29 अक्टूबर 2024

गौरैया स्थान और गांव

#गौरैया_स्थान
मेरे गांव के सुदूर बगीचा में एक गौरैया स्थान है। इसका नाम गौरैया स्थान क्यों पड़ा, कोई नहीं जानता। इसका गौरैया से क्या संबंध है, पता कर रहे। हालांकि अब गांव में गौरैया विलुप्त हो गई।
खैर, यहां शादी विवाद से लेकर कई बार पूजा होती है। यहां एक बूढ़ा बरगद है। बरगद के पास कुछ ईंट से बनी पिंडी है। 
वहीं पूजा होती है। बरगद पेड़ की भी पूजा होती है। ऐसी ही एक पूजा करती महिला मिली। लोग इनको भगतिनी कहते है। इनके माथे पर बाल जटा के रूप में थे। लोगों की श्राद्ध इनमें है। पता चला कि ये दलित समुदाय (पासवान ) से आती है। इनके द्वारा बहुत श्रद्धा और तन्मयता से पूजा की जा रही थी। #ॐ

22 अक्टूबर 2024

मैला आंचल आज भी मैला ही है

प्रेम के सारे प्रतीकों में प्रेमी युगल का रूठना, झगड़ना, मानना और मान जाना, साहित्य में सर्वाधिक उल्लेखित है।
 मैला आंचल। फणीश्वर नाथ रेणु। अद्वितीय रचना में भी जब कमला और डागडर साहब के रूठने, मनाने, नोंकझोंक उल्लेख आता है।
हैजा डागडर..! रेनू जैसा शाश्वत साहित्य का मर्मज्ञ दूसरा कोई नहीं होगा। पता नहीं मैला आंचल कितनी बार पढ़ा है। फिर पढ़ रहा।
 गांव की बोली। गांव की भाषा। गांव का चरित्र। गांव का संस्कार। गांव की कुटिलता। गांव की क्रूरता। गांव का प्रेम । गांव का दुख।
 जाने क्या-क्या है। बाकी बातों पर बाद में चर्चा ।आज है डागडर और कमला का नोक झोंक सामने आया तो हठात अपना जीवन सामने आकर खड़ा हो गया। आज तक यही तो जिया है।

खैर, सोचा औरों को भी इसे पढ़ाना चाहिए। गांव, समाज, देश, राजनीति, अध्यात्म सबकुछ बारीक से समझना तो मैला आंचल पढ़ लीजिए... कुछ संवाद संलग्न है...
ओशो भी कह गए हैं। प्रेम में तकरार प्रमाणिक है। जहां तकरार नहीं, समझना प्रेम खत्म । समझौता शुरू। बस..