एक मुट्ठी छांव की कीमत ₹20
एक मुट्ठी छांव की कीमत ₹20 होती है। यह पहली बार एहसास हुआ। दरअसल एनटीपीसी सीबीटी 2 एग्जाम देने के लिए पिछले दिनों कानपुर बच्ची के साथ जाना हुआ। एग्जाम के दिन है 1 घंटे बिलंब से ट्रेन पहुंची तो आनन-फानन में रेलवे स्टेशन से 27 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र पर जैसे तैसे मात्र 1 मिनट पहले पहुंच सका। परीक्षा हॉल में बच्ची प्रवेश कर गई तब जाकर यह ख्याल आया कि अब 2 घंटे इंतजार कहां करें?
परीक्षा हॉल के आसपास 1-2 भवन ही थे और जिसके दरवाजे बंद थे । बाहर बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी। एग्जाम सेंटर देने वालों के द्वारा यह जरा भी ख्याल नहीं रखा जाता कि विद्यार्थी और उसके अभिभावक कुछ देर कहां बैठेंगे।
शायद यह इंडस्ट्रियल एरिया था। आस-पास कोई पेड़ पौधे नहीं। बबूल का एक छोटा सा पेड़ दूर दिखाई दे रहा था। जिसके आसपास 100 से अधिक लोग बैठे हुए थे। इसी बीच चाय के सामने चार पांच दुकानें थी। जिसके अंदर प्लास्टिक का छप्पर बनाकर छोटा सा बेड लगाकर बैठने की व्यवस्था की गई थी। दुकानदार से पूछने पर एक मुट्ठी छांव की कीमत ₹20 प्रति व्यक्ति बताया। कोई विकल्प नहीं था तो 2 घंटे के लिए ₹20 देकर वहां बैठ गया।
प्लास्टिक के छप्पर के नीचे इतनी भीषण गर्मी थी कि कहा नहीं जा सकता।
दुकान में थोड़ा बोतल बंद शीतल पानी पी पीकर किसी तरह समय कटा और फिर वहां से कानपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा। शाम को 7:00 बजे रेलगाड़ी थी। मतलब कि 6 घंटे तक रेलवे प्लेटफार्म पर इंतजार करना था। उम्मीद नहीं थी कि यह इतना भारी होगा। प्लेटफार्म पर इंतजार करना ठीक उसी तरह रहा जैसे ग्लूकोन डी के प्रचार में तपती धूप में सूरज शरीर से पूरी एनर्जी को खींच लेता हो। 6 घंटे में बेचैन हो उठा। पंखा भी आग उगल रहा। पहली बार पता चला कि कानपुर एक सर्वाधिक गर्म शहर है।
खैर ट्रेन आई। एग्जाम स्पेशल ट्रेन थी तो ज्यादा भीड़ नहीं थी। कम ही लोग थे। केंद्र सरकार ने इतना ख्याल जरूर रखा के किसी तरह परीक्षार्थी परीक्षा देने के लिए पहुंच जाएं।
किसी तरह से हम लोग ट्रेन पर सवार हुए और फिर ट्रेन खुल गई भारतीय रेल की परिपाटी यहां खूब दिखाई दी। रेलगाड़ी 5 घंटे विलंब से पटना पहुंची। सुबह 8:00 बजे की जगह दोपहर 1:00 बजे। खैर, बच्चों के जीवन में बच्चों के संघर्ष के साथ खड़े होना बच्चों को तो हौसला देता ही है खुद अपने को भी एक हौसला मिलता है। यह हौसला तब और बढ़ जाता है जब बेटी अपने, स्वावलंबन, सम्मान और स्वाभिमान के लिए दृढ़ता से संघर्ष कर रही हो। जीवन की सार्थकता यही तो है। कहते हैं ना संघर्ष जितना का बड़ा होगा सफलता उतनी बड़ी होगी.....