28 सितंबर 2022

महागठबंधन के बिहार में शुभ संकेत

महागठबंधन के बिहार में शुभ संकेत


मुझे नहीं पता बिहार में सरकार क्या करेगी। जातीय और धार्मिक उन्माद के बीच जंग है। सभी अपने अपने मोहरे चल रहे है। देश में धर्म के नाम पर बांसुरी बजा कर बेरोजगारी, मंहेगाई, निजीकरण और मनमानी का दौर है। बिहार में गठबंधन के बदलते ही बहुत कुछ बदल गया। नीतीश कुमार जैसा सुलझा व्यक्तित्व भी पर्दे के पीछे से जातीय खेल को छोड़ पटल कर आकर बैटिंग करने लगे। शायद धर्मिक उन्माद को इसी से रोका जा सकता है, यही समझ बनी हो। उधर, बीजेपी धर्मिक उन्माद में बिहार को लेकर जाने की पूरी ताकत लगा दी है। बिहार का बौद्धिक मानस सहमा हुआ है। 

वहीं महागठबंधन वाली बिहार की सरकार में एक अच्छी बात जो हो रही है वह यह है कि रोजगार की बात होने लगी है। भारतीय जनता पार्टी के सरकार से अलग होते ही बिहार के तमाम वर्ग के युवाओं में सरकारी नौकरी की उम्मीद जगी । यह उम्मीद तेजस्वी यादव के आने से जगी है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने सरकारी नौकरी 10 लाख लोगों को देने का वादा किया था। सरकार बनते ही युवाओं ने तेजस्वी यादव को घेर लिया। हालांकि बीजेपी के द्वारा भी नौकरी और रोजगार के नाम पर महागठबंधन की सरकार को घेरने की कोशिश की गई परंतु इस कोशिश को बिहार के आम जनता ने नकार दिया । क्योंकि जिस सरकार में इतने सालों तक रही उसमें नौकरी की कोई बात नहीं होती थी और केंद्र सरकार तो युवाओं के भविष्य को पाताललोक में ले जाने में लगी हुई ही है अग्निवीर के माध्यम से उसने अंतिम कोशिश भी कर दी।

खैर, लगातार महागठबंधन की सरकार में नौकरी की बात होने लगी है। शिक्षक बहाली की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। जिसके लिए खूब हंगामा हुआ था और युवाओं के द्वारा पटना में आंदोलन भी किया गया था।


कुल मिलाकर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से बिहार एक अच्छी पहल करता हुआ दिख रहा है। सबसे अच्छी बात यह भी है कि तेजस्वी यादव लालू प्रसाद यादव की प्रेत छाया से निकलने की कोशिश में लगातार सकारात्मक काम कर रहे हैं। उधर, इस पूरे प्रसंग में भारतीय जनता पार्टी बिहार को धार्मिक आधार पर ले जाने की कोशिश में साफ साफ दिखती नजर आ रही है। यहां कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार का यह कथन उल्लेखनीय है कि बिहार में विपक्ष में आते ही भारतीय जनता पार्टी को नौकरी और रोजगार नजर आने लगा और इसकी बात पार्टी करने लगी। बीजेपी विपक्ष में रहेगी तो इसी तरह की बात होगी। 

खौर, मेरा भी मन नहीं मानता पर उम्मीद पर दुनिया है। शायद तेजस्वी दो दशक पहले वाले बिहार के भय, भूख और भ्रष्टाचार के कलंक को तोड़ पाने में कामयाब हो तो बिहार के लिए शुभ होगा

1 टिप्पणी: