क्रूरता बनाम मानवता
यह एक मुश्किल दौर है। तर्क, कुतर्क के सहारे हमे कट्टरपंथी बन जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा। सवाल उठाये जा रहे। धर्म के बचने की।
कबिलाई संघर्ष को हम इसी रूप में जानते हैं। एक कबीले के लोग दूसरे कबीले के लोगों को मार देते थे और दूसरे कबीले के लोग भी यही करते थे और उस युग को हम कभी कबीला युग कहते हैं। आज कम या ज्यादा, वही दौड़ पूरी दुनिया में है।
यह सभ्यताओं का संघर्ष है। यह चलता रहेगा।
जब तालिबानियों ने पढ़ने के सवाल पर मलाला को गोली मार दी थी तो दुनिया ने कोहराम मचाया था।
जब शर्ली हब्दो में केवल धार्मिक कार्टून बनाने के लिए कई लोगों को मार दिया गया तब भी दुनिया में हंगामा मचा।
कई दिशाओं में यह संघर्ष जारी है। हम क्रूरता की ओर बढ़े या मानवता की ओर, इसके लिए भी संघर्ष हो रहा है। इसके लिए भी तर्क और कुतर्क गढ़े जा रहे हैं।
कुछ लोग क्रूरता, घृणा चुन रहे हैं तो कुछ लोग मानवता, संवेदनशीलता और प्रेम और भाईचारे को।
हम लोगों ने होली मिलन समारोह में प्रेम और भाईचारे को चुना । होली मिलन में ही इफ्तार पार्टी का आयोजन कर अपने साथियों के लिए रोजा खोलने की व्यवस्था की। चर्च के फादर भी उपस्थित रहे । इसी मंच से डॉक्टर फैजल अरशद ने होली की टोली के साथ मिलकर करताल बजाकर खूब आनंद लिया। जबकि मंगल चरण और महामृत्युंजय का गायन भी उन्होंने किया
हमारे साथी शब्बीर हुसैन बंटी, इरशाद गणी, फादर क्रिस्टोफर और प्रिंस पीजे, एक साथ होली का उत्सव मनाया, बात खत्म..
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