02 जून 2021

विपक्ष की अज्ञानता का शिकार हुआ कोविड-19 टीकाकरण: #चलो_टीका_लगवाएं अभियान में जुटे युवा #Lets_get_vaccinated

अरूण साथी


मुझे याद है जब कोविड-19 वैक्सीन देने की शुरुआत होने की सुगबुगाहट हुई थी उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे मोदी वैक्सीन का नाम देकर साफ-साफ लेने से इनकार कर दिया था । धीरे-धीरे यह हवा फैलती गई और विपक्ष के नेता राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी सहित कई लोगों ने इसे मोदी टीका का नाम दे दिया। इसका दुष्परिणाम आज गांव-गांव देखने को मिल रहा है। हालांकि दुष्परिणाम का यही एकमात्र कारण नहीं है। परंतु यह भी कई कारणों में शामिल है। कोविड-19 टीका देने के लिए गांव जाने वाले लोगों को गाली देकर भगा दिया जा रहा है। एक मोदी विरोध वर्ग के लोग तो बिल्कुल टीका नहीं ले रहे।


घर के दरवाजे बंद किए जा रहे हैं। जिला का पूरा महकमा, अधिकारी, डॉक्टर हाथ जोड़कर गांव वालों को कोविड-19 प्रतिरोधी टीका लेने के लिए आग्रह करते हैं परंतु एक आदमी टीका लेने के लिए आगे नहीं आ रहा। संभवत: पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश होगा जहां जान बचाने वालों को ही दुत्कार कर भगा दिया जा रहा है। यह खतरनाक की स्थिति है और इसके दुष्परिणाम भी सामने आएंगे। यह सब जागरूकता की कमी, अज्ञानता और सोशल मीडिया पर उड़े कई तरह की बातों का भी परिणाम है।
हालांकि यह स्थिति गांव में देखने को मिल रही है जो 45 वर्ष से अधिक लोगों के टीकाकरण का मामला है। 45 वर्ष से कम 18 वर्ष से ऊपर के टीकाकरण में युवाओं का उत्साह देखने को मिल रहा है। परंतु उन लोगों को देने के लिए टीका ही उपलब्ध नहीं हो रहा है।
कोविड-19 प्रतिरोधी टीकाकरण अभियान में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले युवाओं को आगे आना होगा। अपने घर, गांव, परिवार, रिश्तेदार को जागरूक करके कोविड-19 प्रतिरोधी टीका दिलवाना होगा। हाथ पकड़कर टीका लेने के लिए बूथ तक ले जाना होगा । तभी इस महामारी से हम निपट सकते हैं और मानवता को बचाने में अपना बड़ा योगदान दे सकते हैं । वैसे तो सोशल मीडिया पर कई तरह के अभियान चलते हैं । परंतु आज के दौर में सोशल मीडिया पर चलो टिका लगाए अभियान भी चलाने की जरूरत है। इस अभियान में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले युवा आगे आएं अपने घर, परिवार, नाते, रिश्तेदार के लोगों को जरूर पूछे कि आपने टीका लगवाया क्या। और नहीं लगवाया तो उसे हाथ पकड़ कर चलो टीका लगवाएं अभियान में शामिल करें और बूथ पर ले जाकर उनको टीकाकरण करवाएं । मानवता की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं हो सकता। हालांकि सोशल मीडिया पर फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा ना करें वाली बात ही ज्यादा चरितार्थ होती हैद्ध आज के दौर में ₹2 का मास्क बांटकर सोशल मीडिया पर तस्वीर ऐसे दे रहे हैं जैसे उन्होंने सबसे महान काम कर दिया हो। वैसे बंधुओं से निवेदन करूंगा कि उसके जगह यदि 2 लोगों का आप टीका लगवा देते हैं तो ज्यादा उपकार मानवता पर हो सकेगा।

बरिष्ठ पत्रकार के ब्लॉग चौथाखंभा से साभार chouthaakhambha.blogspot.com

01 जून 2021

ठसक

लघु कथा
घर के आगे सफाई कर्मी रोज की तरह आया। राजकुमार ने सोंचा बगल के रखा कचरा भी साफ करा लेते है। कम खर्च में हो जाएगा। ऐसे हजार-पाँच सौ लग जाएंगे। उसने आवाज दी।

"ऐ डोम राजा, तनि ई कचरा भी उठा ला। कुछ खर्च दे देबो।"

उसने ताव भरी नजरों से देखा। 

"हमरा से नै होतो। टेम नै हो।"
"काहे नै होतो, सो-पचास ले ला।"

"सो-पचास! की बुझ्झो हो जी। नंगा-भुख्खा! हमरो बाऊ ठेकेदार है। बड़का। दू दू गो ठेका ले ले हई। ए गो मोकामा। ए गो बाढ़। मुर्दा जराबे वाला सब निहोरा ने करो है श्मशान में..!!!"