यह हमारा दुर्भाग्य है.. : हम दिनकर को भूल गए..
यह जो तस्वीर आप देख रहे। यह हमारा दुर्भाग्य है। हम बिहारी का। हम शेखपुरा जिला वासी का। यह जो बुलडोजर चल रहा है, यहां दिनकर जी का स्मारक रहना था। पर नहीं है। क्यों, से पहले कैसे...!
दरअसल यह शेखपुरा जिला मुख्यालय का कटरा चौक है। यहां रजिस्ट्री ऑफिस था । 1934 से 1942 तक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर यहां रजिस्ट्रार की नौकरी करते थे। उस दरमियान कई कविताएं लिखीं। कहा जाता है कि हिमालय कविता की रचना इसी धरती से दिनकर जी ने की। पर हमारा दुर्भाग्य कि कई साल पहले जहां स्मारक बनना था उस स्थल को ध्वस्त कर शौचालय और सब्जी मंडी बना दिया गया। अब फिर उसे तोड़कर सब्जी मंडी सजाया जाएगा। आधी रात को बुलडोजर चला। यह ऐसी धरती है कि कोई एक आवाज तक नहीं उठाता।
यह हमारे बौद्धिक शून्यता का प्रमाण बना। और यह बानगी है जातीय उद्वेग में अपनी विरासत को रौंदने का।
हम ऐसे ही हैं सर,शायद इससे भी गये बीते तभी तो आत्म सम्मान को कोई भी लतिया के चला जाता है और हम बड़ी-बड़ी बातें हांकने में रह जाते हैं सचमुच इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या ही होगा।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी, हम ऐसे ही हैं... यही सच है।
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंआभार
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