29 नवंबर 2021

स्नेह का रिश्ता

#स्नेही_रिश्ता 

रिश्ते की अहमियत स्नेह से ही है । अपने और पराए की पहचान सुख-दुख में स्नेह से ही होती है। स्नेह ना हो तो अपना भी पराया। स्नेह हो तो पराया अपना। मनीषियों ने भी स्नेह को ही सर्वोत्तम रिश्ता माना है। 

अस्नेही भाई दुर्योधन  ने द्रोपदी का चीरहरण किया। और स्नेही कृष्ण भाई से बढ़कर हुए।

स्नेह ही है जो एक पप्पी (कुत्ता) को परिवार का सदस्य बना देता है। 

मेरे और मेरे परिवार के जीवन में स्नेह सर्वस्व है। स्नेह न हो तो सड़ांध रिश्ते का बोझ ढोना निरर्थक। इसी स्नेह के रिश्ते की डोर से आज मैं पूर्णिया से अपने भतीजे के साथ घर वापस लौटा । वहां के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय विद्या विहार में रहकर पढ़ाई करने के दौरान तबीयत बिगड़ने पर मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराए जाने के बीच कई स्नेहीजनों ने असीम सहयोग दिया। जिससे ICU से निकल आज पुत्र सुरक्षित घर वापसी की। 

इसमें पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक दयाशंकर जी लगातार अस्पताल से मॉनिटरिंग करते रहे। शनिवार को तबीयत खराब होने पर मित्र अभय कुमार संजोग से पूर्णिया में ही थे और अभिभावक के रूप में तत्काल अस्पताल पहुंचे। फिर पुनेसरा निवासी बड़े भाई चंदर दा के ससुराल के रिश्तेदारों ने पूर्णिया में रहकर काफी सहयोग किया। फिर हमारे चालक विकास पासवान की बहन ने परिवार जैसा सब कुछ किया। वरुण के सहकर्मी विकास यादव अभिभावक बना।संकट की घड़ी में जब भी कोई साथ खड़ा होता है तो जीवन के अंतिम क्षणों तक मानस पटल पर यादें उकीर्ण हो जाती हैं। 

शेखपुरा से पूर्णिया गए पुलिस अधीक्षक दयाशंकर जी यथा नामः तथो गुणः। लगा नहीं कि मैं अपने घर से दूर परेशानी में हूं। सभी के लिए आभार जैसा शब्द में कम पड़ता है। 

एक लघु कथा: नदी में डूबते बिच्छू को जब संत ने अपने हाथों से बचाया तो बिच्छू ने डंक मार दिया। शिष्य ने पूछा तो संत बोले कि जब बिच्छू डंक मारने के अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता तो मैं बचने के अपने स्वभाव को क्यों छोड़ दूं...