29 मार्च 2015

बंदरी.....

बंदरी
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सुबह सुबह आँख खुले और मैडम जी (जिसे मैं बंदरी कहता हूँ) आँख में संतरा के छिलके का रस डाल दे तो कैसा लगेगा, गुस्सा होना स्वाभाविक है । कितना पड़पड़ाता है .. मन तो किचिया जाता है । मेरे साथ बंदरी अक्सर ऐसा करती है पर मैं कर भी क्या सकता हूँ......कई बार मैंने ने भी बदला लेने का प्रयास किया पर कहाँ... हर बार असफल...।
पता नहीं कैसे, पर वह मेरी हर बात को पहले ही भांप जाती है....जीवन के ढाई दशक से अधिक का प्रेम सम्बन्ध ( दाम्पत्य भी ) होने पे भी बंदरी जितना मुझे समझती है मैं उसे
नहीं समझ सका । लाख दुखों के बावजूद...इसकी चंचलता ने ही मुझे इसका नाम बंदरी रखने पे मजबूर किया । मुझे याद नहीं की कभी मैंने मोबाइल पे कॉल किया तो इसने हलो कहा हो,.... एक घुंघरू की तरह खनकती हुयी हंसी...मन के सारे दुःख हर लेती है....जैसे मन के किसी कोने में ढोल बज उठा हो..।
खैर, आज जब फिर उसने संतरे का रास मेरी आँख ने निचोर दिया तो एकबार फिर मैं तिलमिला गया... बंदरी फुदक कर भाग गयी...पर यह क्या....? आज संतरे का रस आँख में जाने पे भी जलन पैदा नहीं किया...पता नहीं क्यों...शायद अब इसकी गुणवत्ता भी ख़राब हो गयी हो....फिर भी मैं नकली गुस्सा दिखा कर बंदरी को डरा रहा हूँ....और वह खिलखिला रही है... खिलखिलाती रहो जिंदगी....खिलखिलाती रहो...
(बनाबट नहीं, जो, जब, जैसे घटता है, आप सबको मित्र समझ साँझा कर लेता हूँ... सुख और दुःख... दोनों..शायद मेरी कमजोरी यही है... और ताकत भी)

26 मार्च 2015

√प्रेम विवाह कर भज्जू को अपराध की दुनिया छोड़ने पर विवश किया था नेहा ने.. √अपराधियों ने कर दी हत्या ।

(बरबीघा, बिहार) ‘‘सब कहो हल कि क्रिमनलबा से लव मैरेज कैलहीं हें रांर होके रहमी, से हो गेल रे दैयबा...’’ कुख्यात अपराधी भज्जू महतो की हत्या के बाद शव के पास जार जार रोती उसकी पत्नी नेहा के मुंह से यही शब्द निकल रहे थे। नेहा ने भज्जू के साथ दूसरी शादी की थी। पहली पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। नेहा भज्जू को अपराध की दुनिया छोड़ने पर मजबूर किया था और अब वह बरबीघा के शिवाजी नगर मोहल्ले में किराये के मकान में रहकर बेलोरा, ट्रेक्टर, जेसीबी रखकर व्यापार कर रहा था। जिस समय गोली मारी गई वह घर के लिए अपने माथे पर मसूर की दाल रख कर पैदल डेरा जा रहा था।
बिंद थाना के नेरूत निवासी नेहा ने एक साल पहले ही भज्जू से प्रेम विवाह किया। गोपालबाद निवासी भज्जू की पहली पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। पहली पत्नी से उसे नौ साल का एक लड़का और छः साल की एक लड़की थी जिसे वह बरबीघा के ही एक निजी विद्यायल में आवासीय पढ़ा रहा था। शादी के बाद नेहा ने दबाब डाल कर उसे अपराध की दुनिया से अलग किया पर अपराध की दुनिया से अलग होना संभव नहीं हो सका और उसकी हत्या कर दी गई।
बताया कि जाता है कि सोहल साल से कम उम्र में ही भज्जू महतो ने धनन्जय उर्फ हवा पहलवान के साथ मिलकर निमोछिया गिरोह खड़ा किया और नरसंहार, हत्या, जेल ब्रेक सहित अन्य कुख्यात क्राइम किए। इन आरोपों में वह जेल भी रहा और जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद उसने पहली पत्नी को मुखिया का चुनाव लड़वाया जिसमें उसकी हार हुई। 
किन्हीं कारणों से हवा पहलवान से भज्जू की अनबन हो गई और एक साल पूर्व अज्ञात अपराधियों ने सरमेरा में हवा पहलवान की हत्या कर दी और इसके बाद से ही एक बार फिर गैंगवार की आशंका पनपने लगी। इसी गैंगवार में एक बार फिर भज्जू महतो की भी हत्या कर दी जिससे इस क्षेत्र के आशंता होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। कहा भी गया है कि अपराध की दुनिया में एक सिर्फ एक ही रास्ता है इसमें आदमी आ तो सकता है पर बाहर नहीं निकल सकता और अपराध की दुनिया छोड़ व्यापार की दुनिया में आए भज्जू के लिए यही बात लागू होती है।




(सभी तस्वीर पति के शव के पास रोती नेहा की...)

20 मार्च 2015

गोधूलि की बेला और मेरा गाँव...

( इस तस्वीर को देख के अभी अभी कुछ शब्द मचल पड़े है... आशीर्वाद चाहूँगा..)



















गांव में आज भी
शाम ढलते ही चूल्हे से
धुआं उठता है
और गाय.गोरु
सब लौट आती है
अपने बथान में
जहाँ जला कर गोयठा
बाबूजी करते है धुआं
ताकि उनके रमपियारिया
गाय को काटे  नहीं मच्छर...

और दूर महरानी स्थान के
पीपल पेड़ के पास
से गुजरने से डरते है
मंगरू काका
उनको पक्का पता है
यहाँ शाम ढलते ही किच्चिन
नाचने आ जाती है...

और रामेसर मुखिया के दालान पे
जुटने लगते है गंजेरी सब
वहां भी होता है
कम्पटीशन
कौन सबसे जोड़ का
सुट्टा लगाएगा ...

और उधर महात्मा जी
छिद्धिन.छिद्धिन
गरिया रहे है
काकी कोए
काकी ने आज भी
चुपके से मिला दिया
दूध में पानी
टोकने पे कहती है
ष्जे जर्लाहा
गाया नै पोसे
ओकरा निठुर दूध कहाँ ममोसे....

उधर गुजरिया भी
राह देख रही
बटोरना काए
चिंटुआ के दीदी गाना सुन
उसके मन में भी गुदगुदी होता है....

और आज रात
हरेरम्मा के यहाँ
सतनारायण स्वामी पूजा
की तैयारी जम के हो रहा है
मतलुआ बाजी लगा चूका है
सिलेमा देखे का
तीन जग परसादी पीना है....


कितना कुछ होता है गांव में
फिर भी गांव रोता है छांव में...


(तस्वीर - अरुण साथी की )

18 मार्च 2015

शून्य की एक तस्वीर...



शून्य की ओर निहारती इस तस्वीर को जब से मैंने कैद किया तब से सोंच रहा हूँ कि संत ऐसे ही तो होते होंगे ...

जाने क्यों बुजुर्ग के इस चेहरे में मुझे किसी संत के होने की झलक मिलती है ।

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शून्य हो जाना 

संत हो जाना है

सुख.दुःख 

आकांछा

अभीप्सा

और

मान.अपमान 

के आदम दुर्गुणों

से दूर होना

आदमी का संतत्व है ....

16 मार्च 2015

"किट्टी" और मौत का अनुभव

यह मेरे गाँव की कुत्ती किट्टी है । बच्चों ने यह नाम दिया है । अभी दो माह की है । कुछ दिन पहले भतीजा गोलू सुबह सुबह आया और बहुत उदास होकर अपनी तोतली आवाज़ में कहने लगा "अंकल..डोक्टल बुला दहो, छोटुआ ओक्ला जहल दे देलकै ।" दरअसल उसने दो तीन बार समझाया तो समझ सका की जिस कुत्ते के बच्चे को वह रोज खाना खिलाता है उसे एक बच्चे ने जहर खा कर मर गया चूहा खिला दिया, इस वजह से वह दो दिन से पड़ी हुयी है और उसका एक भाई मर गया है माँ भी गंभीर है । मैंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया तो वह डॉक्टर बुलाने की जिद्द करने लगा । मैंने जाकर देखा तो सच में किट्टी बेसुध पड़ी हुयी थी, मरणासन्न ।
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मुझे कुछ समझ नहीं आया । एक आवारा कुत्ते के बच्चे के लिए डॉक्टर कहाँ से बुलाता । यह मेरी असंवेदनशीलता थी । मैंने उसे समझा दिया की यह भी मर जायेगी । डॉक्टर खोजता हूँ मिलेगा तो लेता आऊंगा ।
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7 साल का गोलू बहुत उदास हो गया । लगभग रोने लगा । दो दिन बाद पता लगा की किट्टी को पड़ोस का कोई भी बच्चा या बड़ा खाना देता है तो वह नहीं खाती है पर गोलू खाना देता है तो खा लेती है । संतोष हुआ की वह जीवित है और इस सब के पीछे गोलू का बहुत योगदान है । उसने झाड़ में बेसुध पड़े किट्टी की लगातार सेवा की । उसे समय समय पे खाना और पानी देता रहा । माँ की पिटाई के बाद भी अपने हिस्से का दूध वह किट्टी को दे आता ।
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आज किट्टी जीवित है और गोलू से बहुत प्यार करती है । दूसरे का दिया खाना अभी तक किट्टी नहीं खाती । हर खाना देने वाले को संदिग्ध नजर से देखती है ! किट्टी को देख मैं खुद लजा जाता हूँ, अपनी संवेदनहीनता पर, पर गोलू की संवेदना और उसके प्रेम में शायद एक जीवन को बचा लिया । काश की हम सब में इतना ही निश्छल, निःस्वार्थ, अबोध प्रेम होता । गोलू जैसा....ही...@ अरुण साथी

12 मार्च 2015

किसानों से धान खरीद में अरबों का घोटाला....

पूरे बिहार में धान खरीद को लेकर खुलेआम लूट मची हुई है। करोड़ों-अरबों की इस लूट में पदाधिकारियों, पैक्स अध्यक्षों और बैंकों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है। किसान 1100 रूपये प्रति क्विंटल धान को बाजार भाव में बेच रहंे है और वही धान पैक्स अध्यक्ष और पदाधिकारी खरीद कर एफसीआई को दे रहें है जहां उनको 1660 रू0 मिल रहा है। आलम यह है कि जो किसान खेती भी नहीं करते और बाहर रहते है उनके रसीद पर भी धान के बेच दिया गया है और इस सब में बैंक की मिलीभगत भी है जहां किसान के नाम पर नकली खाता खोल कर चेक को भंजा दिया जा रहा है।
इस लूट की छुट पर सभी मौन है क्योंकि बड़ी मोटी रकम सबको मिलती है पर इसकी गहनता से जांच हो तो अरबों रू0 का घोटाला सामने आए...

04 मार्च 2015

होली मिलन में अदभुत नजारा

बरबीघा में आयोजित होने वाले होली मिलन में अदभुत नजारा देखने को मिलता है जहां डाक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार, शिक्षक और गायक कलाकार जुटते है और परम्परागत होली गीतों पर झूमते-नाचते है। होली मिलन मे एक भी शराबी नजर नहीं आते और आनंद ही आनंद लुटते लुटाते हैं...
होली मिलन में जहां पुर्व प्राचार्य डा0 नागेश्वर सिंह ने अपने कथित सौतेले मित्र प्रो0 सुधीर मोहन शर्मा को जबदस्त चुम्मी लेकर दिल तो बच्चा है जी को प्रमाणित किया वहीं सुधीर मोहन शर्मा ने अपनी बढ़ती उम्र की जानकारी देकर सबसे हंसाया। मंच संचालन कर रहे डा0 के पुरूषोत्म ने जमकर रंग जमाया और अपनी शेरो शायरी से होली मिलन की शाम को रंगीन कर दी। वहीं डा केएमपी ने अपने अंदाज से सबको गुदगुदाया। वही डॉ भावेश चन्द्र पाण्डेय ने सबको प्रभावित किया..

समारोह में गायक कलाकार प्रभाकर त्रिवेदी, सुधीर, दीपक, चांदनी, अमरकांत, रजनीश, निरंजन सहित ने अपनी प्रस्तुति दी। यह आयोजन dr प्रेमलता सिंह के यहाँ की गयी