29 मई 2011

शेखपुरा जिला के बरबीघा से संचालित एक एनजीओ इंडीयन फार्मर टरस्ट ने 15 करोड़ से अधिक की राशि का महाघोटाला किया।


अन्तर्रराष्टीय स्तर पर एनजीओं ने की महाठगी।

नटबरलाल एनजीओ संचालक।
स्थानीय पुलिस जानकारी के बाद भी चुपी साधे रही।

शेखपुरा जिला के बरबीघा से संचालित एक एनजीओ इंडीयन फार्मर टरस्ट ने 15 करोड़ से अधिक की राशि का महाघोटाला किया।

पालनवाड़ी के नाम पर बसुला 10000 से 25000 प्रति व्यक्ति।

करोड़ों लेकर फरार हुआ एनजीओं।

यहां से पूरे बिहार एवं नेपाल में संचालित होता था करोबार।

पदाधिकारी भी आकर भाग लेते थे इसके कार्यक्रम।

सिविल सर्जन, बिडिओं और जिला शिक्षा पदाधिकारी के आने से लोगों में जगा भरोसा।े

नेताओं की भी थी सह।

एक एक गांव में एक दर्जन से अधिक केन्द्र खोलो।

विधवा और विकलांग को भी नहीं बख्सा।

12 साल की छात्रा को भी बनाया शिक्षका और खोलबाया केन्द्र।


कर्ज लेकर और जेबरात बेच कर महिलाओं ने दिये पैसे।


यह एक शातिर दिमाग एनजीआंे संचालक के द्वारा की  गई महाठ्रगी का मामला है जिसके द्वारा पूरे बिहार से नेपाल तक करोड़ों रूपयों की ठगी कर ली गई है। इस नटवरलाल एनजीओं संचालक ने पहले तो इंडीन फार्मर टरस्ट का बोर्ड लगवाया। फिर समारोह में अधिकारियों को बुला कर लोगों को प्रभावित करने के लिए कंबल भी बांटे। इस एनजीओ का संचालन सतीश कुमार नामक मास्टर मांइड करता था जिसका सहकर्मी था संजीव कुमार, सतीश कुमार विधार्थी, विजय कुमार  आदि।

सतीश कुमार नवादा जिला के समाय का निवासी है वहीं स्थानीय कार्यालय संचालक संजीव कुमार यहीं के खोजागाछी गांव का रहने वाला है।

एनजीओं संचालक एम्बेस्डर कार से पहले गांव में जाता था और एम्बेस्डर के आगे लाल रंग का नेम प्लेट लगा रहता था जिसपर एनजीओं का नाम रहता था जिससे लोगों को यह आभास हो कि यह सरकारी है

एनजीओ संचालक सतीष कुमार मातृ कल्याण और शिशु पालन बाड़ी के नाम से सेंटर खोलने की बात कह कर 10000 से 25000 रू. बसुल करता था। एक एक टोले में एक दर्जन लोगों का सेंटर खोल दिया जाता था जिसमें 40 शिशुओं को पढ़ाने की बात कही जाती थी। साथ ही महिलाओं को यह आश्वासन दिया जाता था कि पहले दो माह के लिए 500 रू. प्रति माह, फिर 2000 रू. प्रतिमाह तथा फिर परीक्षा में पास होने के बाद 10000 रू. प्रतिमाह बेतन दिया जाएगा। इस झांसे में आकर महिलाओं ने कर्ज लेकर या फिर जेबरात बेचकर नजराना दिया और केन्द्र भी खोल दिया गया। शुरूआत मंे बाजार बनाने के लिए कुछ लोगों को एक महिना का बेतन 500 या 1000 दिया भी गया जिससे लोगों को भरोसा और भी पुख्ता हो गया और महिलाओं ने अपने सगे संबधियों को इससे जोड़ दिया और देखते ही देखतेे पूरे बिहार मे इसका नेटवर्क फैल गया।

वेतन नहीं मिला तो महिलओं को हुआ ठगी का एहसास

पिछले आठ माह से जब महिलओं को निर्धारित बेतन नहीं दिया गया तब जाकर महिलाअें को ठगे जाने का एहसास हुआ। मौके पर मौजूद बरबीघा थाना क्षेत्र के नरसिंहपुर निवासी कांति देवी, रजोरा निवासी प्रियंका कुमारी, कन्हौली निवासी रेणू देवी,  गंगटी निवासी सुभाष पासवान, शेखपुरा थाना के मुरारपुर निवासी साधना देवी, मुख्यमंत्री के नाम लिखे आवेदन में इसकी शिकायत की है तथा वहीं पुलिस को भी लिखित रूप में इसकी शिकायत की है।

बच्चों और विधवाओं को भी नहीं बख्शा


सर्वा पंचायत के रजौरा गांव में नवमीं की छात्रा प्रियंका को बना दिया सेविका। वहीं नगर पंचायत के सामाचक मोहल्ले में बबीता 15 साल को भी सेविका बहाल कर दिया।

वहीं विधवाओं ने आसरे के तौर पर इसकी ओर देखा और जेवरात बेच कर पैसा दिया उन्हें भी आज पछताना पड़ रहा है।


शातिर संचालक ने महिलाओं को पैसा लेने का किसी भी प्रकार का रीसीभिंग नहीं दिया और महिलओं से यह भी लिखबा कर ले लिया कि मैं निःशुल्क और निःस्वार्थ भाव से सेविका पद पर कार्य करूगी।

महिलओं से स्टाम्प पेड पर भी शपथ ले लिया गया।

इस तरह से एनजीओं का महाठग अभियान चलता और फिर कई माह बीत जाने पर जब बेतन नहीं मिला तब महिलाऐं कार्यालय आई तो वहां से लगातार उन्हें बहाने बना कर लौटा दिया जाने लगा। जब इसकी सूचना राष्टीय सहारा को लगी तो वह वहां पहूंची तब महिलओं ने अपना दुखड़ा सुनाया।


दरोगा जी ने महिलाओं को ही हड़काया।

बाद में जब इसकी महाठगी की सूचना स्थानीय थाना को दी गई तो थानाध्यक्ष दो धंटे बाद धटनास्थल पर पहूंचे और महिलओं को ही डराने घमकाने लगे की क्यों पैसा दिया और साफ कहा कि इस मामले में पुलिस कुछ नहीं कर सकती। यहां तक की थानाध्यक्ष एस एस सिंह ने बाद में जिन महिलओं ने आवेदन दिया उसे भी यह समझाते रहे क्यों कानूनी लफडे और पुलिस के चक्कर में फंसते हो।


जिलाधिकारी की पहल पर हुई कार्यवाई। कार्यालय हुआ सील।

बाद में इसकी सूचना  जिलाधिकारी को दी गर्इ्र तो उन्होने तत्काल कार्यवाइ्र करते हुए पदाधिकारी को धटनास्थल पर भेज कर कार्यालय को सील करवाया तथा महिलओ का बयान दर्ज किया। मौके पर पहूंचे एडीएम महेन्द्र सिंह ने महिलओं से अकेले में बात कर सबका बयान लिया वहीं मौके पर पहूंची सीडीपीओ ओनम ने कहा कि पहले भी उनके द्वारा इसकी शिकायत की गई है। वहीं बीडीओं राम यशराम ने बताया कि पंचायत समिति की बैठक में प्रस्ताव पारीत कर इस संस्था से बचने की अपील लोगों से की गई थी।

सिविल सर्जन और डीईओ के आने से लोगों मंे जमा भरोसा

संस्था के समारोह में सिविल सर्जन सीपी गुप्ता तथा डीइओ के आने से लोगों में भरोसा जगी और लोगांे ने छूट कर पैसा लगा। संस्था कें कार्यालय में इन अधिकारियों की बड़ी बड़ी तस्वीर भी लगा कर रखी गई थी।


पुलिस ने नहीं की कार्यवाई।

इस सारे मामले में स्थानीय पदाधिकारियों की मिली भगत साफ सामने आती है और इससे पूर्व भी राष्टीय सहारा ने एक मात्र इस खबर को कई बार प्रकाशित किया पर पदाधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया। कुछ पहले ही कुछ महिलओं ने थाने मंे लिखित रूप से शिकायत की कि इस तरह से उन्हें ठगा गया है पर पुलिस ने कार्यवाई नहीं की और माहिलओं को भी भगा दिया।

कहां कहां से केन्द्र

नाम         गांव         थाना      जिला राशि
सुधा कुमारी अकौना धोसी     जहानाबाद 8000
रूबी कुमारी सकरावां         अस्थावां     नालान्दा 7000
संजना कुमारी हरगांवां अस्थावां     नालान्दा 6500
विभा देवी        सामाचक         बरबीघा     शेखपुरा 7000
रेखा देवी        बेलवव बरबीघा     शेखपुरा 7000
ताराप्रविन        अकबरपुर अकबरपुर          नवादा 7000
लुसी कुमार काजीचक बाढ़          पटना 8000
पल्लवी कुमारी पियारे पुर सरमेरा नालन्दा 6000
संगीता देवी गोविन्द्र पुर फतुहा पटना 12000
अनीता कुमारी घोसैठ पिड़ी बाजार लक्खिसराय 4000
रिक्कू कुमारी गुलाबचक हिल्सा नालन्दा 5000

3 टिप्‍पणियां:

  1. शासन प्रसाशन और माफिया के गठजोड़ की और ये घटना इशारा करती है..
    इसी लिए लोग अब NGO नाम सुनते ही दलाली शब्द याद करते हैं..
    बहुत सही मुद्दा आप ने उठाया ...सरकार को निष्पछ कार्यवाही करनी चाहिए..

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  2. हर ओर घोटाले ही रह गए हैं.... कार्यवाही ज़रूरी है

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  3. आपके द्वारा बहुत सारी जानकारी मिल जाती है।
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