28 सितंबर 2014

समुन्द्र

(यह कविता मैंने गोवा के बागमोलो बीच पर 11 जुलाई 2014 को समुन्द्र किनारे बैठ कर लिखी थी। साथ में अपनी तस्वीर भी चस्पा कर दिया..)

1

समुन्द्र की छाती है
अथाह, अनन्त, अगम, अपार
इसलिए तो
बैठ कर इसके पास
बतिया रहा हूं
अपने सुख-दुख....

2

भरोसा है मुझे
कि यह मेरे दुख को
समेट लेगा
अपनी गहराई में
न कि आदमी की तरह
करेगा उपहास...

3

इसकी ऊँची और विराट लहरें
हैसला देती है मुझे,
कहती है कि
सतत संधर्ष से
यह पहाड़ को भी बदल देती है
रेत में...



26 सितंबर 2014

नवरात्री, गेरूआ और डायन



नवरात्री की रात को बिहार के गांवों में गेरूआ प्रवेश कर जाता है। गेरूआ को गांव के लोग अशुभ मानते है और इसमें कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की नया वस्त्र अथवा किसी नये सामान का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें बाल और दाढ़ी बनाने को भी अशुभ माना जाता है। 
यह एक ऐसी परम्परा है जिसे अंधविश्वास कहा जा सकता है। गेरूआ को लेकर मान्यता है कि इसमें डायन और ओझा सब दुर्गा और काली का अनुष्ठान करते है। इसी से बचने के लिए हर घर में महिलाऐं नजर लगने से बचाने का उपाय करती है। इसके तहत घर के बाहरी दिवाल को गोबर से लकीर बना कर बांध दिया जाता है और दरवाजे पर काले मिट्टी का बर्तन फोड़ कर रख दिया जाता है और टोटो-माला बांध दिया जाता है।
टोटो-माला काले कपड़े से महिलाऐं बनाती है जिसमें बालू, मिर्च, लहसून, काला और पीला सरसे तथा रैगनी का कांटा डाल कर एक थैली नुमा बना दिया जाता है। इस टोटो माला को बच्चे के गले में लटका दिया जाता है। इतना ही नहीं लोग मवेशियो के गले में भी इसे लटका देते है ताकि इनको नजर लगने से बचाया जा सके। किसान आपने खेतों में भी यह टोटका करते है..
रात्री में बच्चों के आंखों में काजल लगा दिया जाता है और बड़ों को नाभी में काजल लगा कर नजर लगने से बचाने का उपक्रम किया जाता है। 
आज हम आधुनिक युग में जी रहे है। एक तरफ हम मंगलयान को मंगल ग्रह पर पहूंचा रहे है तो दूसरी तरफ इस तरह के अनुष्ठान अंधविश्वास के अतिरिक्त कुछ नहीं।
इस अंधविश्वास को लेकर मुझे बचपन की एक घटना याद आ जाती है। बचपन में गांव में एक महिला को डायन कहा जाता था और वह मेरे मित्र की मां थी। गेरूआ प्रवेश करते ही फुआ, बचपन से इसी के पास रहा हूं,  मुझे उसके घर जाने पर बहुत पीटती थी पर मैं अपने मित्र के पास बिना किसी डर के चला जाता था। उसकी मां मुझे बड़े लाड़-प्यार से कुछ खाने के लिए देती थी तो मैं पहले बाल सुलभ डर से डर जाता था फिर भी दोस्त की मां का दिया खाना खा लेता था। मेरी फुआ मुझे पीटते हुए कहती थी गेरूआ प्रवेश करते ही डायन बच्चों का कलेजा निकाल कर खा जाती है। इतना ही नहीं जागरण की रात में डायन के शमशान में नंगा होकर नाचने और बच्चों के गड़े मुर्दे उखाड़ कर अनुष्ठान करने की अफवाह आज तक फैली हुई है।
मुझ तक भी यह अफवाह बचपन में पहूंची थी तब मैं दशवीं का छात्र था और मैं बचपन में एक जागरण की रात बारह बजे अपने दो तीन दोस्तों के साथ शमशान पहूंच कर इस अनुष्ठान को देखने चला गया। उस डरावनी रात में सभी दोस्तों का कलेजा हल्की सी आवाज पर मुंह में आ जाती। डर से सभी दोस्त थरथर कांप रहे थे पर शमशान से थोड़ी दूर रात भर डायन के आने का इंतजार करता रहा, पर कोई नहीं आई।
मैं आज भी दोस्त की उस मां का प्रणाम करता हूं तो वह अन्र्तमन से आर्शीवाद देती है और जब जब गेरूआ आता है मुझे बचपन की बातें याद आ जाती है। सोंचता हूं कि यह अंधविश्वास जाने कब पूरी तरह से खत्म होगा..

20 सितंबर 2014

आम आदमी को मुफ्तखोर बना रही सरकारें...

बिहार के नालन्दा जिले में इन दिनों बाढ़ राहत के नाम पर आम आदमी की बर्बरता देखने को मिल रही है। आप जिले से होकर यदि गुजर रहे है तो हो सकता है कि लोगों ने सड़क जाम कर रखी हो और आप परेशानी में पड़ जाएं। यह सब हो रहा है रहा है बाढ़ राशि में मची लूट की वजह से।

दरअसल नालन्दा जिला पुर्व सीएम नीतीश कुमार जी का गृह जिला है और इसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र धोषित कर दिया गया। ऐसा नहीं है कि बाढ़ केवल इसी जिले में आई पर लाभ के लिए इसे ही चुना जाना वर्तमान राजनीति की एक विडम्बना को ही दर्शाता है।

बाढ़ राहत बांटने की मांग को लेकर सरमेरा ब्लाॅक के सरकारी अनाज गोदाम को जब किसानों ने लूट लिया तो इसी समय अन्दर ही अन्दर यह छूट दे दी गई कि यहां सभी को बाढ़ राहत दे दी जाए। इसके तहत दो हजार नकद और सौ किलो अनाज दिये जा रहे हैं। इस राहत को लेकर अब लोग सड़कों पर उतर कर हंगामा बरपा रखा है। कहीं अनाज का गोदाम लूटा जा रहा है तो मुखिया और सरकारी कर्मी के साथ मारपीट हो रही है।
सरमेरा में सरकारी अनाज लूटते लोग..

अन्दर ही अन्दर सरकारी लूट की छूट का लाभ वह भी ले रहे है जिनके पास एक धूर जमीन नहीं है। लोग अपने अपने लोगों को राहत लेने के लिए वोटर आई कार्ड लेकर दूर दूर से बुला रहे है। इस फेहरिस्त में क्या गरीब और क्या अमीर सब के सब शामिल है और यह खेल बदस्तूर जारी है।

दरअसल यह सब हो इस लिए रहा है कि अब आम आदमी को भी सरकारी मुफ्तखोरी की आदत लग गई है। हमारी अदूरदर्शी सरकारें आम आदमी इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, साईकिल योजना, पोशाक योजना, छात्रवृति के नाम प्रति वर्ष सरकारी रूपये खिलाने की आदी  बना चुकी है जिससे आम आदमी में जागरूकता तो आई नहीं उलटे सरकारी छूट के लूट की भूख बढ़ गई। 

आम आदमी का यह घिनौना चेहरा फूड सिक्योरिटी बिल के तहत मिलने वाले अनाज में भी  देखने को मिला जहां गरीबों को मिलने वाला अनाज व्यवस्था देष की वजह गरीबों में नाम शामिल करा का अमीर ले जा रहे है। उनको तो जरा भी शर्म नहीं आती और वे स्कारपीओ से अनाज लेने के लिए सरकारी दुकानों पर पहूंच कर हमारी सरकारी व्यवस्था का मजाक उड़ाते रहे है।

अब जायज या नाजायाज जैसे भी हो लोग सरकारी लूट में शामिल होना चाहते है, हो रहे है। नतीजा अभी तो अनाज गोदाम को लूटा जा रहा है आगे सरकारी महकमों को नोंच खंसोट दिया जाएगा, देखते रहिए..

18 सितंबर 2014

डायन बता कर परिवार सहित महिला को गांव से भगाया।







डायन बता कर परिवार सहित महिला को गांव से भगाया।

बरबीघा पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद।

डायन के आरोप में कई सालों से प्रताडि़त हो रही है महिला।

बरबीघा, शेखपुरा, बिहार



थाने में बैठ कर रोती, गुहार लगाती सत्तर वर्षिय सबुजी देवी को देख यह नहीं कहा जा सकता कि हम आज चाँद और मंगल ग्रह पर जाने वाले आधुनिक युग में जी रहे है। सबुजी देवी, उसके पति अवधेश प्रसाद सहित उसके पूरे परिवार को  गांव वालों ने डायन के आरोप मे मारपीट कर गांव से भगा दिया। इनका पूरा परिवार थाने में शरण ले रखी है।

 यह पूरा मामला बरबीघा नगर पंचायत के नसीबचक मोहल्ले का है। पूरे मामले की जानकारी देती हुई सबुजी देवी रोते हुए कहती है कि उनके उपर डायन होने का यह आरोप कई सालों से लगाया जा रहा है और आज हार कर वह थाने की शरण में आई। सबुजी देवी ने बताया कि पहले वह नालन्दा जिले के सारे थाना के हरगांवा में रहती थी और वहां से भी गांव वालों ने मार-पीट कर भगा दिया। हरगांवा में उनको एक बार जला कर मारने का प्रयास भी किया गया।

 वहीं अवधेश प्रसाद कहते है कि बुद्धवार को पड़ोस के सतीश कुमार के घर उसकी रिश्तेदार अपनी दस साल की बेटी के साथ आई और उसकी तबीयत खराब होने पर गुरूवार की सुबह गांव के सारे लोग जुट कर उसके घर पर आ गए और डायन कह कर उनकी पत्नी के साथ मारपीट करने लगे और प्रतिरोध करने पर उनके तथा उनकी भतीजी रीता देवी, उनकी भाई की पत्नी के साथ भी मारपीट किया।

 इतना ही नहीं गांव के लोग एक जुट होकर उनको और उनके परिवार को गांव से भगा दिया और जब वह बरबीघा थाना फरीयाद लेकर पहूंचे तो वहां से भी भगा दिया और मिशन टीओपी जाने के लिए कहा गया जो कि उनके मोहल्ले में स्थित है।

 वहीं जब ये लोग मिशन टीओपी पहूंचे तो गांव के सारे लोग टीओपी पर पहूंच कर हंगामा करते हुए वहां भी डायन बता कर महिला के साथ मारपीट शुरू कर दी जिसे पुलिस के हस्तक्षेप से रोका गया। गांव वाले उनके  उपर लड़की का कलेजा निकाल लेने का आरोप लगा रहे थे तथा झाड़ फूंक करने के लिए दबाब दे रहे थे। वहीं महिला इस बात पर अड़ी हुई थी कि वह डायन नहीं है तो झाड़-फूंक क्यों करे।






17 सितंबर 2014

तुम आदमी क्यों नहीं हो….

उस दिन
जब मार दिया जायेगा
वह आखरी आदमी भी
जो कर रहा है संघर्ष
गांव/मोहल्लों
गली/कूंचों
में रहकर,
अपने आदमी होने का….

तुम बैठ कर सोंचना?
आखिर
आदमी की तरह
दिखने पर भी
तुम आदमी क्यों नहीं हो….