05 मई 2024

अथ श्री कौआ कथा

अथ  श्री कौआ कथा

अरुण साथी, व्यंग रचना

आजकल हर किसी का कान कौआ काट कर भाग रहा है । हर कोई कान लेकर भागने वाले कौवे के पीछे भाग रहा है। बचपन में दादा जी के साथ बैठने, सोने का यही फायदा था। वह अक्सर डांटते थे,  

कोय कह देलकौ कि कौआ कान ले के भाग गेलौ त पहले अपन कान देख, कौआ के पाछू मत भाग।

आज तो दादा जी गांव में है। पोता महानगरी। कौन बताएगा। कुछ दादाजी महानगरी हैं। वह भी कौआ के पीछे ही भाग भाग कर सबको बता रहे, कान लेकर भाग गया। 

गांव घर में भले कौआ विलुप्त हो गए। वर्चुअल दुनिया में कौवे ही कौवे हैं। 

कौवे भी कई प्रकार के कान लेकर भाग रहे हैं । कोई मंगलसूत्र तो, कोई लोकतंत्र। कोई संविधान बदल देगा। कोई कौआ धर्म का कान लेकर भाग रहा, कुछ जाति का। कुछ कौवे पाकिस्तानी हैं। 

अच्छा, धर्म का कान लेकर भागने वाले कौवे सर्वाधिक  हैं। कुछ कौवे एक धर्म का कान लेकर भाग रहे, तो उनके पीछे भागने वाले मूढ़ मतान्ध, धर्म खतरे में है, बात सबको भगा रहे। कुछ कौवे दूसरे धर्म का कान लेकर भाग रहे। उसके पीछे भागने वाले मूढ़ मतान्ध बता रहे, इस धर्म वालों से धर्म को खतरा है। 

अब धर्म का कान लेकर भागने वाले कौवे भी भांति भांति के हैं। इनमें कुछ छटे हुए बदमाश । कुछ लंपट। कुछ छौंडीबाज। नाकारा रहने वाले भी धर्म ध्वजा लेकर कौआ बन गए हैं। अब उनका जयकार है। हद तो यह की धर्म का कान लेकर भागने वाले कुछ कौवे बेहद सभ्रांत और अंग्रेजी दां है।

इन कौओं को व्हाट्सएप विश्वविद्यालय से बाकायदा जाति, धर्म का कान लेकर भागने का प्रशिक्षण दिया जाता है। एक से एक कौआ पढ़ाओ ज्ञानी, ध्यानी प्रोफेसर हैं। 


कुछ कौवे को तो बाकायदा धर्म का कान लेकर भागने के लिए बचपन से ही प्रशिक्षित किया जाता है। धर्म का कान लेकर भागने के लिए ये कौवे अपनी जान तक कुर्बान कर देते हैं।


तुम धर्म का कान लेकर भागो, सब तुम्हारे पीछे भागेंगे। सबसे आगे रहने का यही अचूक मंत्र है। 

अब, कौवे के पीछे भागने वाले गधे हैं कि आदमी, यह एक यक्ष प्रश्न है। 

 अब आज कोई युधिष्ठिर तो आने से रहे। बस।

सभी कौओं से क्षमा याचना सहित, अपना अपना कौआ साथी। 

1 टिप्पणी: