21 सितंबर 2010

हे देश के कर्णधारों विवादित भूमि पर अब रोटी बने इसकी व्यवस्था करो, वस्त्र बने इसकी व्यवस्था करो और बेधरों को आश्रय मिले इसकी व्यवस्था करो।

24 सितम्बर को बाबरी मिस्जद पर फैसला आना है और अभी से इस पर इस पर राजनीति होनी शुरू हो गई है। नेता वोट बैक की राजनीति तो मीडिया हाउस टीआरपी और प्रसार की योजनाओं को अमलीजामा पहूंचाने की तैयारी कर रहें है। इस सब बातों के बीच जो बात छूट रही है वह है देश की चिन्ता, देशप्रेम का हृास। अखबारों और चैनलों पर देश के प्रधानमन्त्री की अपील आ रही है कि 24 सितम्बर को शान्ति बनाये रखे और उपलब्ध वैधानिक विकल्पों का सहारा ले। कोई फैसला नहीं मानने की बात कह रहा है तो कोई उच्चतम न्यायालय और संसद का सहारा लेने की बात।
यह राम रहीम की राजनीति करने वाले ही सबसे बड़ा देशद्रोही है।कभी कोई जनता को आवाज भी सुनो! ईश्वर अल्लाह के नाम पर आज नफरत की राजनीति ईश्वर को भी खून के आशू रूला रहा है। कभी कोई यह जानने की कोशिश नहीं करता कि देश क्या चाहता है। मेरे विचार मे आयोध्या मसले का हल न्यायिक प्रक्रिया के द्वारा किया जा सकता है वसर्ते राजनीतिक हस्तक्षेप बन्द हो। धार्मिक उन्मादी इसके बीच से हट जाऐ तो आम आदमी इसका हल निकाल लेगा। आज भारत जहां खड़ा है वहां यह सभी समझ रहें हैं कि राम और रहीम  से ज्यादा जरूरी रोटी है। विवादित भूमि पर मन्दिर बने या मिस्जद भूखों को रोटी नहीं मिलेगी। हां राजनीतिक पार्टियां अपने अपने फायदे के हिसाब से इसको भंजायेेगे और भूखा नंगा आदमी भूखा नंगा ही रहेगा और भूख का कोई धर्म नहीं होता।
इसलिए हे देश के कर्णधारों विवादित भूमि पर अब रोटी बने इसकी व्यवस्था करो, वस्त्र बने इसकी व्यवस्था करो और बेधरों को आश्रय मिले इसकी व्यवस्था करो।
भगवान के लिए घर बनाने से अच्छा है कि ईश्वर के सन्तानों के लिए घर बनाऐं यही ईश्वर की सच्ची आराधना है और सभी धर्मों का मूलाधार भी................

18 सितंबर 2010

मजदूर!

सर झुकाये
मौन
चुपचाप..
सुन रहा है गालियां..
पूरे दस मिनट देर से काम पर आया है।
गुनहगार!
.
.
थक गया है
काम करते-करते
खैनी बनाने के बहाने सुस्ता रहा है,
या फिर मुतने का बनाता है बहाना।

मालिक फिर चिल्लाया..
साले

हरामी

इसी बात की मजदूरी देता हूं....

हमारे घर भी आते हैं ये मजदूर!

17 सितंबर 2010

दिवास्वापन

हर कोइ चाहता है
कुछ करना

परिवर्तन समाज में
भागीदारी विकाश में
देख कर अपने आस पास
होंतें है सब निराश

कोइ आगे आए
लगाए हुए हैं यही आस
दुसरा भी
यही उम्मीद लगाए है

और परिवर्तन दिवास्वपन सा
हर किसी के अन्दर दफ़न हो जाता है.

15 सितंबर 2010

एक अख्खड़ समाजबादी को मरने से कौन बचाऐगा........

राजनीति अच्छे लोगों के लिए नहीं है और यह आम चलन है पर ओशो रजनीश ने कहा कि जब तक अच्छे लोग राजनीति के सम्बंध में ऐसी विचारधारा रखेंगें बुरे लोग राजनीति में आतें रहेंगें। पत्रकारिये अभिरूची की वजह से राजनीति और राजनीतिज्ञों से बास्ता रहा है और राजनीति के बदलते मायने भी देखने को मिलता रहता है। पर कभी कभी मन पत्रकारिता से उपर उठकर भी सोंचने पर मजबूर करता है और मन उदिग्न हो जाता है। वर्तमान बिहार विधानसभा चुनाव सर पर है और लोकतंात्रिक राजनीति पार्टी का अलोकतन्त्र का नाटक रोज देखने को मिल रहा है। टिकट पाने वालों की लंबी फेहरिस्त सभी पार्टी में है और यह एक गम्भीर मुद्दा है। गम्भीर मुद्दा इस लिए की आज पार्टी कार्यकत्र्ता से किनारा कर बाहुबल और धनबल के साथ साथ जातीये समीकरण के हिसाब किताब से सत्ता की कुर्सी को साधने में लगे है और इसी फेर मे आज तक कौन सी पार्टी किसे टिकट देगी फाइनल नहीं हो सका है।

खैर यह तो राजनीति है, होता है पर आज मन खिन्न हे इस बात के लिए की बिहार के सत्ता के सर्वोसर्वा नीतीश कुमार के साथ राजनीति का कदम ताल करने वाले एक अख्खड़ समाजबादी नेता को मरते हुए देख रहा हूं। कभी जार्ज फर्नाडीस के साथ राजनीति करने वाले और समाजवादी कपीलदेव सिंह के आदशोZ को आत्मसात करने वाले शिवकुमार वर्तमान राजनीति में पिछड़ रहें है। अख्खड़ इसलिए कि शिवकुमार बेलाग लपेट किसी को भी मुंह पर ही सच कह जातें है वह चाहे पत्रकार हो या नेता या अधिकारी और उनकी इस बात को आज के समय का समाज बुराई के रूप में देख रहा है। तीस साल से बिहार के प्रथम मुख्यमन्त्री का गृहक्षेत्र बरबीघा विधानसभा सुरक्षित था और इसलिए शिवकुमार को कम लोग जानते है।

 राजनीति में 1974 के आन्दोलन में सक्रिय भुमिका निभाने वाले शिवकुमार 26 माह तक मीसा के तहत जेल में रहे और तत्कालिन सरकार से माफी नहीं मांगी। आज मोकामा के बाहुबली विधायक अनन्त सिंह के भाई त्रिशुलधारी सिंह की गिनती पांच साल की राजनीति में अरबपतियों की जाती है जबकि शिवकुमार को मोबाइल रिचार्ज कराने के सोंचना पड़ता है। त्रिशुलधारी सिंह राजनीतिक जीवन एक किसान से बुथ लूट कर मुखीया बन कर प्रारंभ हुआ और कांग्रेस की राजनीति से कदम ताल करते हुए आज जदयू में है। यहां से सांसद रहे ललन सिंह का बरदहस्त इनपर रहा पर आज ललन सिंह के साथ नहीं है। इनके द्वारा आज जदयू के टिकट के दाबे किए जा रहें है नहीं तो निर्दलिय लड़ने की तैयारी हो रही है।

बिडंबना यह कि सर गणेश दत्त के नाती और मुज्जफरपुर निवासी मुन्ना साही ने बरबीघा विधानसभा से अपनी दाबेदारी करते हुए नीतीश कुमार के इशारे पर यहां जदयू कार्यालय खोल कर अपनी उम्मीदवारी धोसित कर दी। 


अन्तिमदम तक संधर्ष का आदी जदयू नेता और अख्खड़ समाजबादी शिवकुुमार को इस बार पार्टी के टिकट की उम्मीद थी। 1974 से यहां की लोगों की सेवा उनकी राजनीति का आधार रहा है। गरीबों के हमदर्द के रूप में इनकी पहचान है और इन्हें नीतीश कुमार की मित्रता पर भरोसा भी है पर चुनाव के नजदीक आते ही इनका साहस भी डोलने लगा है। कभी हार नहीं मानने की प्रेरणा हममें से कई लोग इसी आदमी से सीखते है। शिवकुमार ने कांग्रसी सांसद राजो सिंह से जमकर लड़ाई लड़ी और गरीबों को उनका हक दिलाया। तब भी वह आदमी निराश नहीं हुआ। मित्र रहे सांसद ललन सिंह को जीताने में मदद करने के बाद वे इनको पराजीत करने की राजनीति की।
आज जबकि शिवकुमार को जदयू की टिकट मिलने भर को लोग उनकी जीत के रूप में देख रहें है मुन्नासाही की दवेदारी ने उन्हें हिला कर रख दिया है और हमलोग जैसे हजारों लोग जो एक सच्चा आदमी और अख्खड़ समाजबादी को मरने देना नहीं चाहता दुखी है।

07 सितंबर 2010

बॉलीवुड अभिनेत्री कैटरीना कैफ के साथ अपने संबंधों को लेकर सवालों से परेशान सलमान खान यह जानना चाहते हैं कि आखिर मीडिया इसे बड़ी खबर क्यों बना रहा है।सलमान ने कहा, 'देश में कई अन्य समस्याएं हैं जो लोगों की जिंदगी से वास्ता रखती हैं तो सलमान-कैटरीना का संबंध राष्ट्रीय खबर क्यों है? क्या है जबाब?

कैटरीना कैफ से अपने संबंधों पर खड़े हुए सवालों से परेशान सलमान खान का कहना है कि उन्हें समझ नहीं आता कि मीडियावाले क्यों इसे इतना बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, देश में और भी कई समस्याएं हैं। आखिरकार मेरे और कैटरीना के संबंध को क्यों नेशनल न्यूज बनाया जा रहा है। मैं इस बारे कोई स्पष्टीकरण नहीं दे रहा हूं, मीडिया जो लिखना चाहता है, लिख सकता है। यह मेरी निजी जिंदगी है, अगर लोग इस बारे जानना चाहते हैं तो उन्हें इंतजार करना होगा। 

इंटरव्यू के दौरान सलमान ने शाहरुख और ऐश्वर्या से अपने संबंधों और अपने खिलाफ चल रहे मामलों पर भी बात की। उन्होंने कहा, मैं शाहरुख का बहुत सम्मान करता हूं। हमारे बीच कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन समय-समय पर कुछ मतभेद उभरते रहे हैं। 

ऐश्वर्या के बारे उन्होंने कहा कि वह खुशहाल वैवाहिक जीवन बिता रही हैं। उनके पति अभिषेक एक अच्छे परिवार से संबंध रखते हैं और बेहतरीन इंसान हैं। मैं ऐश्वर्या के लिए यही दुआ कर सकता था कि वह खुशहाल जीवन बिताएं और मुझे इसकी खुशी है। एक दशक पहले राजस्थान में काले हिरण के शिकार बारे उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ मामला नहीं बनता