16 जुलाई 2023

बिहार में लाठी की राजनीति का सच

राजनीति हमेशा से दोहरी और विरोधाभासी की चरित्र की होती है। बिहार में भाजपा के नेताओं पर लाठी चार्ज की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर है। भाजपा के समर्थक इस लाठी चार्ज को तानाशाही से जोड़कर हंगामा कर रहे हैं तो महागठबंधन के समर्थक लाठी में तेल लगाकर सबक सिखाने के जुमले भी तेजी से वायरल कर रहे हैं। 

इस सबके बीच कुछ सच भी होता है जो आम लोग अपनी समझ लगाकर उसे देख सकते हैं। जैसे की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के द्वारा शनिवार को कहा गया की 10 लाख नौकरी स्थाई रूप से जब तक नहीं दिया जाएगा आंदोलन जारी रहेगा। दुर्भाग्य से 15 साल तक भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार के साथ सत्ता में रही है और इसी में नियोजन का प्रसाद वितरण भी हुआ है।

 फिर भारतीय जनता पार्टी किस मुंह से स्थाई नौकरी की बात करती है। यह सवाल आम जन के मन में अवश्य उठता होगा परंतु बात राजनीति की है सो अपने अपने खेमे के हिसाब से किसी भी चीज का प्रसार होता है।

 लाठी के प्रसार को लेकर भी यही हो रहा है । बीजेपी के नेताओं पर भी जमकर लाठी चार्ज हुआ और इसके भी तस्वीर प्रसारित हो रहे हैं। वही बिहार में जितने भी आंदोलनकारी छात्र, युवा, शिक्षक ने पटना में आंदोलन किया सभी पर लाठियां बरसाई गई और उन समय में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी। सवाल यही उठता है कि हम करें तो रासलीला तुम करो तो कैरेक्टर ढीला।

इस सबके बीच लाठी चार्ज को कतई सही नहीं ठहर जा सकता । इसी आंदोलन में एक भाजपा नेता की जान भी चली गई। अब इसको अपने अपने हिसाब से बेचने की तैयारी भी हो रही है। सत्ता पक्ष जिसे झूठ और विपक्ष सही ठहरा रहा, परंतु आंदोलन के अधिकार को छीनना किसी भी रूप से सही नहीं है। बिहार में शिक्षक बहाली में डोमिसाइल को खत्म करना निश्चित रूप से गलत है। इस बहाली में शिक्षकों को पुनः परीक्षा के लिए स्वतंत्र करना निश्चित रूप से गलत है। बिहार में वर्षों बाद शिक्षक बहाली को बीपीएससी के माध्यम से लिया जाना निश्चित रूप से सराहनीय भी है।

11 जुलाई 2023

बिहार को जानो: सासाराम का रमणीय स्थान मंझार और धुआं कुंड

बिहार को जानो: सासाराम का रमणीय स्थान मंझार और धुआं कुंड

रविवार को बिहार के पर्यटन स्थलों की स्थिति और उसकी जानकारी को लेकर साथियों के साथ सासाराम के लिए निकला । रास्ते में चाय पानी करते हुए कहीं बेहतरीन सड़क तो कुछ-कुछ निर्माण कार्य की वजह से खराब सड़कों पर चलते हुए सासाराम पहुंचा।
शुरुआत में साथियों के साथ सासाराम के तुतला भवानी जलप्रपात देखने की योजना थी। इसकी जानकारी और खूबसूरत तस्वीर बड़े भाई और दैनिक जागरण के आरा प्रभारी कंचन भैया के माध्यम से मिली।

परंतु रास्ते में साथियों की सहमति से मां तारा चंडी मंदिर और उसके ऊपर मांझर झील को देखने का प्रोग्राम बना। मांझर कुंड जाने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है ।

 प्रवेश द्वार पर आधार कार्ड के माध्यम से निःशुल्क रजिस्ट्रेशन कराकर गाड़ी के साथ पहाड़ी स्थल पर चढ़ गया । सड़कों की स्थिति ठीक-ठाक रही। पहाड़ी क्षेत्र पर पर्यटन विभाग के द्वारा ज्यादा सक्रियता कहीं दिखाई नहीं दिया। 

 रविवार की वजह से बाइक और चार चक्का सवार गाड़ियों का काफिला दिखाई दिया। मांझर कुंड पर सरकार के द्वारा एक लोहे के बैरिकेडिंग को लगाया गया है। उस पर तार से यह सूचना दे दी गई है कि नीचे सावधान रहें ।
नए लोगों के लिए यह थोड़ा असमंजस की स्थिति वाला जगह है। वहां जाने पर मांझर कुंड में स्नान करने के लिए कम और पिकनिक स्पॉट के रूप में इसका इस्तेमाल ज्यादा हो रहा था। हमलोग पिकनिक की तैयारी से नहीं गए थे।

बगल में एक धुआं कुंड भी था पर थकान की वजह से वहां नहीं जा सका।
खास बात यह रही कि शराबबंदी का माखौल यहां खुलेआम होता हुआ दिखाई दिया । कई जगह भोजन भी बना रहे लोग शराब का सेवन करते दिखाई दिए। जगह जगह बोतलों की भरमार। बोतलों को तोड़ दिए जाने की वजह से जगह जगह शीशे बिखरे थे।


मांझर कुंड में जहां पानी बहता है वहां कायी की वजह काफी फिसलन वाला जगह है। जिस पर यदि सावधानी से लोग नहीं चले तो कमर टूटने की गारंटी है और यदि तेज रफ्तार पानी रहा तो फिर संभलना मुश्किल है और जान पर भी बन सकता है।
खैर, हम सभी साथी किसी तरह, यूं कहें कि पानी में बैठ कर घीसकते हुए दूसरी तरफ गए और ऊपरी छोर पर जाकर स्नान किया । भारी संख्या में लोगों के द्वारा वह स्नान किया जा रहा था। कई लोग मांसाहारी भी थे । सुरक्षा की स्थिति कमी दिखाई दी । 

कुछ युवतियां और महिलाएं स्नान कर रही थी और वहीं पर मनचले लोगों के द्वारा तंज किया जा रहा था। इसको लेकर वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था दिखाई नहीं दिया। मनचलों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ था कि वह अपशब्द का प्रयोग भी करते हुए दिखाई दिए।

पर्यटन विभाग के द्वारा यहां कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी। फिर भी यह एक रमनिक जगह है और पिकनिक स्पॉट के रूप में यहां आनंद उठाया जा सकता है। यहां से लौटने के क्रम में पहाड़ पर रास्ते में जाम की स्थिति दिखाई दी जहां बिहार पुलिस के कुछ जवान पहुंचे और जाम से वाहनों को निकालने में जुट गए।

रास्ते में लौटने के क्रम में राजगीर पहुंचा जहां मलमास मेले की तैयारी रात दिन जोरों से चल रही है।
खैर, वहां से निकलने के बाद देर शाम घर पहुंचे। रास्ते में हंसी मजाक का सिलसिला भी चलता रहा ।

07 जुलाई 2023

पितृसत्तात्मक समाज की शिकार ज्योति मौर्या

 पितृसत्तात्मक समाज की शिकार ज्योति मौर्या


सोशल मीडिया पर ज्योति मौर्या का प्रसंग ऐसे छाया जैसे ओडीएफ के बाद भी पिछड़े गांव की सड़कों पर चोता छाया हो । हर तरफ  दुर्गंध। पर दुर्भाग्य से वे लोग भी इस कथित दुर्गंध पर नाक पर रुमाल रखकर सोशल मीडिया पर उल्टी करते रहे जिन्होंने सड़कों पर यह रायता फैलाया।


ज्योति मौर्या का प्रसंग आज के युग में भी समाज पर पितृसत्ता के हावी होने का प्रमाण है।  यह इस बात को भी प्रमाणित करता है कि सोशल मीडिया का चरित्र कौवा के द्वारा कान को लेकर भागने की खबर की तरह है । इसमें हम अपना कान नहीं देखकर, कौवा के पीछे दौड़ते चले जाते हैं। खैर, प्रसंग ज्योति मौर्या का है।

आज हम छिद्रन्वेषी दौर में जी रहे हैं। वहीं ज्योति के साथ यही हुआ । सवाल फिर भी कई हैंञ यह हर किसी के मन में उठी चाहिए थी। पहला सवाल यह है कि क्या एक पति के द्वारा शादी के पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी बता कर शादी करना उचित था, जबकि वह एक सफाई कर्मी था ।

दूसरा यह कि शादी के 13 साल बाद तक क्या कोई अपनी पत्नी के लिए लाख मेहनत करें तो बिना उसकी प्रतिभा के वह एसडीएम जैसे बड़े पद पर जा सकती है ।

तीसरा यह कि क्या  जो पत्नी से प्रेम करेगा वह आंसू के सहारे उसे बदनाम करेगा।

चौथा यह कि पत्नी को पति की अव्यवहारिकता, आक्रामकता पर उससे अलग होने का अधिकार नहीं होगा ।

 हमारे आसपास पति की क्रूरता की कहानी भरे हुए हैं ।  आज की खबर है कि एक पति ने पत्नी और बच्चे को जिंदा जला दिया। ऐसी कई खबरें लगातार आती है।  हमारा समाज इस पर चुप रहता है। हमारा समाज स्त्री को संस्कार और सदाचार के उसी कटघरे में आज भी खड़ा करता है जहां से पुरुषों के लिए ही केवल क्रूरता, अत्याचार और व्यभिचार के रास्ते खुलते हैं।



मेरे लिए तो भोगा हुआ सच है। यदि कोई कोई क्रुर, सनकी, अहंकारी, बेटी के सांसों पर हक रखने वाला और बेटी विद्रोह कर दे हो तो अपनी कमियों को छुपाने के लिए वह दूसरे को बदनाम  करने के हर हथकंडे को अपनाता है। चरित्रहनन और इमोशनल अत्याचार करता है ।   अपने पापों को इसी आवरण में छुपा कर साधु महात्मा बनता है। परंतु मेरा अनुभव है कि समय के साथ ऐसे पापियों की नीचता परदे से बाहर आती है और समाज को सच पता चलता है। निश्चित रूप से ज्योति मौर्या के प्रसंग में धीरे-धीरे सच सामने आएगा। जैसे कि एक वीडियो वायरल होने का सच सामने आया। वह झुठ वीडियो निकला।

एक प्रसंग याद आता है। जब गांव के प्रधान में एक प्रेम विवाह के बाद गांव की बेटी को प्रताड़ित करते हुए कहा कि पूरे गांव नाक कटा दी। शर्म नहीं आया। तो लड़की ने पलट कर जवाब दिया। हां ठीके कहो हो। तों जे अप्पन बेटिया के नौकरवा वाला पेटा गिरा के दोसर वियाह कर देलहो, ओकरा में तो तोरा शर्म नै बड़लो

03 जुलाई 2023

गुरु पूर्णिमा पर विशेष: ओशो कहते है गुरु तुम्हारे ज्ञान को छीन लेता है

गुरु पूर्णिमा का परमगुरु ओशो के विचार


शिष्य हो जाना एक महान क्रांति है, लेकिन भक्त होने की तुलना में कुछ भी नहीं। किस क्षण शिष्य परिवर्तित होकर भक्त बनता है? गुरु की ऊर्जा, उसका प्रकाश, उसका प्रेम, उसका मुस्कराना, उसकी उपस्थिति मात्र से शिष्य इतना पोषित हो जाता है- और बदले में वह कुछ दे नहीं सकता। ऐसा कुछ है ही नहीं जो वह दे सके। एक क्षण आता है जब वह गुरु के प्रति इतना अनुग्रहित होता है कि वह अपना सिर गुरु के चरणों में झुका देता है। स्वयं को देने के अतिरिक्त उसके पास कुछ भी नहीं होता। उसी समय से वह गुरु का ही अंग बन जाता है। गुरु के हृदय के साथ उसका हृदय धड़कने लगता है। वह गुरु के साथ एकलय हो जाता है। यही है गुरु के प्रति एकमात्र अनुग्रह, कृतज्ञता, कृतार्थता।


गुरु ज्ञान देता नहीं, तुम्हारे ज्ञान को छीन लेता है। गुरु तुम्हें भरता नहीं, खाली करता है। गुरु तुम्हें शून्य बनाता है। क्योंकि शून्य में ही पूर्ण का आगमन हो सकता है। गुरु तुम्हें खाली करता है, ताकि परमात्मा के लिए जगह हो सके। वह पहले तुम्हें परम अज्ञानी बना देता है, क्योंकि जैसे ही तुम परम अज्ञान की प्रतीति से भर जाते हो, वैसे ही परमात्मा के द्वार खुल जाते हैं। गुरु शब्द का उपयोग करेगा, लेकिन भली-भांति जानते हुए कि शब्द केवल भूमिका है। सत्य उससे दिया नहीं जा सकता। गुरु तुम्हारे एक कांटे को दूसरे कांटे से निकालता है। फिर कहता है दोनों कांटे फेंक दो।