आवंले का अपना वैज्ञानिक महत्व तो है ही धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। आंवला के इसी महत्व को दशZता है कि अक्षय नवमीं का पर्व। अक्षय नवमीं के अवसर पर नगर के सामाचक मोहल्ले में स्थित बगीचे में आंवला वृक्ष की पूजा की गई एवं भुआ दान किया गया। परंपरागत रूप में लोगोें ने इस स्थान पर भोजन बनाया और परिजनों कें साथ ग्रहण कर प्राकृतिक संपदा को सम्मान दिया। अक्षय नवमीं के मौके पर आयोजित मेले में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया जिसमें महिलाओं ने वहां पर झूला का आनन्द भी लिया। मेले में प्रशासनीक स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं थी और पुलिस कें द्वारा सुरक्षा को लेकर भी कोई इन्तजाम नहीं किया गया था।
अक्षय नवमीं के मौकें पर पूजा करा रहे पुरोहित सदानन्द झा ने बताया कि कार्तिक माह में आंवला की पूजा का पौराणीक महत्व है और आंवले के पेंड़ में भगवान विष्णु के निवास करने की बात कही गई है और इसी लिए कार्तिक के नवमीं के दिन स्वस्थ्य और दिर्धायु होने की कामना के साथ आंवला की पूजा की जाती है साथ ही भुआ दान भी किया जाता है। आंवलें के पेंड़ के नीचे महिलाओं के द्वारा भोजन बनाया जाता है।
आंवला वर्षभर,जीवनपर्यन्त गुणकारी है। ऐसे वृक्ष की पूजा की ही जानी चाहिए।
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