कड़वी बात लिख रहा। बुधवार को बरबीघा के श्री कृष्ण राम रुचि कॉलेज के छात्रावास में एक युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह इंटर का छात्र था और एनसीसी का कैडर भी था। पूरी तरह से आत्महत्या के इस साफ मामले को परिवार के लोगों ने हत्या में बदल दिया। उसकी प्राथमिकी भी कराई। वही इस छात्रावास के तीन छात्रों को पकड़ के पुलिस के हवाले भी कर दिया।
दोनों तरफ के लोग अनुसूचित जाति से जुड़े हुए थे
कॉलेज के छात्रावास का नाम पूर्व में डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह हरिजन छात्रावास था परंतु भीम आर्मी का जब उन्माद चला तो नाम को बदलकर अंबेडकर कल्याण छात्रावास कर दिया गया । वहीं अब इसे कॉलेज के अधिकार क्षेत्र से बाहर करके कल्याण विभाग ने अपने हाथ में ले लिया।
मृतक छात्र का परिवार भीम आर्मी के कथित संगठन से जुड़ाव रखने के कारण पूरी तरह से इसमें साजिश रची गई । बिना वजह सड़क को घंटो जाम रखा गया । इसमें जमकर हंगामा भी किया गया।
पहले इस मामले को छात्रावास के बगल में रहने वाले सवर्ण जाति के लोगों को फसाने की साजिश के तरफ साफ तौर पर प्रयास किया गया। परंतु उसमें कोई सफलता नहीं मिली तो छात्रावास के स्वजातीय छात्रों को ही इसमें फंसा दिया गया।
पुलिस के द्वारा शुरू से ही इसे आत्महत्या बताया जाता रहा। मृतक छात्र के भाई और पिता के द्वारा उसके मोबाइल को छुपा लिया गया। कहा गया कि उसके पास मोबाइल नहीं था। पुलिस ने दबाव बनाया तो सब डिलीट कर मोबाइल दिया गया। इसी से पता चलता है कि मामला कितना संदिग्ध है। वही इंटरनेट पर एक छात्रा का सुसाइड नोट भी वायरल है । जिसमें आर्मी जॉइन नहीं कर पाने की वजह से आत्महत्या करने के बारे में उसने लिखा है।
इस पूरे मामले में भी संगठन से जुड़े लोगों ने भी पुलिस पर दबाव बनाया। यदि इस पूरे मामले में दूसरे किसी भी जाति के लोगों की संलिप्तता होती तो आज पूरे बिहार में हंगामा हो रहा होता।
कहावत भी है कि सांप को जब कुछ खाने के लिए नहीं मिलता तो अपने बच्चों को भी खा जाता है। वहीं एससी ने ही एससी को फंसाया है।
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