14 मार्च 2025

करेजा ठंडा रखता है...!

करेजा ठंडा रख 

होलिका दहन की अगली सुबह बासी भात और झोड़ (करी) खाने की परंपरा है। अपने घर में अभी तक इसका पालन किया जा रहा है।  

 माय कहती थी कि इससे करेजा ठंडा रहता है। पता नहीं यह परंपरा क्यों बनी, पर अभी तक चल रही है। पता नहीं यह और कहाँ कहाँ चलन मे है।

वैसे अभी देश में कई लोगों को करेजा ठंडा रखने की जरूरत है। बिना वजह छोटी-छोटी बातों को धार्मिक उन्माद का रूप दिया जा रहा है । कोई रंग नहीं खेलने पर अड़ा हुआ है तो कोई रंग लगाने को लेकर अड़ गया है। 

यह धार्मिक कट्टरपन प्रायोजित रूप से खड़ा कर दिया जाता है। 

इस विवाद में पड़कर आपसी सौहार्द खत्म हो रहे हैं। नतीजा धार्मिक स्थलों को ढकने तक आ गई है। रंगों का त्यौहार है और हमने मुस्लिम साथियों के साथ प्रत्येक वर्ष होली खेली है। 

 इस वर्ष भी रोजेदार मित्रों ने होली मिलन समारोह में होली खेली। रंग गुलाल लगाया। होली गाये। यहां तक की रोजेदार डॉक्टर फैजल अरशद ने मंगलाचरण गाया। 

ऐसी ऐसी छोटी-छोटी अच्छी बातें देश भर में कई जगह होती है परंतु इसकी चर्चा देश में नहीं होती है। चर्चा नफरत की होगी। 

चर्चा धार्मिक कट्टरपन का होगा। चर्चा रंग नहीं लगाने की होगी। चर्चा रंग लगाकर नमाज नहीं पढ़ने की होगी । चर्चा जबरदस्ती रंग लगाने की होगी। धार्मिक उन्माद , धार्मिक कट्टरपंथी से सामाजिक सौहार्द बिगड़ रहा है रंगोत्सव के उत्सव में भी भंग घोल दिया। 

13 मार्च 2025

बाजार में प्रधानमंत्री की अपील का होली में दिखा असर

प्रधानमंत्री की अपील का दिख रहा है असर 

होली के अवसर पर प्रधानमंत्री के अपील लोकल फॉर भोकाल का असर दिखाई पड़ रहा है ।  बाजार में हमेशा की तरह चाइनीस पिचकारी की प्रचुरता दिखाई नहीं पड़ती है। 

भारतीय पिचकारी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पूछने पर दुकानदारों ने बताया कि भारतीय पिचकारी ही चीनी पिचकारी से कम कीमत पर उपलब्ध है । 
और खोजबीन करने पर पता चला की लोकल और भोकल अभियान में इसका असर हुआ है ।  बाजार में लोकल निर्माण किए गए सामग्री की खरीद बढ़ने से दुकानदारों में भी रुचि बढ़ी और इसका निर्माण भी अधिक होने लगा। 
 चाइनीस सामान से थोड़ी कम गुणवत्ता का भारतीय सामान भले है परंतु इसकी कीमत भी चीनी से कम है ।  इस वजह से इस बार बाजार में भारतीय पिचकारी की धूम देखी जा रही है। लोकल  का असर इसे माना जा सकता है और आम लोगों के द्वारा इसके लिए किया गया प्रचार भी असरदार है। 
तस्वीरों में होली का बाजार

11 मार्च 2025

क्रूरता बनाम मानवता

क्रूरता बनाम मानवता


यह एक मुश्किल दौर है। तर्क, कुतर्क के सहारे हमे कट्टरपंथी बन जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा। सवाल उठाये जा रहे। धर्म के बचने की। 
कबिलाई संघर्ष को हम इसी रूप में जानते हैं। एक कबीले के लोग दूसरे कबीले के लोगों को मार देते थे और दूसरे कबीले के लोग भी यही करते थे और उस युग को हम कभी कबीला युग कहते हैं। आज कम या ज्यादा, वही दौड़ पूरी दुनिया में है। 
यह सभ्यताओं का संघर्ष है।  यह चलता रहेगा। 

जब तालिबानियों ने पढ़ने के सवाल पर मलाला को गोली मार दी थी तो  दुनिया ने कोहराम मचाया था। 
जब  शर्ली हब्दो में केवल धार्मिक कार्टून बनाने के लिए कई लोगों को मार दिया गया तब भी दुनिया में हंगामा मचा। 
कई दिशाओं में यह संघर्ष जारी है। हम क्रूरता की ओर बढ़े या मानवता की ओर, इसके लिए भी संघर्ष हो रहा है। इसके लिए भी तर्क और कुतर्क गढ़े जा रहे हैं।  

कुछ लोग क्रूरता, घृणा चुन रहे हैं तो कुछ लोग मानवता, संवेदनशीलता और प्रेम और भाईचारे को।  

हम लोगों ने होली मिलन समारोह में प्रेम और भाईचारे को चुना ।  होली मिलन में ही इफ्तार पार्टी का आयोजन कर अपने साथियों के लिए रोजा खोलने की व्यवस्था की। चर्च के फादर भी उपस्थित रहे । इसी मंच से डॉक्टर फैजल अरशद ने होली की टोली  के साथ मिलकर करताल बजाकर खूब आनंद लिया। जबकि मंगल चरण और महामृत्युंजय का गायन भी उन्होंने किया


 हमारे साथी शब्बीर हुसैन बंटी, इरशाद गणी, फादर क्रिस्टोफर और प्रिंस पीजे, एक साथ होली का उत्सव मनाया, बात खत्म..