07 जुलाई 2023

पितृसत्तात्मक समाज की शिकार ज्योति मौर्या

 पितृसत्तात्मक समाज की शिकार ज्योति मौर्या


सोशल मीडिया पर ज्योति मौर्या का प्रसंग ऐसे छाया जैसे ओडीएफ के बाद भी पिछड़े गांव की सड़कों पर चोता छाया हो । हर तरफ  दुर्गंध। पर दुर्भाग्य से वे लोग भी इस कथित दुर्गंध पर नाक पर रुमाल रखकर सोशल मीडिया पर उल्टी करते रहे जिन्होंने सड़कों पर यह रायता फैलाया।


ज्योति मौर्या का प्रसंग आज के युग में भी समाज पर पितृसत्ता के हावी होने का प्रमाण है।  यह इस बात को भी प्रमाणित करता है कि सोशल मीडिया का चरित्र कौवा के द्वारा कान को लेकर भागने की खबर की तरह है । इसमें हम अपना कान नहीं देखकर, कौवा के पीछे दौड़ते चले जाते हैं। खैर, प्रसंग ज्योति मौर्या का है।

आज हम छिद्रन्वेषी दौर में जी रहे हैं। वहीं ज्योति के साथ यही हुआ । सवाल फिर भी कई हैंञ यह हर किसी के मन में उठी चाहिए थी। पहला सवाल यह है कि क्या एक पति के द्वारा शादी के पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी बता कर शादी करना उचित था, जबकि वह एक सफाई कर्मी था ।

दूसरा यह कि शादी के 13 साल बाद तक क्या कोई अपनी पत्नी के लिए लाख मेहनत करें तो बिना उसकी प्रतिभा के वह एसडीएम जैसे बड़े पद पर जा सकती है ।

तीसरा यह कि क्या  जो पत्नी से प्रेम करेगा वह आंसू के सहारे उसे बदनाम करेगा।

चौथा यह कि पत्नी को पति की अव्यवहारिकता, आक्रामकता पर उससे अलग होने का अधिकार नहीं होगा ।

 हमारे आसपास पति की क्रूरता की कहानी भरे हुए हैं ।  आज की खबर है कि एक पति ने पत्नी और बच्चे को जिंदा जला दिया। ऐसी कई खबरें लगातार आती है।  हमारा समाज इस पर चुप रहता है। हमारा समाज स्त्री को संस्कार और सदाचार के उसी कटघरे में आज भी खड़ा करता है जहां से पुरुषों के लिए ही केवल क्रूरता, अत्याचार और व्यभिचार के रास्ते खुलते हैं।



मेरे लिए तो भोगा हुआ सच है। यदि कोई कोई क्रुर, सनकी, अहंकारी, बेटी के सांसों पर हक रखने वाला और बेटी विद्रोह कर दे हो तो अपनी कमियों को छुपाने के लिए वह दूसरे को बदनाम  करने के हर हथकंडे को अपनाता है। चरित्रहनन और इमोशनल अत्याचार करता है ।   अपने पापों को इसी आवरण में छुपा कर साधु महात्मा बनता है। परंतु मेरा अनुभव है कि समय के साथ ऐसे पापियों की नीचता परदे से बाहर आती है और समाज को सच पता चलता है। निश्चित रूप से ज्योति मौर्या के प्रसंग में धीरे-धीरे सच सामने आएगा। जैसे कि एक वीडियो वायरल होने का सच सामने आया। वह झुठ वीडियो निकला।

एक प्रसंग याद आता है। जब गांव के प्रधान में एक प्रेम विवाह के बाद गांव की बेटी को प्रताड़ित करते हुए कहा कि पूरे गांव नाक कटा दी। शर्म नहीं आया। तो लड़की ने पलट कर जवाब दिया। हां ठीके कहो हो। तों जे अप्पन बेटिया के नौकरवा वाला पेटा गिरा के दोसर वियाह कर देलहो, ओकरा में तो तोरा शर्म नै बड़लो

1 टिप्पणी:

  1. अब तो हर चीज ध्यान भटकाने का टंटा लगता है | घर के अन्दर का मामला है रहने देना चाहिए |

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