मेरे गांव के सुदूर बगीचा में एक गौरैया स्थान है। इसका नाम गौरैया स्थान क्यों पड़ा, कोई नहीं जानता। इसका गौरैया से क्या संबंध है, पता कर रहे। हालांकि अब गांव में गौरैया विलुप्त हो गई।
खैर, यहां शादी विवाद से लेकर कई बार पूजा होती है। यहां एक बूढ़ा बरगद है। बरगद के पास कुछ ईंट से बनी पिंडी है।
वहीं पूजा होती है। बरगद पेड़ की भी पूजा होती है। ऐसी ही एक पूजा करती महिला मिली। लोग इनको भगतिनी कहते है। इनके माथे पर बाल जटा के रूप में थे। लोगों की श्राद्ध इनमें है। पता चला कि ये दलित समुदाय (पासवान ) से आती है। इनके द्वारा बहुत श्रद्धा और तन्मयता से पूजा की जा रही थी। #ॐ