26 अगस्त 2022

नेशनल डॉग डे : रॉकी मेरा नाम

नेशनल डॉग डे : रॉकी मेरा नाम

अभी पता चला आज नेशनल डॉग डे है। आज मेरा भी एक साथी डॉग है। इसे कुत्ता कहना और सुनना कतई नागवार लगता है। एक अलग अपनापा है । रॉकी, यही नाम है। कहा जाता है कि दुनिया में मनुष्य का पहला मित्र कुत्ता ही हुआ और यह भी कहा जाता है कि युधिष्ठिर के साथ महाभारत के अंत में केवल कुत्ता ही स्वर्ग गया। इसके प्रेम को दूर से महसूस कर पाना असंभव है। 

यह दिसंबर 2019 में अचानक बच्चों की जिद्द पर घर आ गया। मित्र सुधांशु कांति कश्यप के जीजा जी के पटना डेरा से ।

30 दिन के आसपास का बच्चा था। मां का निधन हो गया था। पूरे परिवार ने लाड प्यार से पाला। दरअसल वह दौर परिवार के लिए असीम वेदना का दौर था। खुशी लेकर आया रॉकी पूरे परिवार को अवसाद के उस दौर से निकाल दिया।

उसी दौर में रॉकी खुशी बन कर आया और परिवार का हिस्सा बन गया । पूरे परिवार को एक खिलौना मिल गया । धीरे-धीरे मेरा भी मन ऐसा जीत लिया कि अब मन ही मन हम दोनों बात कर लेते हैं।

 खुशी में खुश , दुख में उदास। रॉकी है। यह कहने को बहुत कुछ है। बहुत समय लगेगा। बस यह के दरवाजे पर स्कूटर से पहुंचने के पहले ही रॉकी मेरे आने को अपनी संवेदना से महसूस कर खुशी से झूमने लगता है। नाराज होने पर मासूमियत से पंजा बढ़ा कर प्यार जताता है। मोबाइल चलाने पर बार-बार रोककर सहलाने के लिए कहता है। कभी-कभी गोदी में उछल कर गले लग जाता है । पांव के पास अक्सर आकर लेट जाता है। बाकी फिर कभी...

10 अगस्त 2022

पलटते नहीं तो कलट जाते नीतीश कुमार

पलटते नहीं तो कलट जाते नीतीश कुमार

बिहार के राजनीति ने पलटी मारी तो नीतीश कुमार के माथे पर ठीकरा तोड़ दिया गया। पर मामला इतना भी सरल नहीं है। राजद के साथ जाने का निर्णय एक दिन में तो नहीं ही हुआ होगा। और राजनीति में स्थाई दाेस्त और दुश्मन नहीं होने की बात सब जानते मानते है। नीतीश कुमार भी राजनीतिज्ञ ही है। इस सबके बीच बीजेपी को इसका श्रेय सर्वाधिक है। हनुमान चिराग से शुरु हुआ ऑपरेशन नीतीश कुमार योजनावद्ध तरीके से चल रहा था। मंत्रियों की निरंकुशता। स्थानांतरण में लेन देन। अंचल में अधिकारी की लूट। जनता त्रस्त। और आरसीपी को एकनाथ शिंदे बनाने की साजिश।
 इतना कुछ होने के बाद किसी के पास क्या बिकल्प बचता है। राजनीति कें दोस्त से पीठ पर छूरा खाने से अच्छा दुश्मन से सीने पर खाना माना जाता है। नीतीश कुमार ने वही किया। बिहार में नेतृत्व बिहीन बीजेपी के पास एक नेता तक नहीं है। कोर वोटर को भी साइड लाइन कर कुछ वोटरों के लिए सबकुछ दांव पर लगाया गया। नीतीश कुमार के वोटर को तोड़ने की सारी कवायद जारी रहा।  नीतीश कुमार पर जनाधार का अपमान का अरोप वहीं लगा रहे जो राजद के साथ वाले नीतीश कुमार को तोड़ खुश हुए थे। बाकी उद्वव ठाकरे के साथ जो हुआ वह नीतीश कुमार होने देते तो अच्छा था। राजनीति करने वाला हर आदमी महत्वाकांक्षी ही होता है। महत्वाकांक्षा न होती तो संत होते। 

और सबसे अहम बात, देश में बढ़ता धार्मिक उन्माद, बेरोजगारी, मंहगाई, नीजीकरण की मनमानी, अग्नीवीर जैसे कई मुद्दे है जो अंदर अंदर लोगों में आग बन कर सुलग रहा। बाकि समय बताएगा। वैसे राजद से डरे लोगों को जदयू समर्थक कह रहे है नीतीश कुमार है न

तो बीजेपी के प्रखर कार्यकर्ता यह भी कहते दिखे कि हम तो पहले से ही विपक्ष में थे, सुनता कौन था

07 अगस्त 2022

अथ श्री श्वान कथा

अथ श्री श्वान कथा

यह एक मौलिक और सरभौमिक विचारधारा है। असल में कुछ खास प्रजाति के लोगों में श्वान पालने की प्रवृत्ति होती है। यह आसान भी नहीं होता। श्वान को लाड़ प्यार, भोजन भात, विचारधारा और धर्म की खुराक नियमित देनी होती है। 

और हां, श्वान के गले में पट्टा भी बहुत जरूरी है। तभी तो मालिक होने का अहसास होता रहेगा। पट्टे का रंग सफेद, लाल, हरा, नीला, पीला, भगवा, कुछ भी हो सकता है।


अब श्वान के गुणों की व्याख्या भी जरूरी है। वैचारिक और धार्मिक खुराक से श्वान को आदमी बना सकते है और आदमी को श्वान भी!


तब फिर श्वान के लिए इशारा ही काफी होता है। भौंकना, उठना, बैठना, सोना, जागना, खाना, पीना, हगना, मूतना सब...!

श्वान का एक गुण यह भी होता है कि वह खुद को अपने इलाके का (धर्म, साहित्य, समाज, राजनीति) शेर समझता है।

आज अंतरजाल के युग में भौंकने वाले श्वान की बहुलता है। श्वान पालक भी इसे ही सर्वाधिक पसंद करते है।