ब्राह्मणवाद और छुआछूत हिंदू धर्म के लिए इसे सबसे बड़ा अभिशाप माना गया है। इसी को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करके हिंदू धर्म के विरुद्ध प्रचार करने में बड़े-बड़े महारथी लगे रहते हैं। इसी का परिणाम है कि एक बड़े वर्ग में हिंदू धर्म को लेकर घृणा का भाव व्यापक रूप से देखा जाता है। व्हाट्सप्प विश्वविद्यालय इसमें काफी कारगर साबित हो रहा।
हालांकि मैं हिंदू धर्म का ध्वजवाहक नहीं हूं परंतु एक हिंदू हूं। सनातन धर्म को मानता हूं। इसी वजह से सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखता हूं।
बचपन से कुछ चीजों को देखता रहा हूं जिसको लेकर अब समझ बनी है कि ऐसे सकारात्मक बातों को प्रचारित नहीं किया गया।
इसी में छठ महापर्व भी शामिल है। छठ महापर्व पर ब्राह्मण से किसी तरह का पूजा नहीं कराया जाता। सारा विधि विधान परंपरागत रूप से की जाती है।
जातीय छुआछूत मिटाने को लेकर डोम जाति से सूप दौरा लेकर उपयोग किया जाता है। उसी में अर्घ्य पड़ता है। माली से फूल लेने, पासी से पानी फल लेने, धोबी से पलटा (व्रती का कपड़ा ) लेने सहित कई जातियों की उपयोगिता इसमें है।
सबसे खास बात के छठ घाट पर सभी जाति के व्रत करने वाली एक साथ भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। सभी लोग जब सूर्य की उपासना में अर्घ्य करते हैं तो बगैर जाति देखें जल अर्पण करते हैं। यहां तक कि छठ व्रत करने वाली महिलाओं को बगैर जाति देखे सभी लोग पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।