ध्यान को सर्वश्रेष्ठ साधन माना गया है। आचार्य रजनीश ने नाचने को भी ध्यान से जोड़ा और उनके ध्यान करने का सबसे बेहतर तरीका यही है।
गांव घर में सभी जगह यह ध्यान गांव के लोग सदियों से करते आ रहे हैं । हिंदू और सनातन धर्म की शायद सबसे बड़ी मजबूती यही है। आज भी गांव में मंगलवार को भजन कीर्तन का आयोजन होता है और गांव के लोग सुध बुध खोकर भजन में तल्लीन हो जाते हैं। साल में एक दो बार हरे राम कीर्तन का आयोजन भी इसी ध्यान मार्ग का एक माध्यम है। ऐसी ही एक तस्वीर विष्णु धाम की है। जहां एक बुजुर्ग कीर्तन करते हुए ध्यान मग्न दिखाई दे रहे हैं। पहले पूजा पाठ में भी कीर्तन मंडली को ही बुलाया जाता था। मृत्यु के बाद भी कीर्तन मंडली का गायन की परंपरा थी। हालांकि अब धीरे-धीरे यह खत्म हो रहा।
बाकी, शास्त्रों का अध्ययन मेरे पास नहीं है। ना ही मैं सनातन धर्म का मर्मज्ञ हूं। व्यवहारिक गांव घर में जो देखता हूं उसको लेकर यह समझ मेरी है।
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