31 अक्तूबर 2018

मंदिर मस्जिद साथ साथ एकता दिवस पे बिशेष

#एकता_दिवस #मंदिर_मस्जिद साथ साथ

आज एकता दिवस है। मंदिर मस्जिद का मुद्दा फिर चुनाव आते ही चरम पे है। विकास, रोजगार, रोटी का मुद्दा गौण। इसके लिए केवल नेताओं को दोषी मानना गलत है। नेता तो व्यपारी है। जो माल सबसे अधिक बिकेगा वही माल दुकान में सजायेंगे।

पर पता नहीं गांव के लोगों को मंदिर मस्जिद मुद्दे के बारे में पता भी है या नहीं। यह तस्वीर बहुत कुछ कहती है। यह तस्वीर है शेखपुरा जिला के बरबीघा प्रखंड के डीह निजामत गांव की।

मंदिर और मजार दोनों साथ साथ हैं। मंदिर में भी पूजा होती है और मजार पर भी चादर चढ़ाई जाता है। मुसलमान अपने इबादत में रहते हैं और हिंदू अपनी पूजा में।

आज तक कभी किसी विवाद की बात सामने नहीं आयी।

यह अलग बात है कि सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनल और राजनीतिज्ञों के द्वारा देश की एकता खतरे में बताई जाती है परंतु गांव के लोग देश की एकता की डोर मजबूती से थामे हुए है।

बाकी तो जो है से हैइये है।

खुदा एक है घर अलग अलग बसा लिए हमने!
कहीं मस्जिद, कहीं गिरजा, कहीं मंदिर बना लिए हमने!!

30 अक्तूबर 2018

मीटू

#मीटू
अरुण साथी

स्थान पटना का मौर्यालोक। एक राजस्थानी नवयौवना युवती फुटपाथ पे है। वह राजस्थानी श्रृंगार के गहने बेच रही है।

तभी एक पड़ोसी फुटपाथी कंमेंट करता है।

"लेने के बदले नगर निगम वाला कितना रुपैया दिया!"

युवती सुन कर भी अनसुना करते हुए भाव शून्य चेहरे को ऊपर करती है। उसकी आँखों में गहरे काले काजल थे। शायद वह दुनिया की बुरी नजर में तप कर ही जवान हुई है।

उसके नजर उठाते ही फुटपाथी दुकानदार बात पलट देता है।

"नहीं कह रहा था कि नगर निगम वाला कितना पैसा लिया दुकान लगाने का..!!"

आसपास के सभी फुटपथियों के चेहरे पे वासनायुक्त मुस्कान थी पर युवती भाव शून्य चेहरा लिए सबको टुकुर टुकुर निहारती रही!

मैं सोंचने लगा, काश इसके पास भी फेसबुक, ट्वीटर और व्हाट्सएप होता तो यह भी मीटू लिखती..😢

29 अक्तूबर 2018

विकास

विकास

प्रखंड में पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक चल रही थी। जिले के आला अधिकारी मौजूद थे। पंचायती राज के सबसे निचले पायदान के प्रतिनिधि वार्ड सदस्य भी मौजूद थे।

आला अधिकारी वार्ड सदस्य को डरा-धमका रहे थे।

"विकास कार्य गुणवत्तापूर्ण करिए नहीं तो जेल चले जाइएगा। सारी जिम्मेदारी आपकी है।"

एक वार्ड सदस्य सच में डर गया। मायूस होकर बोला।

"सर, चार लाख के योजना में डेढ़ लाख तो साहेब अउ मुखिया जी कमिशने में चल जा हय, हमरा अर के तो दू पैसा बचबे करो हई। बढ़िया रोड कैसे बनत।"

सब टुकुर टुकुर एक दूसरे का मुँह देखने लगे।

26 अक्तूबर 2018

धौंस

#धौंस

अरुण साथी

पटना के मौर्या लोक में कुल्हड़ की चाय बेचते है दाढ़ी वाले बाबा। चाय प्रेमी होने की वजह से चला गया। कुछ भी पूछिये, हिंदी कम, अंग्रेजी ज्यादा बोलते है।

खैर, चाय ली और जैसे ही होठों से लगाया उसकी कड़क सोंधी खुशबू और स्वाद मन में घुलता चला गया। आह। एक कप और लिया।

इसी बीच बातचीत जारी रही। आधा अंग्रेजी आधा हिंदी। आरा से प्रत्येक दिन आते है। बक्सर में एसपी से लड़ गया। अपने जमाने के ग्रेजुएट है, इत्यादि।

तभी एक कार से बर्दीधारी सिपाही उतरा और चाय का आर्डर दिया। कार से अंकल अंकल कहके एक बच्ची उसे परेशान कर रही थी। शायद बॉडीगार्ड है। मुझे क्या।

वह भी चाय पीने लगा। जब पैसे देने की बारी आयी तो वह पहले तो आनाकानी किया पर जब बाबाजी ने मांग लिया तो दस का नोट बढ़ा दिया। बाबाजी ने तीन रुपये लौटा दिया।

वह एक दम से भड़क गया।

"साला एक कप चाय का सात रुपया! पूरे पटना में यह रेट नहीं है। तुम्हीं लोग लूटते हो साले। जब सियाही को नहीं छोड़ रहे तो पब्लिक का क्या करोगे।"

"लूटने का काम तो आपका है बाबूजी, हम लोग तो मेहनत मजदूरी करके कमाते खाते है।" बाबाजी ने दो टूक जबाब दिया।

सिपाही कुछ बोलता की तभी चाय पीने वाले सभी सिपाही पे टूट पड़े। "फ्री में चाय खोजते है।" सिपाही चुपके से खिसक लिया।