25 दिसंबर 2019

हुड़दंग की बात

हुड़दंग की बात

क्या खबर लाए हैं नारद मुनि जी । खबर सपाट है महाराज। उन्होंने संविधान बचाने के नाम पर संविधान को मानने से इनकार कर दिया है। वे लोग सड़कों पर फ़ैसला करना चाहते हैं । ठीक शाहबानो प्रकरण की तरह।


उन लोगों का साफ मानना है कि वह संविधान को बचाने के लिए संविधान को ही तार-तार कर देंगे। इसीलिए वे सड़कों पर उतरे हैं। गाड़ियों को जला देना। लोगों को मारने मरने के लिए छोड़ देना। यही उनकी मंशा है। पुलिस वालों को मारो तो सही है और पुलिस वाले मारने लगे तो जुल्म हो जाता है। हम करें तो रासलीला। तुम करो तो कैरेक्टर ढीला।



ये लोग ऐसा कर क्यों रहे । सुना है कि इन लोगों को कहा गया है कि देश से भगा कर पाकिस्तान भेज दिया जाएगा । आपने ठीक ही सुना है। हालांकि ऐसा कहीं कहा नहीं गया है । परंतु बिना कहे हुए भी कुछ लोग बहुत दिनों से यह प्रयास कर रहे थे कि लोग कुछ सुन ले और फिर जो बात कही नहीं गई है उसे सुनकर हंगामा बरपा दिया जाए तो हंगामा हो रहा है।


आदत सी हो गई है इनको। लगता है कि न्याय इनके अनुसार होना चाहिए। न्याय से नहीं। दिक्कत यही है कुछ लोग लगे हुए थे आग में घी डालने के लिए, सो पेट्रोल डाल दिया। अब आग लग रहा है। जब आग लगी है तो राजनीतिज्ञों के द्वारा रोटियां भी सेंकी जाएगी। असल में ऐसे लोगों को लाशों के छीछीएनी गंध पे पकी रोटियों को चाव से चवाने की आदत है।




अब यह कह रहे हैं कि दुश्मन देश पाकिस्तान के लोगों को भी भारत में नागरिकता दे दीजिए। अब बताइए जिन पर जुल्म हुआ उसे भी वही अधिकारा। जिसने जुल्म किया उसको भी वही अधिकार। 


इतना ही नहीं गुस्सा तो मीडिया वालों पर भी है। अब एक सच कहो तो एक तरफ से जाइए और दूसरा सच कहो तो दूसरी तरफ से जाइए। संविधान बचाने वाले चौथे खंबे पर भी गुस्सा निकाल रहे हैं। आग लगा रहे हैं।अभिव्यक्ति की आज़ादी मांग रहे हैं और  दूसरों की छीन भी रहे है।


सभी लोग अपने मन की बात सुनना चाहते हैं। फेसबुक पर भी यही। उनकी मन की बात कहो तो अच्छा, नहीं करो तो भक्त। दूसरे की मन की बात करो तो अच्छा, नहीं करो तो सेकुलर कुत्ते।

मतलब अपनी डफली, अपना राग । बजाते रहो। लोकतंत्र है भाई। ढीमिर, ढीमिर करते रहिए। 

07 दिसंबर 2019

जब मैंने उस पागल कुत्ता को मार डाला

बात तीन-चार साल पुरानी है। गांव में एक पागल कुत्ता आ गया। उस कुत्ता को गांव से भगाने में गांव के युवक जुट गए। कुत्ता ने पहले कई लोगों को काट लिया था। कुत्ता को गांव से भगाने के क्रम में मेरे घर का दरवाजा खुला देख कुत्ता घर में प्रवेश कर गया। हालांकि मेरी बेटी कुत्ता घर में प्रवेश नहीं करें इसके लिए घर के मुख्य दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया । परंतु उसे इस बात का अहसास नहीं था कि कुत्ता घर में प्रवेश कर चुका है।



घर में उस खतरनाक पागल कुत्ता के घुसने की सूचना पर कोहराम मच गया। घर में बच्चे भी थे और बुजुर्ग पिता जी घर के दरवाजे वाले हॉल में लेटे थे। कुत्ता उसी रास्ते से घर के अंदर प्रवेश किया और बाहर भी उसी रास्ते से निकलना था।

पिताजी की तबीयत खराब थी और वह सो रहे थे। मुख्य दरवाजे के बंद होने से गांव के युवा घर में नहीं आ सकते थे।

मैं लाठी लेकर कुत्ता को भगाने के लिए आगे बढ़ा। कुत्ता पर लाठी से प्रहार किया । मुझे आज भी वह मंजर याद है । जब मैंने कुत्ता पर लाठी चलाई तो कुत्ता ने अपने मुंह से लाठी को पकड़ लिया और अजूबा तरह से गुर्राने लगा।  सुनकर मैं सिहर गया।

लाठियों से प्रहार का उस पर  का कोई असर नहीं दिख रहा था। घर में बच्चे को कमरे में बंद कर दिया गया। परंतु जिस रास्ते से कुत्ता को निकलना था बाबूजी उसी रास्ते में सो रहे थे । कुत्ता उस कमरे में भी चला गया। दिक्कत यह हो गई कि उस मुख्य कमरे का दरवाजा अंदर से ही बंद था। कुत्ता एक कोने में जाकर बैठ गया।

 ख़ैर, बेटी ने साहस करके अंदर का दरवाजा खोला। अब वहां कुत्ते पर हमला भी हम लोग नहीं कर सकते थे । बाबूजी वही सो रहे थे। उनको किसी तरह से जगा कर कमरे से निकाला।

कुत्ता अचानक घर से भागने लगा। गांव के कई युवा बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। सभी ने उस पर हमला कर दिया। कुछ दूर जाने पर कुत्ता सभी को खदेड़ने लगा। मैं भी लाठी लेकर निकल गया था। मेरा क्रोध पारावार पर था। घर में कोहराम मच गया था। सभी डरे हुए थे। मैं क्रोधित था। मैंने कुत्ता पर लाठी से प्रहार किया। लाठी उसके सर पर लगी पर उसे कोई असर नहीं हो रहा था। फिर मैंने पूरी ताकत समेट कर उस पर प्रहार किया। 

वह गिर पड़ा और मैं लाठियों से उस पर बेरहमी से प्रहार करने लगा। मेरी लाठी टूट गयी और मैं क्रोध से कांप रहा था। पता नहीं क्यों, पर मैंने उस कुत्ता को मार डाला था। इस घटना को एक कहानी ना समझे। यह एक सच्ची घटना है । हालांकि आप इसे हैदराबाद एनकाउंटर से नहीं जोड़ सकते। यह महज एक इत्तेफाक था कि मेरे साथ ऐसा हुआ।