं को हिंसक और नफरत फ़ैलाने वाला बता दिया। बाद में सुधार कर कहा, बीजेपी हिंदू नहीं है। आरएसएस हिंदू नहीं है।

राहुल गांधी ने यह सब अकस्मात नहीं कहा है। उनको पढ़ाया, रटाया गया है। 

राहुल गांधी के इस कथन और प्रधानमंत्री के सदन में संबोधन में हंगामा। विपक्ष की राजनीति का हिस्सा है।

इस सब से विपक्षी खेमा आह्लाद से भर गया है। विपक्षी खेमा के क्रांतिकारी पत्रकार, बुद्धिजीवी, नेता, कार्यकर्ता, सभी की बांछे खिल गई है। प्रतिपक्ष के नेता राहुल के इस अक्रमकता से वे फूले नहीं समा रहे। 

राहुल गांधी ने जिनके लिए यह सब किया। उनके पास संदेश पहुंच गया। 


अब इसी बीच, अग्निवीर, नीट पर्चा लीक जैसे जनसरोकार की आवाज भी सदन में गूंजें। यह लोकतंत्र के लिए सुखद है। इस सबके बीच हिंदुओं को अपमानित करके अपने वोट बैंक को साधना, दुखद भी है। इसपर बहुत कुछ लिखने से फायदा नहीं है। अपने अपने खेमेबाजी के हिसाब से ही लोग पढ़ेंगे। पता है। तब भी। 

जब प्रतिपक्ष के नेता सदन में ऐसा कह रहे थे , उसी समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से कहा की वे हिंदू है। यह धर्म हमें सेवा का भाव सीखता है।

अब, एक विचार तो कई के मन में उठा ही है। क्या 26/11 , 9/11, शर्ली हब्दो, कमलेश तिवारी, कन्हैया लाल जैसे हजारों उदाहरण के बाद भी उस समुदाय के लिए सदन में ऐसा बोलने का कोई साहस करेगा...?


सर तन से जुड़ा का फार्मूला आज विश्व की चुनौती है। पर जिस धरती से निकले हिंदुत्व को आज पूरी दुनिया में स्वीकारिता बढ़ी है। बासुधैब कुटुंबकम का मंत्र दुनिया ने स्वीकार किया है, वह अपने देश में तिरस्कार पा रहा। डेंगू, मलेरिया कहा जा रहा। यह सहिष्णुता भी इसी में है।

यह सब वोट बैंक की तुष्टिकरण के लिए हो रहा। यह सच है। ऐन केन प्रकारेन, सत्ता चाहिए। हलांकि हिन्दूओं में भी कुछ बददिमाग, कट्टरपंथी पनपने लगे है। पर समाज उसको तिरस्कृत कर रहा है। 

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह कार्यकाल चुनौतीपूर्ण है। यह संकेत साफ है। जनसरोकार के मुद्दे को नजरंदाज करने की पुरानी आदत अब छोड़नी होगी। यह तो तय है। इसके संकेत भी मिल रहे।

वहीं सदन में प्रधानमंत्री का यह कहना कि हिंदुओं के अपमान को बाल हठ नहीं मन सकते, सही ही है। उन्होंने सभी बिंदुओं पर मजबूती से बातों को रखा। वे अपने वोट बैंक को साध रहे। पर एक बात है कि देश के युवाओं के लिए अग्निवीर, सरकारी नौकरी एवं बड़ी समस्या है। इस अवाज को सुनना चाहिए। तर्क गढ़ कर झूठ को सच नहीं बताना चाहिए।  

17 जून 2024

देवेश चंद्र ठाकुर का कड़वा सच

 देवेश चंद्र ठाकुर का कड़वा सच 


अलगू-मुझे बुला कर क्या करोगी? कई गाँव के आदमी तो आवेंगे ही।
खाला-अपनी विपद तो सबके आगे रो आयी। अब आने-न-आने का अख्तियार उनको है।
अलगू-यों आने को आ जाऊँगा; मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा।
खाला-क्यों बेटा ?
अलगू-अब इसका क्या जवाब दूँ? अपनी खुशी। जुम्मन मेरा पुराना मित्र है। उससे बिगाड़ नहीं कर सकता। खाला-बेटा, क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?
हमारे सोये हुए धर्म-ज्ञान की सारी सम्पत्ति लुट जाय, तो उसे खबर नहीं होती, परन्तु ललकार सुन कर वह सचेत हो जाता है। फिर उसे कोई जीत नहीं सकता। अलगू इस सवाल का कोई उत्तर न दे सका, पर उसके हृदय में ये शब्द गूँज रहे थे-क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?


मुंशी प्रेमचंद के पंच परमेश्वर के ये संवाद हर किसी के मन में रचा बसा है। यही संवाद आज सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर  ने कही तो बवाल हो गया। देवेश चंद्र ठाकुर एक घीर-गंभीर व्यक्तित्व के धनी नेता है। कभी विवादास्पद बयान नहीं देते। इसीलिए इसे मैं गंभीरता से लेते हुए  उनका समर्थन करता हूं। मैंने पहले भी अपने कई आलेखों में कई उदाहरण से यह बात रखी है। जाति-धर्म पर वोट  ने गरीब जनता का बड़ा नुकसान किया है। अब समर्पित राजनीतिज्ञ भी गरीब से गरीब जनता के हित में काम करना इसलिए नहीं चाहते। उनको पता है कि करेजा भी निकाल के रख दो तब भी वोट देने वक्त जाति ही देखेगें। 

देवेश ठाकुर ने कई नेताओं के मन की बात सार्वजनिक कर दी है। जब समाज के लिए समर्पित कोई भी नेता बुथ पर मिले वोट को समझेगा तो उसका दिल टूट ही जाएगा। केवल जाति-धर्म।  देवेश ठाकुर ने भी आहत मन से ही कहा कि यादव और मुस्लमान का काम नहीं करेगें। उनका आशय व्यक्तिगत कामों से है। बाद में भी उन्होने मजबूती से अपनी बात का समर्थन किया है। बताया कि कई सालों तक जाति धर्म से उपर उठकर जिन लोगों का व्यक्तिगत काम  किया। उनको लाभ दिया। वे लोग भी चुनाव में वोट नहीं दिए। तब व्यक्तिगत काम क्यों करेगें। सार्वजनिक काम अवश्य करेगें। मेरी नजर से यह सही कहा है। अपना काम लेने में जाति धर्म नहीं देखते। वोट में देखते है। तब दुख तो होगा ही। 

एक दृश्य मेरी आंखों के सामने आज आ गया। दस साल पहले बरबीघा में एनडीए प्रत्याशी शिवकुमार जी चुनाव हार गए। उनके घर पर मिर्जापुर से कोई गरीब बुढ़ा आदमी दवा के लिए मदद मांगने आए। उन्होंने कातर भाव से भावुक होकर हाथ जोड़ लिए और कहा कि उनके पास अब कुछ नहीं है। जनता ने जिसे चुना है, उसके पास जाइए।  इसको समझिए। नई पीढ़ी के नेता बनने वाले अथवा बन चुके नेता अब जनता से जुड़ना पसंद नहीं करते। वे आलाकमान से जुड़ना, सोशल मीडिया पर चमकना, रुपये बनाना अधिक पसंद करता है। सो, देवेश ठाकुर ने कड़वा सच कहा है। सबका मन तो खराब होगा ही।