अरुण साथी
दो निपुण चोर एक ही शहर में चोरी करते थे। चोरी करने की अपनी अद्भुत प्रतिभा के दम पर देशभर में दोनों की बड़ी ख्याति थी। कहा जाता है कि दोनों चोर अपने पेशे में इतने माहिर थे की किसी के आंख का बाल भी चोरी कर ले तो उसे एहसास तक नहीं हो!
खैर उसे इससे क्या? वह मुड़कर निकलने ही वाला था तभी उसके कानों में अपने दोस्त की आवाज सुनाई दी। वह चौंक कर देखा तो बड़ी सी गाड़ी पर उसका चोर दोस्त ही बैठा हुआ था। वह तो अचंभित रह गया। फिर भी हिम्मत कर अपने मित्र के पास पहुंच गया।
"नहीं यार पेशा तो वही है बस राजनीति जॉइन कर ली और नाम बदलकर चौकीदार कर लिया है! अब तो चोरी करने के रिकॉर्ड वाला सारा फाइल ही चोरी कर लिया!"
तब से पहले मित्र भी अपना नाम चौकीदार रख लिया है। सुना है उस देश के सभी लोगों का नाम अब चौकीदार हो गया है! इतिश्री!