कल फिर एक एनजीओ के द्वारा करोड़ों रू. की ठगी की बात को सामने लाने में संधर्ष करना पड़ा, कड़ा सधर्ष। इससे पहले के पोस्ट में एनजीओ के कारनामों का विवरण है। हुआ यूं की एक मित्र के माध्यम से यह जानकारी मिली की महिलाओं से रूपया लेकर पालनवाड़ी केन्द्र खोलबाने वाली संस्था के आगे बहुत सी महिला जमा है और महिलाओं को आठ माह से वेतन नहीं दिया गया जिससे वे नराज है। इंडियन फारमर टरस्ट के नाम से संचालित इस संस्था के बारे में मैं पहले से ही जानता था और दो तीन बार उसकी संदिग्ध गतिविधियों की रिर्पोट भी प्रकाशित कर चुका हूं। सो मैं वहां पहूंचा और रिर्पोट बनाने लगा इसी बीच संचालक आया और मुझे न्यूज बनाने से रोकने लगा पर मैं निर्भीक होकर न्यूज बनाता रहा। संचालक के द्वारा अपने आदमी को बुलाया जा रहा था ताकि हमको रोका जा सके इसकी सूचना मैं तत्काल थानाध्यक्ष को दी और फिर एसपी को भी इस बात की सूचना दी की एक एनजीओं के द्वारा किस तरह महिलओं को ठगा गया पर एसपी ने साफ कह दिया कि इसमें पुलिस का कोई रोल नहीं। फिर मैंने डीएम से बात की जिसके बाद उनके द्वारा तत्काल कदम उठाया गया और दो धंटे बाद मौंके पर थानाध्यक्ष पहूंचे। थानाध्यक्ष ने पहूंचते ही ठगी की शिकार महिलाओं को हतोत्साहित करना प्रारंभ कर दिया। थानाध्यक्ष महिलाओं को साफ साफ कह रहा था कि हमसे पूछ कर पैसा दिया और आज जब भाग गया है तो हल्ला कर रहे हो। साथ वह महिलओं को ही जेल भेज देने की धमकी देने लगा। थानाध्यक्ष के इस कदम के बाद महिलाऐं वहां से भाग गई पर एक दो ने साहस किया और वहीं खड़ी रही। मैं थानाध्यक्ष से उलक्ष गया।
इसके बाद एडीएम सहित दो तीन अन्य पदाधिकारी आये और मामले की जांच करने लगे। पदाधिकारी के सामने महिलाओं को सारी घटना बता दी और एक दो ने लिख कर भी दे दिया। फिर एनजीओं के कार्यालय को सील कर दिया गया। इसके बाद हमलोग चले गए। बाद में थानाध्यक्ष ने उस महिला को जिसने लिखित शिकायत की जेल जाने की धमकी देकर वहां से भगा दिया और इस घटना की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। एडीएम ने खुद फोन कर दरोगा की करतूत के लिए अफसोस जाहिर की पर कार्यवाई डीएम साहब करेगें ऐसा कहा।
चुंकी इस खुलासे मंे बडे़ अधिकारी के फंसने की बात सामने आ रही है सो सभी मैनेज करने में लगे है।
उधर इस खुलासे के बाद संचालकों के एक समर्थक ने दबी जुबान में वहीं कहा की डर नहीं लगता है बहुत खतरनाक और पहूंच बाला आदमी है तुमको क्या मिलेगा यह सब करके। अरे कमाने दिजिए, जात भाई ही तो है। साथ ही उसने यह भी कहा कि अंजाम बुरा भी हो सकता है। मैं वहीं साफ कर दिया कि इन सब बातों की परवाह नहीं करता।
उधर चैनलों मंे यह खबर अभी नहीं चलाई गई क्योंकि किसी अधिकारी ने बयान नहीं दिया। जिलाधिकारी रविवार होने की वजह से आवास पर किसी से नहीं मिले वहीं चैनल ने साफ कहा कि घोटाला कितना भी बड़ा हो अधिकारी का बयान चाहिए।
पर आज सभी अखबारों ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की है।
देखिए आज बयान मिल पाता है या नहीं मिलने पर घोटाले की खबर मर जाती है।
पर मैं इस अभियान को जारी रखा है और अंतिम दम तक इस महाठगी के खिलाफ लड़ूगा।
इसी कड़ी में बीती रात महाठग की निजी डायरी मेरे हाथ लग गई है जिसमें इस बात जिक्र है कि शाखा कहां कहां है और किसने कितना रूपया दिया और दलाल का नाम भी बगल मंे इंगित है । अब देखिए आगे यह डायरी क्या क्या रंग लाती है यह आज पता चलेगा।
पता नहीं क्यों इस तरह की बात जब सामने आती है तो एक अलग तरह का जुनून पैदा हो जाता है लड़ने का, कल से ही बेचैनी से ही लगी हुई है। देखिए यह जुनून कब तक बची रहती है।
सिर्फ इतना ही कहूँगा...
जवाब देंहटाएंकि असली सिपाही पुलिस या आर्मी में ही नहीं, बल्कि समाज के बीच भी होते हैं!
जब तक इस तरह की ख़बरें नैशनल मीडिया पर नहीं आतीं, बड़ा मुश्किल है इनको दबे से बचा पाना. शुभकामनाएं.
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