(यात्रा वृतांत- बिहार को जानो भाग -5)
ऐसा ही एक स्थल है लखीसराय का बड़हिया। जहां कई सौ साल पहले एक आध्यात्मिक संत श्री धर ओझा जी ने जन्म लिया । श्रीधर ओझा, जिन्होंने माता वैष्णो देवी की स्थापना की। वे जम्मू कश्मीर में तपस्या किए। वे बड़हिया के मूल निवासी थे।
उन्होंने ही बड़हिया में माता बाला त्रिपुर सुंदरी की स्थापना की। आज यह पूर्वांचल का एक प्रमुख माता का जाग्रत मंगला पीठ है। इसे ग्रामीणों के सहयोग से दिव्य और भव्य रूप से संचालित किया जा रहा।
इस मंदिर की एक खास बात यह भी लगी की माता के मंदिर में पुजारी भी नारी शक्ती होती है। सुबह-शाम को छोड़कर, दिन भर महिला पुजारी श्रद्धालूओं की मदद करती है। पूजा कराती है। पुजारी महिलाएं ब्राह्मण व सवर्ण नहीं, बल्कि अन्य जातियों की होती है।
रविवार को साथियों के साथ यहां जाना हुआ। मेरे यहां से टाल-टाल होकर यह आज महज 35 किलोमीटर पर यह स्थित है। यह संभव हुआ है नीतीश कुमार की सरकार और मुंगेर सांसद ललन सिंह के सदप्रयास से। हरोहर नदी दो-दो पुल बना दिए। कभी बरसात में यहां के लोग घरों से नहीं निकलते थे।
आज उस गांव में सड़क, बिजली, सब है। गांव में बड़े बड़े, भव्य मकान बन रहे। पहले लोग पैसा होते ही गांव से पलायन करते थे। खैर, बड़हिया के आभासी दुनिया से वास्तविक दुनिया तक पहुंचने वाले ग्रामीण सौरभ जी, पत्रकार मित्र कमलेश जी का सानिध्य मिला। आदर भाव भी मिला। आह्लाद मिला। माता का दर्शन भी किए। फोटो सेशन भी हुआ।
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