27 सितंबर 2023

विश्व पर्यटन दिवस और बदहाल बिहार

 विश्व पर्यटन दिवस और बदहाल बिहार 


आज विश्व पर्यटन दिवस है । ऐसे में हम बिहार के लोगों को हमेशा से बाहर जाने पर शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसी बात नहीं की बिहार में पर्यटन की संभावना नहीं है परंतु बाहर के राज्यों की तुलना में हम पांच प्रतिशत ही पर्यटन का विकास कर सकें। इसके कई कारण हो सकते हैं परंतु एक सबसे बड़ा कारण राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव है। इसमें जाति और धर्म के नाम पर राजनीति कर वोट बटोर लेना पहली प्राथमिकता होती है, बाकी सब हासिये पर रह गया। इसके लिए किसी भी एक पार्टी को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते। क्योंकि भाजपा सहित सभी प्रर्याप्त समय तक यहां शासन की है।



राजगीर, सरकार की प्राथमिकता में रही है। जू सफारी, शीशा का पुल सहित कई योजनाओं को यहां दिया गया परंतु आज भी पर्यटन के मामले में उस स्तर का यहां कुछ भी नहीं है। सड़कों पर गंदगी, शौचालय में बदबू, पर्यटकों से दुर्व्यवहार यहां आम बात है। 



गया जी हो या वैशाली। सभी जगह यही स्थिति है । नवादा का ककोलत जैसा झरना दूसरे राज्यों में होता तो देश-विदेश से पर्यटक आते हैं परंतु यहां कुछ भी नहीं। अब जाकर कुछ शुरू हुआ है। बिहार का भीम बांध, श्रृंगी ऋषि, देव का सूर्य मंदिर, कैमूर का मुंडेश्वरी देवी मंदिर, गोपालबाद का भावे मंदिर, सासाराम का जल प्रपात। कई ऐसी जगह है जहां पर्यटन की संभावनाएं थीं परंतु बिहार में उसका विकास नहीं हो सका। पटना का पटन देवी मंदिर शक्तिपीठ होते हुए भी पर्यटन के क्षेत्र में उपेक्षित ही रह गया और यह सब निश्चित रूप से सरकार की प्राथमिकता में पर्यटन का नहीं होना ही प्रमुख कारक है। अभी सासाराम का जलप्रपात देखने का मौका मिला था । इतना खतरनाक चिकनापन वाली जगह की जरा सी लापरवाही में किसी की जान चली जा सकती है । और इतना खतरनाक के यहां बिहार में शराब बंदी के बाद भी सैकड़ो जगह पर आए हुए पर्यटक शराब के नशे में खुलेआम शराब पीते और मुर्गा बनने देखे गए। सुरक्षा के नाम पर शून्य व्यवस्था। सड़क में इतनी बदहाल की कई जगह गाड़ियां फस जा रही थी।

ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि दूसरे राज्यों में जो लोग भी जाते हैं बिहार से उन्हें यह कमी महसूस होती है। एक उदाहरण है मेघालय का यह एलिफेंटा जलप्रपात का नजार है। इसे देखकर आप आश्चर्यचकित होंगे । इतना साफ सुथरा । छोटी-छोटी चीजों का भी ध्यान रखा गया । शौचालय तक में साफ सफाई। हां एक बात यह भी है कि इसमें केवल सरकार के भरोसे सब कुछ नहीं हो सकता। आम लोग को भी सजग होना पड़ेगा । 


ऐसा इसलिए की मेघालय के एक जलप्रपात के पास चाय और स्नैक्स की दुकान पर जब हम लोग चाय पीने के लिए रुके तो एक मित्र ने स्नेक्स का उपयोग करने के बाद उसके रैपर को सड़क के किनारे फेंक दिया। दुकानदार दुकान से बाहर आकर उनसे दो बार निवेदन किया कि उसे उठाकर डस्टबिन में डालिए और डस्टबिन में डलवा दिया। यह होती है आम आदमी की संकल्प शक्ति।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें