25 जनवरी 2018

क्या भारत को पाकिस्तान बनाने का प्रयास हो रहा! करनी सेना के बहाने एक विमर्श

फ़िल्म पद्मावत का विरोध कर रहे करनी सेना ने जब गुरुग्राम में स्कूल बस पे पथराव किया तो बच्चे डर से सहम कर सीट के नीचे दुबक रोने लगे। करनी सेना अपनी दबंगई दिखा रही है। इस दबंगई को सत्ता का खामोश संरक्षण भी है।

यह गुंडागर्दी तब है जब सुप्रीम कोर्ट ने फ़िल्म के प्रदर्शन का आदेश दे दिया है। यानी सुप्रीम कोर्ट से बड़ा और ताकतवर साबित करने का ही यह पर्दशन है।
यह तब जबकि उनके ही सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को काट छाँट कर दिया है। और तो और फ़िल्म को देखने वाले बौद्धिक वर्ग ने फ़िल्म को राजपूतों के मान सम्मान को बढ़ाने वाला बताया है। फिर दिक्कत कहाँ है।

दिक्कत है राजनीति। कट्टरपंथी साबित करने होड़। कट्टरपंथी बन डर पैदा करने की कोशिश। दिक्कत है वोट बैंक की राजनीति करने वालों की खामोशी। दिक्कत है बड़े बड़े नेताओं को बिगड़े बोल। दिक्कत है संविधान की शपथ लेने  वालों का संविधान से इतर कार्य करना।

कुछ लोग कहते है मुसलमानों के खिलाफ फ़िल्म बना के कोई दिखा दे! मुसलमानों के इस तरह के उपद्रव पे क्यों सब खामोश रहते है। यूपी के कमलेश प्रकरण के बाद पूरे देश मे मुसलमानों ने तांडव किया। बंगाल के मालदा आग के हवाले कर दिया। तब खामोशी क्यों थी। वास्तव में वोट के लिए कट्टरपंथी का तुष्टीकरण की राजनीति ही इसका मूल है। दो धुर्वीय राजनीति के एक इस पक्ष तो दूसरा दूसरे पक्ष में है। पहले एक ने ध्रुवीकरण किया अब दूसरा कर रहा।

खैर, जब धर्म के नाम पे फ्रांस में शर्ली हेब्दो पत्रिका के ऑफिस में घुस कई पत्रकारों की हत्या की गई तो दुनिया ने इसे निर्मम कहा। हाय, एक कार्टून से धर्म और ईश्वर डर गए। इसी तरह तालिबान, आईएस सरीखे आतंकवादी संगठनों की बर्बरता पे पूरी दुनिया हाय हाय करती है।

परंतु धर्म के नाम के पर मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग उन कट्टरपंथियों का समर्थन करता है। कट्टरपंथ का मूल यही है। आज अपने देश भारत को कुछ लोग इसी दिशा में ले जाने का कुत्सित प्रयास कर रहे है। इसी प्रयास का परिणाम राजस्थान के राजसमंद में एक मुस्लिम युवक को जिंदा जलाया जाना है और हत्यारे के खाते के लाखों राशि दान देना है।


कट्टरपंथियों के इस ध्रुवीकरण को वोट की राजनीति करने सह देंगे ही, देते ही रहे है। धर्म की आग ऐसी आग है जिसमें हम भूख, बेरोजगारी, मंहगाई सब भूल जाते है। आज भूल गए है। पर याद रहे जिस दिशा में भारत को ले जाने का प्रयास किया जा रहा उस दिशा में भारत का "सर्व धर्म समभाव" मानस कभी नहीं जाएगा। हम कभी नहीं चाहेंगे कि भारत सीरिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान बने। करनी सेना हो या मोहम्मदी सेना। देश को अपने कुकृत्य से बदनाम कर रहे है। देश कभी माफ नहीं करेगा। आज सेकुलर होना गाली बताया जा रहा फिर कट्टरपंथी होना क्या है..आप सोंचिये..!

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