01 दिसंबर 2020
किसान आंदोलन, किसान बिल और एमएसपी का सच
12 नवंबर 2020
बिहारी ने मुर्गों को मुर्गा बना दिया
11 नवंबर 2020
नीतीश कुमार इस जीत पर इतरा नहीं सकते, बस; अंत भला तो सब भला
09 नवंबर 2020
#नीतीश_में_का_बा
कई चुनाव कवरेज करने का मौका मिला। मारपीट, गोलीबारी, हत्या, नरसंहार भी देखें। और 2020 का शांतिपूर्ण चुनाव भी देख लिया। बिहार में इसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी कि चुनाव में शांति हो। पत्रकारों को चुनाव कवरेज के दौरान लगातार परेशान होना पड़ता था। कभी उधर मारपीट की खबर तो कभी उधर गोलीबारी की खबर। कभी नरसंहार तक की खबर से रूबरू होना पड़ा है।
इस बार बिहार के चुनाव में एक बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि पहली बार महिला मतदान कर्मियों को लगाया गया। मेरे गांव के बूथ सहित कई बूथों पर सभी मतदान कर्मी महिलाएं थी। कहीं कुछ अभद्र व्यवहार तक नहीं हुआ। यह नीतीश कुमार ने संभव किया है। हालांकि एग्जिट पोल और मीडिया के बदले हुए रुख से संकेत स्पष्ट मिल रहे हैं।
बाहर हाल बिहार अपने भविष्य को लेकर निश्चित की ओर बढ़ता है या अनिश्चित की ओर, कल निर्णय होगा....
05 नवंबर 2020
मोदी समर्थक और मोदी विरोध में बंटा बुद्धिजीवियों का समाज अंधा हो गया है...
26 अक्टूबर 2020
लालू यादव का भूत और बिहार का भविष्य
19 अक्टूबर 2020
राम नाम का टहल है, कासा, मलमल, पीतल है!! गांव के खिलौने का स्वर्ग चला जाना..
23 सितंबर 2020
जयंती पर विशेष: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की कर्मभूमि है यह धरती। यहां बने पहले प्रधानाध्यापक, मिलता था 41 रूपये वेतन
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर प्लस टू हाई स्कूल बरबीघा में प्रधानाध्यापक पद पर रहते हुए यहां के बच्चों को पढ़ाया। रामधारी सिंह दिनकर 3 जनवरी 1933 को बरबीघा हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक बने तथा 21 जुलाई 1934 को उन्होंने यह नौकरी छोड़कर शेखपुरा में रजिस्ट्रार की नौकरी कर ली।
बरबीघा में प्रधानाध्यापक पद पर सुशोभित करते हुए उन्होंने अपनी यादों को संजोया है। रामधारी सिंह दिनकर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर रहते हुए 60 रुपये महीने की नौकरी दी गयी थी तथा अन्य तरह के कटौती करते हुए 41 रुपैया 10 आना और तीन पैसा उनको महीने का दिया जाता था।
रामधारी सिंह दिनकर बरबीघा के रामपुर सिंडाय गांव में 2 किलोमीटर पैदल चलकर बाबू मेदनी सिंह के यहां रहते थे तथा वही कविता लेखन और घर के बच्चों को पढ़ाते भी थे।
शेखपुरा में बने रजिस्ट्रार, स्मारक ध्वस्त
1934 से लेकर 1942 तक रामधारी सिंह दिनकर शेखपुरा में सब रजिस्ट्रार के पद पर कार्य किया तथा वे यहां से जुड़े रहे। हालांकि शेखपुरा कटरा चौक के पास पुराने रजिस्ट्रार ऑफिस को प्रशासन के द्वारा कुछ साल पहले ही ध्वस्त कर दिया गया और अब उनकी यादों को यहां देखने वाला कोई नहीं है।
मध्यान भोजन की रखी थी नींव
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने बरबीघा हाई स्कूल में नौकरी करते हुए मध्यान भोजन की आधारशिला रख दी थी जो आज भी लागू है। प्रसंग यह था कि एक छात्र टिफिन के दौरान खाने के लिए घर चला गया और लेट से लौटकर आया तो शिक्षक ने उसकी पिटाई कर दी। इससे मर्माहत होकर रामधारी सिंह दिनकर ने टिफिन के समय स्कूल में ही हल्के नाश्ते की व्यवस्था कर दी। जिसमें चना, चूड़ा, भूंजा इत्यादि शामिल था जो आज तक चल रहा है।
नहीं हुआ दिनकर जी के नाम पे नामकरण
बरबीघा हाई स्कूल में दिनकर जी की आदमकद प्रतिमा का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सेवा यात्रा के दौरान किया गया था। बरबीघा में उद्घाटन समारोह के दौरान उन्होंने लोगों के मांग पर हाई स्कूल का नाम रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर करने का आश्वासन दिया था परंतु अभी तक यह आश्वासन अधूरा है।
27 अगस्त 2020
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13 अगस्त 2020
ईश्वर के नाम पर इंसानियत का कत्ल ना पहली घटना है और ना ही आखरी होगी..
31 जुलाई 2020
उम्मीद के दामन का एक कोना
11 जुलाई 2020
सर्वोत्तम प्रदेश का न्यूनतम एनकाउंटर का लीक वार्तालाप
25 जून 2020
अभी अभी लगे आपातकाल का एक यथार्थवादी चिंतन
21 जून 2020
योग, तस्वीर और धोखा
वैसे सोशल मीडिया पर आज योग करने वालों के तस्वीरों की भरमार है। इस बात से यह प्रमाणित होता है कि आज सभी को धोखा नहीं हुआ। एक दिन पहले ही इसकी तैयारी की गई है। अच्छी तस्वीर उतारने वाले किसी खास को बुलाया गया। जैसे तैसे तस्वीर खींच गई। फिर उसे सोशल मीडिया पर डाला गया। खूब कॉमेंट्स मिले। कंपलीमेंट्स मिले। धन्य धन्य हुए।
12 जून 2020
कोरोना से 4 करोड़ से अधिक लोग मर सकते है,..?मेडिकल शोध पत्रिका का दावा
31 मई 2020
बिहारी हैं हम : हमसे है सब बेदम
28 मई 2020
मैं भूखे रहकर आत्महत्या कर रहा हूं! इसके लिए किसी राजा का दोष नहीं है..
03 मई 2020
काश की सीता के लिए धरती नहीं फटती
28 अप्रैल 2020
करो -(ना) वैश्विक महामारी से संक्रमित का अचूक नुस्खा
पूरी दुनिया में करो -(ना) वैश्विक महामारी से संक्रमित मरीज बड़ी संख्या में छुट्टा साँढ़ की तरह घूम रहे है। जी हाँ, आपको डर लग गया तो जरूर डरिये। आप नजर उठा के देखिये। आपके आसपास। घर में। गली में। पार्टी में। स्कूल में। अब तो गांव के चौखंडी पर भी हाथ में बड़का मोबाइल लिए ये मरीज दिख जाएंगे। इनको कह के तो देखिए यह काम करो -(ना)।
तेजी से फैला संक्रमण
देखा देखी से करो -(ना) के मरीज का संक्रमण बड़ी तेजी से फैला है। इसको फैलाने वाले फेकबुक, टीइंटर, टिकटिक, भाँटअप के मालिक खरबपति बन चैन बंसुरिया बजा रहे, बाकी सबका चैन छीन लिए।
क्या है लक्षण
विक्षिप्त जैसा व्यवहार। सियार जैसा हुआ- हुआ करना। लिजार्ड सिंड्रोम । टिटहीं की तरह पैर ऊपर करके सोना। समझना कि आकाश गिरेगा तो अपने पैरों से रोक कर पूरी दुनिया को केवल वही बचा सकते। दीवाल में ढाही मारना। जहां तहां थूकना सामान्य लक्षण।
कोई वैक्सीन नहीं
इस बीमारी का भी कोई वैक्सीन अभी नहीं बना है। चूंकि पढ़े लिखे से अनपढ़ तक, सभी इससे संक्रमित है; इसलिए कोई वैक्सीन बनाने वाला नहीं बचा।
क्या है नुकसान
अनगिनत। पर अपने यहां जाति धर्म में मारकाट करना प्रमुख है। हद तो यह कि पूरी दुनिया कोरोना नामक संक्रामक बीमारी से लड़ रही है तो अपने यहां करो -(ना) के मरीज कोरोना को धार्मिक बना दिया। इसके मरीज आत्मघाती हो जाते है। अभी देखने को ताजा भी मिला। जान बचाने वालों की जान लेने लगे। अपने देश, गांव समाज के दुश्मन बन आग लगाने लगते है। आदि इत्यादि।
अचूक नुस्खा
यह बीमारी भी कोरोना कि तरह आंतरिक इच्छाशक्ति से अपने अंदर विकसित प्रतिरोधक क्षमता से ही ठीक होती है। इसके लिए कुछ दिन क्वारन्टीन होना और असोलेशन में रहना अतिआवश्यक है। और हाँ, सोशल मीडिया डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य है। अब आप पे निर्भर है। आप ठीक होना चाहते है या (जमाती) आत्मघाती बनना।
इति श्री
भक्त अन्त
भक्त कथा अनंता
आंख बंद कर
पढहु असंता
आपन घर
जलाबे आपे
भूत पिचास
आपही बन जाबे
आपन नाश
बुलाबे आपे
सोई प्रभु के
भक्त कहाबे...
14 अप्रैल 2020
पीड़ित आत्माओं रुदाली गायन शुरू करें
12 अप्रैल 2020
कोरोना महामारी और ढीठ समाजसेवी
26 मार्च 2020
विश्व कल्याण के लिए शांति पाठ और हिंदुत्व
20 मार्च 2020
निर्भय माँ
11 फ़रवरी 2020
यह केजरीवाल की जीत है
24 जनवरी 2020
राष्ट्रीय बालिका दिवस और पुरूषवादी समाज
19 जनवरी 2020
वामपंथी को देश से प्रेम नहीं! राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता नहीं...किसने कहा
सच का सामना
राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता नहीं। सोनिया गांधी पुत्र मोह में कांग्रेस को बर्बाद कर रहे। वामदलों को भारत से ज्यादा दूसरे देशों से मोहब्बत है। वामदलों के पाखंड के चलते ही देश में हिंदुत्ववादी ताकतों को मजबूती मिली है। पांचवी पीढ़ी के राजबंशी राहुल गांधी का कर्मठ नरेंद्र मोदी के सामने राजनीति में भविष्य नहीं। मोदी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह राहुल गांधी नहीं है। वह सेल्फमेड है। उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य को चलाया है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। वह बेहिसाब मेहनती और कभी छुट्टी पर यूरोप नहीं जाते।
भारत में सामंतवाद खत्म हो रहा है। लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। लेकिन कांग्रेस में ठीक इसके उलट हो रहा है। सोनिया गांधी दिल्ली में है। उनका सल्तनत तेजी से सिमट रहा है। लेकिन उनके चमचे उनको बता यही रहे कि आप ही बादशाह है।
आप लोगों ने कई गलतियां की हैं। लेकिन राहुल गांधी को लोकसभा में भेजकर आपने विनाशकारी काम किया है।
वामदलों के पाखंड के चलते ही हिंदुत्व का प्रसार हो रहा है। वामपंथियों को अपने देश से ज्यादा दूसरे देश से लगाव है। वे सिमटते जा रहे हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं।
अगर हिंदूवादी ताकतों को रोका नहीं गया तो देश बर्बाद हो जाएगा।
उक्त बातें कोई भक्त नहीं कह रहा। बल्कि नरेंद्र मोदी के कट्टर विरोधी, आलोचक और प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने केरल में आयोजित केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है।
यही बातें यदि किसी और तरफ से आती तो अंध विरोधी हंगामा मचा देते। परंतु देर से ही सही रामचंद्र गुहा ने यथार्थ को केरल की धरती पर रख दिया। शायद उन्हें आत्म ज्ञान प्राप्त हो गया होगा।
देश के तथाकथित सेकुलर अथवा प्रगतिशील मुसलमान भी जब तीन तलाक, हलाल, अमानवीय मुद्दों पर खामोश हो जाते हैं। विरोध नहीं करते हैं। CAA जैसे इन देशों में प्रताड़ना के शिकार लोगों को मानवीय आधार पर सम्मान देने के कानून का विरोध करते हैं तब जो सर्वधर्म समभाव के विचारधारा वाले सच्चे सेकुलर होते हैं उनके सामने यही कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।
तथाकथित सेकुलर और प्रगतिशील मुसलमान भी तुष्टीकरण के प्रभाव में इतने प्रभावित हैं कि वे लोग भी हमेशा चाहते हैं कि उनके पक्ष की ही बात कही जाए।
जब उनके मन की बात नहीं होती तो वह हमलावर हो जाते हैं । कट्टरपंथियों की भाषा में जवाब देने लगते हैं और आज भारत में एक बड़ा वर्ग उनके विरुद्ध इसीलिए उठ खड़ा हुआ है। लोकतंत्र बहुमत का तंत्र है।जब हम राष्ट्रवाद से इतर दुश्मन देश की प्रशंसा और आतंकी विचारधारा वाले लोगों के साथ खड़े हो जाते हैं तो देश का मानस इसके विरोध में खड़ा हो जाता है। वैसे में राम चंद्र गुहा के इस आत्मज्ञान को आत्मसात करने की जरूरत है। हालांकि यह होगा नहीं।
अब रामचंद्र गुहा तथाकथित सेकुलर के निशाने पर होंगे। उधर कपिल सिब्बल ने भी कह दिया है कि सी ए ए का कोई राज्य विरोध नहीं कर सकता। उसको लागू करने से मना नहीं कर सकता।
आंखें खोलने की जरूरत है। सच का सामना करने की जरूरत है। हमें एक प्रगतिशील, विकासशील, सर्वधर्म समभाव, सभी को समान मानने वाले समाज को गढ़ने की जरूरत है। किसी भी धर्म अथवा जाति के लोगों को विशेष मानने से दूसरे की कुंठा मुखर होकर सामने आया है और समाज में विभेद पैदा हो रहा है।
13 जनवरी 2020
कौन बनेगा झूठों का सरदार 20-20
07 जनवरी 2020
जाकी रही भावना जैसी..कलिकाल इफेक्ट
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आचार्य ओशो रजनीश मेरी नजर से, जयंती पर विशेष अरुण साथी भारत के मध्यप्रदेश में जन्म लेने के बाद कॉलेज में प्राध्यापक की नौकरी करते हुए एक चिं...
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#कुकुअत खुजली वाला पौधा अपने तरफ इसका यही नाम है। अपने गांव में यह प्रचुर मात्रा में है। यह एक लत वाली विन्स है। गूगल ने इसका नाम Mucuna pr...
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यह तस्वीर बेटी की है। वह अपने माता पिता को माला पहनाई। क्यों, पढ़िए..! पढ़िए बेटी के चेहरे की खुशी। पढ़िए माता पिता के आंखों में झलकते आंसू....