14 अक्तूबर 2013

रावण जिंदा रह गया!

पुतले तो जल गए, रावण जिंदा रह गया।
देख कर हाल आदमी का, राम शर्मिंदा रह गया।।

सब कुछ सफेद देख, धोखा मत खाना साथी।
बाहर से चकाचक, अंदर से गंदा रह गया।।

फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा ना कर साथी।
अब तो भंरूये भी दुआ मांगते, धंधा मंदा रह गया।

जो दिखता है सो बिकता है, पूजा, पंडाल, यज्ञ, हवन।
बेलज्जों की कमाई का साथी धंधा, चंदा रह गया।

दीन, धर्म, ईमान का चोखा है व्यापार।
सौदागरों के हाथों का साथी, औजार निंदा रह गया।।

नया दौर का नया चलन है, देखो आंख उघार।
रावण ही पुतला जला कर कहता, अब तो यह धंधा रह गया।।

3 टिप्‍पणियां:

  1. पुतले तो जल गए, रावण जिंदा रह गया।
    देख कर हाल आदमी का, राम शर्मिंदा रह गया।।
    बेहतरीन,सुंदर गजल !

    विजयादशमी की शुभकामनाए...!
    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (15-10-2013) "रावण जिंदा रह गया..!" (मंगलवासरीय चर्चाःअंक1399) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. नया दौर का नया चलन है, देखो आंख उघार।
    रावण ही पुतला जला कर कहता, अब तो यह धंधा रह गया।।

    रावण के भण्डार भरे हैं राम भूखा रह गया।


    फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा ना कर साथी।
    अब तो भंरूये भी दुआ मांगते, धंधा मंदा रह गया।

    (भड़वे.भड़ूवे ,दलाल वैश्या के)

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